कोविड-19 के लिए आईटीआई, बेरहामपुर को 3 नए अविष्कारों पर मिला पेटेन्ट की मान्यता

नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी के प्रसार को कम करने में मदद करने के लिए औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई), बेरहामपुर ने अपने नवाचार एवं तकनीक विशेज्ञता का लाभ उठाते हुए कोरोना से लडऩे के लिए अपने तीन इनोवेटिव उत्पादों का आविष्कार कर उन्हें पंजीकृत कराया है। यह तीनों उत्पाद किसी भी चुनौति का सामना करने में पूरी तरह से सक्षम हैं। इससे आविष्कार के ऊपर संस्थान को भी प्राथमिकता मिलेगी। आईआईटी और एनआईटी के नक्शेकदम पर चलते हुए, आईटीआई बेरहामपुर देश के आविष्कार करने वाले संस्थानों के क्लब में शामिल हो गया है। आने वाले दिनों में, आईटीआई अपने नवाचारों और योगदान के द्वारा आविष्कार करने के दिशा में अधिक भागीदारी निभाकर माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजऩ आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने में अधिक योगदान देगी।

आईटीआई के प्रयासों की सराहना करते हुए, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडे ने कहा कि, यूवीसी रोबो को आईटीआई के योद्धाओं ने डिजाइन किया है जो किसी भी तरह की सतहों को कीटाणुरहित करता है और मोबाइल स्वाब संग्रह कियोस्क के द्वारा हमें समाधान प्रदान करता है। कोविड-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) सबसे आगे रहे हैं। मुझे विश्वास है कि इस तरह के नवाचारों से आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा और बड़े पैमाने पर समाज की जरूरतों को पूरा करने के लिए अनुसंधान को अतिरिक्त लाभ मिलेगा। इससे वायरस के प्रसार को रोकने के लिए नवाचारों के साथ आगे आने के लिए और अधिक आईटीआई को भी प्रोत्साहन मिलेगा। अपने प्रयासों से कोरोना वायरस से लडऩे और एकजुटता से सरकार के साथ खड़े होकर आईटीआई बेरहामपुर ने पूरे देश भर में अन्य आईटीआईएस के लिए एक आदर्श उदाहरण स्थापित किया है। आईटीआई बेरहामपुर की पूरी टीम को मेर ओर से हार्दिक बधाई।

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प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत का जो विजऩ हम सभी के सामने प्रस्तुत किया है उसे आगे बढ़ाकर पूरा करना है और आईटीआई बेरहामपुर ऐसे आत्मनिर्भर प्रयासों का नेतृत्व करने के लिए प्रख्यात है। संस्थान द्वारा तीन नवाचार किए गए हैं:

मोबाइल स्वाब संग्रह कियोस्क

डब्ल्यूएचओ की हालिया रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 वायरस ऐरोसॉल हवा के माध्यम से भी फैल सकता है। ऐरोसॉल हवा में अधिक समय तक बना रह सकता है, इसलिए स्वाब संग्रह के दौरान या तो मोबाइल कियोस्क पर या अस्पतालों में संदिग्ध मरीज बाहर रहता है। स्वास्थ्य तकनीशियन कियोस्क के अंदर रहता है। यह उस क्षेत्र में दूषित ऐरोसॉल की संभावना अधिक बनाता है जहां नमूना एकत्र किया जाता है। उस स्थान से कोविड वायरस फैलने की संभावना अधिक होती है।

आईटीआई बेरहामपुर ने संदिग्ध मरीज को केबिन के अंदर और तकनीशियन को कियोस्क के बाहर रखने के लिए एक समाधान प्रस्तुत किया है। हेपा फिल्टर का उपयोग करके एक नकारात्मक दबाव तकनीक द्वारा एरोसॉल को फि़ल्टर किया जाता है, जिससे उस क्षेत्र में पर्यावरण को कोविड वायरस से मुक्त किया जाता है।

जूते के तल्ले के लिए यूवीसी सैनिटाइजर

सैनिटाइजिंग डिवाइस में एक पोर्टेबल प्लेटफ़ॉर्म और एक जोड़ी जूता शामिल है जो खुली सतह में रह सकते हैं। जूते के बाहरी हिस्से को सैनिटाइज करने में आसानी होती है। इसमें डिस्पोजेबल पारदर्शी मैटों की अधिक संख्या भी शामिल है जिसे हटाया जा सकता है और मंच पर भी रखा जा सकता है। यूवीसी लाइट स्रोत की अधिकता जूते की लंबाई के अनुसार संरेखित की जाती है। पोर्टेबल प्लेटफॉर्म पर जूत्ते के दोनों तल्ले होने पर आईआर सेंसर के माध्यम से एक संदेश भेजा जाता है जिसके बाद यूवीसी प्रकाश उसी समय चालू हो जाता है।