फ्लाइट या पहाड़ों पर कानों में दर्द होना स्वाभाविक, जानें कारण

कानों में दर्द
कानों में दर्द

आज के समय में हवाई सफर ज्यादातर लोगों की पसंद और प्राथमिकता बनता जा रहा है। हवाई जहाज में सुखद अनुभव जैसे शांत वातावरण, एयर होस्टेस का मन को भाने वाला व्यवहार लोगों को खूब पसंद आता है, लेकिन जो लोग पहली बार हवाई यात्रा कर रहे हैं उनको कुछ समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है।
हवाई यात्रा में कान दर्द किसी को भी हो सकता है। जब हवाई जहाज ऊंचाई पर पहुंचता है तो हवा का प्रेशर बदलने लगता है। हवा के प्रेशर में अंतर आने के कारण ही हवाई यात्रा में कान दर्द का अनुभव होता है। कुछ लोगों को ऊंचाई से भी समस्या होती है। अधिक एयर प्रेशर के कारण कुछ लोग कान में ज्यादा दर्द अनुभव करते हैं। जब प्लेन लैंड करता है या फिर टेक ऑफ करता है तो दबाव ईयरड्रम में अनुभव होता है। प्लेन के समतल पर आ जाने पर दर्द अपने आप ठीक भी हो जाता है।

ईयर बैरोट्रॉमा क्या होता है?

फ्लाइट या पहाड़ों पर कानों में दर्द होना स्वाभाविक,
फ्लाइट या पहाड़ों पर कानों में दर्द होना स्वाभाविक,

ईयर बैरोट्रॉमा एक ऐसी स्थिति है, जो एयर प्रेशर में बदलाव के कारण कान में परेशानी का कारण बनती है। कानों में एक ट्यूब होती है, जो कान के बीच के हिस्सों को गले और नाक से जोड़ती है। यह ट्यूब कान के दबाव को नियंत्रित करने में भी मदद करती है। इस ट्यूब को यूस्टेशियन ट्यूब कहा जाता है। ईयर बैरोट्रॉमा एक आम प्रक्रिया है, खासकर ऐसे वातावरण में जहां आप काफी ऊंचाई पर होते हैं। उदारहण के लिए प्लेन में सफर करते वक्त या फिर पहाड़ों पर।

ऊंचाई वाली जगह पर या फ्लाइट में बैठने से क्यों होता है कान में दर्द

फ्लाइट या पहाड़ों पर कानों में दर्द होना स्वाभाविक,
फ्लाइट या पहाड़ों पर कानों में दर्द होना स्वाभाविक,

अतुल कहते हैं, ऊंची जगहों पर जाने से कानों में होने वाले दर्द का कारण जानने से कान की अंदरूनी बनावट को समझना जरूरी है। हमारे कान में मध्य कान (मिडल ईयर) ऐसा भाग है, जो ईयर ड्रम के पीछे होता है और इसमें हवा का दबाव उतना ही होता है, जो कि वातावरण का होता है। यह ईयर ड्रम के कंपन (वाइब्रेशन) और सुनने के लिहाज से महत्वपूर्ण होता है। कान में इस दबाव का रखरखाव वेंटिलेशन ट्यूब यानी यूस्टेशियन ट्यूब द्वारा किया जाता है, जो नैसोफैरिंक्स और मध्य कान को आपस में जोड़ती है, लेकिन जब हम किसी ऐसे स्थान पर होते हैं जहां हवा का दबाव कम होता है, जैसे कि किसी ऊंचे स्थान पर या फ्लाइट में उड़ान भर रहे होते हैं या फिर स्कूबा डाइविंग के दौरान दबाव बढ़ता है, तो कान में दर्द होने लगता है या कान बंद हो जाते हैं क्योकि वेंटिलेशन ट्यूब हवा के दबाव को बरकरार रखने में नाकाम रहती है।

क्या गंभीर रूप ले सकती है ईयर बैरोट्रॉमा?

ईयर बैरोट्रॉमा की परेशानी वैसे तो काफी आम है और फ्लाइट के टेक ऑफ या लैंडिंग के समय भी लोगों को इसका सामना करना पड़ता है। इस दौरान भी मिडल ईयर में नेगेटिव प्रेशर पड़ता है, जिससे कान बंद हो जाते हैं या उनमें दर्द होता है। कई बार यह दर्द हल्का होता है, लेकिन कुछ मामलों में यह काफी तेज़ भी हो सकता है।

ऐसा भी हो सकता है कि इसके साथ रिंगिंग सेंसेशन (कान में घंटियां बजने) या चक्कर आने की शिकायत भी हो। ईयर बैरोट्रॉमा की सबसे गंभीर स्थिति में ईयर ड्रम में ब्लीडिंग (हेमोटिंपेन) की समस्या भी हो सकती है। ऐसा आमतौर पर तब होता है जब वेंटिलेशन ट्यूब इतनी मजबूत नहीं होती कि वह हवा के दबाव को बराबर कर सके। हालांकि, ऐसा खांसी-जुकाम, एसिड रिफ्लक्स या अन्य किसी स्वास्थ्य संबंधी परेशानी की वजह से भी हो सकता है।

ईयर बैरोट्रॉमा से राहत पाने के लिए क्या करें?

मित्तल ऐसी परिस्थिति से राहत पाने के लिए कुछ सलाह देते हैं। वो कहते हैं कि मैं अक्सर अपने पेशेंट को पानी पीने या गम चबाने या चढऩे और उतरने के दौरान एक कैंडी लेने की सलाह देता हूं। ये ट्यूब खोलने में सहायता करते हैं, जिसकी मदद से दबाव बराबर होता है। इन लक्षणों पर तुरंत ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि ईयर बैरोट्रॉमा के गंभीर मामलों के परिणामस्वरूप अधिक गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जिसमें सुनने की क्षमता पर असर पडऩा भी शामिल है। वहीं, बेचैनी बरकरार रहने पर ईएनटी विशेषज्ञ से मिलने की सलाह दी जाती है।

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