ग्लोबल वार्मिंग की वजह से भारत में मानसून के दौरान बारिश अधिक होगी

भारत में मानसून को लेकर एक रिसर्च में नया दावा किया गया है। रिसर्च ने बताया गया कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से भारत में मानसून के दौरान बारिश अधिक होगी। मौसम खतरनाक करवट लेगा। जर्नल एडवांस साइंसेस में शुक्रवार को प्रकाशित दस्तावेज में पिछले दस लाख साल की स्थितियों के आधार पर मानसून पर गौर किया गया है।

रिसर्च में कहा गया है कि आने वाले साल में बहुत अधिक बारिश होने के दौर बार-बार आएंगे। मौसम के तेवर अप्रत्याशित होंगे। ये क्षेत्र के इतिहास पर असर डाल सकते हैं।

कंप्यूटर मॉडल पर आधारित पिछली रिसर्च के अनुसार ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से दुनिया गर्म हो रही है। नमी बढऩे के कारण बहुत अधिक वर्षा होने की घटनाएं बढ़ेंगी। दक्षिण एशिया में जून से सितंबर के बीच मानसून के दौरान भारी वर्षा होती है।

यहां रहने वाली विश्व की बीस फीसदी आबादी की जिंदगी के कई महत्वपूर्ण पहलू बरसात से जुड़े हैं। नई रिसर्च में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन से होने वाले बदलाव क्षेत्र और उसके इतिहास को नया आकार दे सकते हैं।

शोधकर्ताओं के पास कोई टाइम मशीन नहीं थी, इसलिए उन्होंने अपनी रिसर्च में गाद का इस्तेमाल किया है। बंगाल की खाड़ी की तलहटी से मिट्टी के सैम्पल ड्रिलिंग के जरिए निकाले गए। खाड़ी के बीच से निकाले गए मिट्टी के नमूने 200 मीटर लंबे थे।

ये मानसून की वर्षा का भरपूर रिकॉर्ड उपलब्ध कराते हैं। खाड़ी में बारिश के मौसम में अधिक ताजा पानी आता है। इससे सतह पर खारापन कम हो जाता है। इस कारण सतह पर रहने वाले सूक्ष्म जीव मरते हैं और नीचे तलहटी में बैठ जाते हैं। वहां उनकी कई परत बनती हैं।

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