अमेरिका, ब्रिटेन की तरह ग्लोबल फाइनेंस को दिशा दे रहा है भारत – प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि ऐसे समय में जब भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब आधुनिक होते भारत के नए संस्थान और नई व्यवस्थाएं भारत का गौरव बढ़ा रही हैं। भारत अब अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर जैसे दुनिया के उन देशों की कतार में खड़ा हो रहा है, जहां से ग्लोबल फाइनेंस को दिशा दी जाती है।

प्रधानमंत्री ने आज गांधीनगर में गिफ्ट सिटी का दौरा किया। गिफ्ट सिटी (गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी) को दुनिया के लिए वित्तीय और प्रौद्योगिकी सेवाओं के एक एकीकृत केंद्र के रूप में परिकल्पित किया गया था।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

यहां आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 8 सालों में देश ने वित्तीय समावेश की एक नई लहर देखी है। गरीब से गरीब भी आज औपचारिक वित्तीय व्यवस्था से जुड़ रहा है। आज जब हमारी एक बड़ी आबादी वित्तीय व्यवस्था से जुड़ गई है तो ये समय की मांग है कि सरकारी संस्थाएं और प्राइवेट प्लेयर्स, मिलकर कदम आगे बढ़ाएं।

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उन्होंने कहा कि हम स्थानीय और वैश्विक सहयोग दोनों के महत्व को समझते हैं। हम एक ओर ग्लोबल कैपिटल को वेलफेयर के लिए ला रहे हैं तो दूसरी ओर लोकल उत्पादों को ग्लोबल वेलफेयर के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज भारत में रिकॉर्ड विदेशी निवेश आ रहा है। ये इन्वेस्टमेंट देश में नए अवसर पैदा कर रहा है। युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा कर रहा है। ये हमारे उद्योग को ऊर्जा दे रहा है, हमारी उत्पादकता को बढ़ा रहा है।

प्रधानमंत्री ने भारत की सफलता को सेवा का पर्याय बताया। उन्होंने कहा कि जन कल्याण से जग कल्याण, ये हमारी भावना है। भारत सतत विकास के क्षेत्र में वैश्विक संभावनाओं का नेतृत्व कर रहा है। हमने अपने लिए शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य तय किया है। राष्ट्रीय स्तर पर हम गतिशक्ति मास्टर प्लान को आगे बढ़ा रहे हैं। रिन्यूएबल एनर्जी और ई-मोबेलिटी के नए रिकार्ड्स बना रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत अंतरराष्ट्रीय सोलर एलायंस को दिशा दे रहा है।

उन्होंने कहा कि आज 21वीं सदी में वित्त और तकनीक एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। विज्ञान और सॉफ्टवेयर में भारत अग्रणी और अनुभवी भी है। आज तुरंत डिजिटल पेमेंट में पूरी दुनिया में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी अकेले भारत की है। गिफ्ट सिटी वाणिज्य और तकनीक के हब के रूप में अपनी मजबूत पहचान बना रहा है। गिफ्ट सिटी के जरिए भारत विश्व स्तर पर सर्विस सेक्टर में मजबूत दावेदारी के साथ आगे बढ़ रहा है।

गिफ्ट सिटी की परिकल्पना में देश के सामान्य मानवी की आकांक्षाएं जुड़ीं

गिफ्ट सिटी की परिकल्पना का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि इससे जुड़ी सोच केवल व्यापार, कारोबार या आर्थिक गतिविधियों तक सीमित नहीं थी। गिफ्ट सिटी की परिकल्पना में देश के सामान्य मानवी की आकांक्षाएं जुड़ी हैं। गिफ्ट सिटी में भारत के भविष्य का विजन जुड़ा है। भारत के स्वर्णिम अतीत के सपने भी जुड़े हैं।

उन्होंने कहा कि गिफ्ट सिटी की एक और खासियत है कि यह ट्राइसिटी एप्रोच का प्रमुख स्तम्भ है। अहमदाबाद, गांधीनगर और गिफ्ट सिटी तीनों एक दूसरे से सिर्फ 30 मिनट की दूरी पर हैं और तीनों की ही अपनी एक विशेष पहचान है। अहमदाबाद एक गौरवशाली इतिहास को अपने आप में समेटे हुए है। गांधीनगर प्रशासन, नीति और निर्णयों के केंद्र है। गिफ्ट सिटी अर्थतन्त्र का प्रमुख केंद्र है।

इस दौरान प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (आईएफएससी) में वित्तीय उत्पादों, वित्तीय सेवाओं और वित्तीय संस्थानों के विकास और विनियमन के लिए एकीकृत नियामक, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) के मुख्यालय भवन की आधारशिला रखी। एक प्रतिष्ठित संरचना के रूप में इमारत की अवधारणा तैयार की गई है, जो एक अग्रणी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र के रूप में गिफ्ट-आईएफएससी की बढ़ती प्रमुखता और महत्व को दर्शाता है।

प्रधानमंत्री ने इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज (आईआईबीएक्स), जो कि जीआईएफटी-आईएफएससी में भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज है, का शुभारंभ किया। आईआईबीएक्स भारत में सोने के वित्तीयकरण को बढ़ावा देने के अलावा, जिम्मेदार सोर्सिंग और गुणवत्ता के आश्वासन के साथ मूल्य संवर्धन का पता लगाने की सुविधा प्रदान करेगा। यह भारत को वैश्विक सर्राफा बाजार में अपना सही स्थान हासिल करने के साथ-साथ निष्ठा और गुणवत्ता के साथ वैश्विक मूल्य श्रृंखला को अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए सशक्त बनाएगा। आईआईबीएक्स भारत को एक प्रमुख उपभोक्ता के रूप में वैश्विक सर्राफा कीमतों को प्रभावित करने में सक्षम बनाने के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता पर फिर से जोर देता है।

प्रधानमंत्री ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाने के लिए इससे जुड़े संस्थानों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आज भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इसलिए भविष्य में जब हमारी अर्थव्यवस्था आज से भी कहीं ज्यादा बड़ी होगी, हमें उसके लिए अभी से तैयार होना होगा। हमें ऐसे संस्थान चाहिए, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था में हमारे आज के और भविष्य के रोल को निभाने में मददगार हो सकें।