भौतिक ही नहीं आध्यात्मिक व नैतिक विकास भी करे भारत : महाश्रमण

आचार्य
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तेरापंथी सभा प्रतिनिधि सम्मेलन के अंतिम दिन प्रदान किए गए पुरस्कार

विशेष प्रतिनिधि, छापर (चूरू)। जरूरी है कि भारत भौतिक के साथ आध्यात्मिक व नैतिक विकास भी करे। ये विचार आचार्य महाश्रमण ने व्यक्त किए। चूरू जिले के छापर में वर्ष 2022 का चतुर्मास कर रहे आचार्यश्री के सन्निधि में चतुर्मास प्रवास स्थल पर में तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष मनसुखलाल सेठिया ने ध्वजारोहण किया।

इस अवसर पर आचार्यश्री ने लोगों को पावन आशीर्वाद प्रदान किया। तदुपरान्त मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में आचार्यश्री ने आजादी के 75वर्ष की सम्पन्नता के अवसर पर देशवासियों को पावन प्रेरणा प्रदान की। इस दौरान महासभा के तत्त्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय सम्मेलन के अंतिम दिन भी प्रतिनिधियों को आचार्यश्री से पावन सम्बोध प्रदान हुआ। कार्यक्रम में महासभा द्वारा विभिन्न सेवा पुरस्कारों को भी प्रदान किया गया। इस अवसर पर पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी तो आचार्यश्री से उन्हें पावन आशीर्वाद भी प्राप्त हुआ।

आजादी अपनाओ की प्रेरणा

आचार्य कालू महाश्रमण समवसरण में आचार्यश्री महाश्रमणजी ने भगवती सूत्राधारित मंगल पाथेय प्रदान करने के उपरान्त कहा कि आज भारत की आजादी का 75वां वर्ष पूर्ण हो गया और इसके साथ अमृत महोत्सव का कार्यक्रम भी जुड़ गया। हालांकि हम लोगों में शायद कितने लोग होंगे जिन्होंने देश को आजाद होते हुए देखा होगा। हमारे गुरुदेव आचार्यश्री तुलसी ने वह वक्त देखा था। उन्होंने लोगों को असली आजादी अपनाओ की प्रेरणा दी।

भारत ऋषि प्रधान देश भी है

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देश के नागरिकों व देश में भौतिक और आर्थिक विकास होना आवश्यक है, किन्तु उसके साथ आध्यात्मिकता और नैतिकता का भी विकास होता रहे, तो पूर्णता की बात हो सकती है। भारत कृषि प्रधान ही नहीं, ऋषि प्रधान देश भी है। भारत का सौभाग्य है कि इस धरती पर कितने-कितने ऋषि-संत भ्रमण करते हैं। प्राचीन ग्रंथों से सुन्दर पाथेय प्राप्त हो सकता है। भारत निरंतर आध्यात्मिक, नैतिकता और सौहार्द की दिशा में आगे बढ़े। स्वतंत्रता का अर्थ स्वच्छंदता नहीं, बल्कि अनुशासनबद्ध रहने का प्रयास होना चाहिए। राग, द्वेष, हिंसा, घृणा से बचाव हो और प्रमाणिकता, अहिंसा, संयम व नैतिकता का विकास हो। कार्यक्रम में साध्वीवृंद ने गीत का संगान किया। आचार्यश्री की अष्टवर्षीय अहिंसा यात्रा पर आधारित पुस्तक का लोकार्पण महासभा के पदाधिकारियों द्वारा पूज्यचरणों में किया गया। आचार्यश्री ने इस संदर्भ में पावन आशीर्वाद प्रदान किया।

तपस्या का प्रत्याख्यान किया

इस दौरान प्रियंका कोठारी आठ की, कंचन कोठारी 11 की, संदीप चोरडिय़ा ने 15 की, दीपक मरोठी ने 16 की तथा रितू देवी ने आचार्यश्री से 29 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। तेरापंथी सभा प्रतिनिधि सम्मेलन के अंतिम दिन पुरस्कार प्रदान समारोह में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा द्वारा आचार्य तुलसी समाज सेवा पुरस्कार वर्ष 2020-21 के लिए श्री भंवरलाल बैद व वर्ष 2021-22 डॉ. राजेश कुण्डलिया को प्रदान किया गया। वहीं मूविंग पिक्सल के सीएमडी श्री मनीष बरडिय़ा को तेरापंथ विशिष्ट प्रतिभा पुरस्कार प्रदान किया गया। पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं के प्रशस्ति पत्र का वाचन क्रमश: महासभा के न्यासी श्री हितेन्द्र मेहता व महासभा की उपाध्यक्ष श्रीमती सुमन नाहटा व महासभा के संगठन मंत्री श्री प्रकाश डाकलिया ने किया।

आचार्य ने मंगल आशीष दिया

पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं ने पूज्यप्रवर के समक्ष अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी तो आचार्यश्री ने उन्हें मंगल आशीष प्रदान किया। समापन सत्र में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष श्री मनसुखलाल सेठिया ने श्रेष्ठ, उत्तम और विशिष्ट 11 सभाओं के नामों की घोषणा की और उन्हें आचार्यश्री के समक्ष पुरस्कृत भी किया गया। साथ ही सहयोगी सभाओं व महानुभावों को भी सम्मानित किया गया। महासभा के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि विश्रुतकुमारजी ने अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन महासभा के महामंत्री श्री विनोद बैद ने किया।

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