नेट-थियेट पर जमीं इश्क-ए-बयां गजल की महफिल

दाग दुनियां ने दिये जख्म जमाने से मिले

जयपुर। नेट-थियेट रंगमंच पर आज जयपुर के उभरते गजल गायक दिनेश खींची ने अपनी पुरकशिश आवाज में जब कैफ भोपाली की गजल दाग दुनियां ने दिये जख्म जमाने से मिले हमको यह तोहफे तुम्हे दोस्त बनाने से मिले गा कर इश्क-ए-बयां महफिल को साकार कर दिया।

नेट-थियेट के राजेन्द्र शर्मा राजू ने बताया कि डॉ. सागर फराज की लिखी गजल उसके हॅंसते चेहरे से तो ऐसा लगता है, शायद उसको मेरा मिलना अच्छा लगता है गा कर माहौल को गजल सिंगर खिंची ने माहौल को खुशनुमा किया। इसके बाद उन्हौने परवीन शाकिर की गजल तेरी खुशबू का पता करते थे मुझपे एहसान हवा करती थी।

मोसीन नकवी की गजल इक पगली मेरा नाम जो ले, शरमाए भी घबराए भी गायी उसके बाद वो मेरा था ये बताना अजीब लगता है,उसके पश्चात वो मेरी मोहब्बत का गुजरा जमाना नही मेरे बस में उसे भूल जाना गजल की प्रस्तुति दे कर महफिल को नयी उंचाईयां दी।

इनके साथ सिंथेसाइजर पर उस्ताद हबीब खान, तबले मैराज हुसैन और गिटार पर पवन बालोदिया ने सधी हुयी संगत से करते हुये गजल की इस संध्या को परवान चढाया। संगीत विष्णु कुमार जांगिड, प्रकाश मनोज स्वामी, जितेन्द्र शर्मा,, अंकित जांगिड व सेट अर्जुन देव, सौरभ कुमावत, अजय शर्मा, जिवितेश शर्मा, अंकित शर्मा नोनू व धृति शर्मा रहे।