“सविनय अवज्ञा का उपयोग कर व्यावहारिक जीवन में सत्य की साधना सम्भव”- डॉ. अजय त्रिवेदी

जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में “गांधी के सकारात्मक विचारों का युवाओं पर प्रभाव” विषयक सेमीनार एवं वेबिनार के संयुक्त आयोजन पर मुख्य वक्ता के रूप में विचार व्यक्त करते हुए व्यास विवि के सीनेट सदस्य डॉ. अजय त्रिवेदी ने कहा कि अहिंसा का अर्थ कायरता नहीं है बल्कि निडर होकर सत्य के लिए बिना हिंसा के अडिग रहना और अपनी न्यायोचित बात को मनवाना और उस हेतु साहस दिखाना अहिंसा है। हिंसा मुक्त साहस ही अहिंसा का पर्याय है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था अंग्रेजों के अन्याय को स्वीकार नहीं किया जाएगा और उनके निरंकुश आदेशों का विनय पूर्वक बहिष्कार सविनय अवज्ञा है।

डॉ.त्रिवेदी ने कहा कि कोई भी मांग है जो किसी अनीति संगत आदेश के विरुद्ध है तो इस युग में भी ऐसे आदेश का विनम्रता पूर्वक सादर बहिष्कार करना और अपनी मांग के तर्कसंगत तथ्यों को प्रस्तुत कर उसमे साहस और अहिंसा का समावेश करना ही सविनय अवज्ञा है, इस बलवती संयम के समक्ष अगर गौरे झुक जाते थे तो ऐसे में विद्यार्थियों की न्यायोचित मांग को कोई नहीं रोक सकता है बस संयम और सविनय अवज्ञा अपरिहार्य है जिसकी आज के युग में युवाओं में जरूरत है। डॉ.त्रिवेदी ने कहा कि गांधी स्वयं में एक इंस्टीटूशन है और उन्हें जितना पढ़ो और समझो कम है। उन्होंने कहा कि अगर बापू नए नाम गांधीगिरी के साथ युवाओं को बल देते हैं तो ये हर्ष का विषय है, सत्य अहिंसा और सर्वोदय आज के युग में अत्यंत अपरिहार्य है और व्यावहारिक जीवन में इसके प्रयोग से जीवन नैतिक होने के साथ लक्ष्य की सिद्धि की और अग्रसर होता है।

जानकारी देते हुए इस वेबिनार व सेमीनार कार्यक्रम के संयोजक एवं मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर एल.एन. बुनकर ने बताया कि इस कार्यक्रम में विभाग के लगभग 30 विद्यार्थी ऑफ़ लाइन जुड़े जबकि लगभग 70 गणमान्य बुद्धिजीवियों ने वेबिनार को ऑनलाइन साझा किया।

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इस वेबिनार में विभाग की प्रोफेसर अर्पिता कक्कड़ और हेमलता जोशी ने भाग लिया एवं विचार रखे एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में सुखाड़िया विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. कमला चौहान भी ऑनलाइन उपस्थित रही एवं अपने विचार साझा किये। कार्यक्रम का आयोजन प्रातः 11 बजे से जेएनवीयू के मनोविज्ञान विभाग के सभागार में किया गया, जहां ऑनलाइन व ओफ़लाइन संचालन की व्यवस्था भी की गई।