
वार्षिक रिफिट सम्मेलन में बुनियादी ढांचे के विस्तार की योजनाओं पर चर्चा की गई
नई दिल्ली। भारतीय नौसेना ने अपने वार्षिक बुनियादी ढांचा एवं स्वदेशीकरण सम्मेलन में जहाजों, पनडुब्बियों की परिचालन उपलब्धता और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बुनियादी ढांचा बढ़ाने का फैसला लिया है। इसकी अध्यक्षता चीफ ऑफ मैटेरियल (सीओएम) वाइस एडमिरल संदीप नैथानी ने की। सम्मेलन के दौरान मरम्मत योजनाओं, भारतीय नौसेना के जहाजों, पनडुब्बियों की परिचालन उपलब्धता और भारतीय नौसेना की बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बुनियादी ढांचे के विस्तार की योजनाओं पर चर्चा की गई।
मटेरियल प्रमुख ने नौसेना प्लेटफार्मों की मशीनरी, हथियार और सेंसर के रखरखाव में प्रगति को सराहा। उन्होंने तकनीकी बिरादरी से आग्रह किया कि वे मौजूदा चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करके रखरखाव अवधि में कमी लाने का प्रयास करें। उन्होंने जहाजों और पनडुब्बियों की बढ़ी हुई परिचालन उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन, क्वांटम कम्प्यूटेशन, आईओटी के लिए 5जी, रोबोटिक्स आदि जैसी नवीनतम तकनीकों का उपयोग करने का आह्वान किया।
उन्होंने भविष्य में भारतीय नौसेना की बढ़ती भूमिका और बेस पोर्ट से दूर जहाजों की विस्तारित तैनाती पर प्रकाश डाला, जो गुणवत्ता आउटपुट देने के लिए मरम्मत अधिकारियों पर अधिक निर्भरता की मांग करता है। एआईआईसी बैठक के दौरान मटेरियल प्रमुख ने विभिन्न तकनीकी और समुद्री बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने भारतीय नौसेना में मरम्मत और रीफिटिंग सुविधाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से चल रही तकनीकी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर संतोष व्यक्त किया।
बैठक के दौरान अगले 15 वर्षों में शामिल किए जाने वाले भविष्य के प्लेटफार्मों के लिए अतिरिक्त बर्थिंग स्पेस के निर्माण सहित विभिन्न समुद्री बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की समीक्षा की गई। सम्मेलन के दौरान स्वदेशीकरण पर एक विशेष सत्र आयोजित किया गया, जो भारत सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ की पहल के अनुरूप है। सम्मेलन में नौसेना मुख्यालय, तीन नौसेना कमानों, त्रि-सेवाओं अंडमान और निकोबार कमान, महानिदेशक नौसेना परियोजनाओं, नौसेना डॉकयार्ड, मरम्मत यार्ड और भारतीय नौसेना के सामग्री संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।