जैन श्रावकों ने 108 कलशों से भगवान विमलनाथ का किया महामस्तकाभिषेक

भरतपुर। जैन धर्म के चल रहे दशलक्षण पर्व के अंतिम दिन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की पूजन की गई। इस मौके पर अनंत चतुर्दशी व भगवान वासुपूज्य जी का मोक्ष कल्याणक महोत्सव भी मनाया गया। सीकरी जैन मंदिर में पहली बार 108 कलशों से भगवान विमलनाथ जी का महामस्तकाभिषेक किया गया।

इस अवसर पर प्रथम अभिषेक करने का सौभाग्य महिला मंडल व बहु मंडल को, द्वितीय अभिषेक करने का सौभाग्य विनय कुमार जैन को व तृतीय अभिषेक करने का सौभाग्य कमलचंद को प्राप्त हुआ। उसके बाद सभी लोगों ने अभिषेक किया। शांतिधारा का मोहनलाल मगनलाल को व निर्वाण लाडू चढ़ाने का रिखब चन्द अजय कुमार जैन को सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसके बाद आचार्य श्री से समाज के युवा व बच्चों ने रात्रि विवाह ना करने का नियम लिया।

भुसावर। जैन मंदिर में रविवार को मुनि युधिष्ठिर सागर महाराज के सानिध्य में चल रहे महापर्व में वासुपूज्य भगवान का निर्वाण महोत्सव मनाया गया। निर्वाण लड्डू चढ़ाने के साथ धार्मिक आयोजन हुए। अंतिम दिन 24 तीर्थंकर पूजा पंडित राजेश व खेम चन्द जैन ने करवाई। श्रावकों ने निर्वाण कांड बोलकर निर्वाण लड्डू चढाया। मन्दिर कमेटी अध्यक्ष विमल चन्द जैन ने बताया कि मंगलवार को क्षमावाणी पर्व में बड़ों से क्षमा याचना की जाएगी।

कामां। दिगंबर जैन सेठीन मंदिर में चल रहे पर्युषण महामंडल विधान के अंतिम दिन रविवार को दशलक्षण महामण्डल विधान का समापन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की विशेष पूजा के साथ पूर्ण हुआ। प्रथम शांति धारा का सौभाग्य गिरनारी लाल भगवानदास को, सौधर्म इंद्र का मनोज जैन शिखरचंद जैन को प्राप्त हुआ। चतुर्दशी पर 108 कलशों से अभिषेक किया गया। बारहवें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य को निर्वाण प्राप्त होने पर लाडू समर्पित किए। तीन दिन का निर्जला उपवास करने पर शकुंतला जैन का महिला मंडल द्वारा सम्मान किया गया।

डीग। गोवर्धन रोड पुरानी डीग स्थित दिगंबर जैन मंदिर में अनंत चतुर्दशी महोत्सव मनाया गया। मंदिर में सुबह भगवान का अभिषेक कर विश्व में अमन व शांति के लिए शांतिधारा की गई। कार्यक्रम में ऋषभ जैन ने पूजा-अर्चना कराई। इस अवसर पर जैन समाज अध्यक्ष गोपाल प्रसाद जैन, मनवीर जैन, ताराचन्द जैन आदि मौजूद रहे।

जैन उपासकों ने निकाली जिनवाणी माता की पालकी

जुरहरा। उपासकों द्वारा भगवान वासपुज्य का निर्वाण दिवस भक्तिभाव से मनाया, जिसके तहत जैन ग्रन्थ जिनवाणी माता की पालकी कस्बे में निकालकर जैन मंदिर में धार्मिक कार्यक्रम किए। दशलक्षण धर्म के अन्तिम दिन अनन्त चतुर्दशी पर्व मनाया गया जिसके तहत जैन मंदिर में जिनेन्द्र भगवान की शांतिधारा कर आरती की।

निर्वाण कांड के वाचन के बाद निर्वाण लडडू भगवान की प्रतिमा के समक्ष चढाये गये। बच्चो सहित महिलाओं ने भगवान वासपुज्य की प्रतिमा की 108 फेरियां लगाई। इससे पूर्व दोपहर को जैन ग्रन्थ जिनवाणी माता की पालकी चन्द्रप्रभ दिगंबर जैन मंदिर से निकाली गई जो कस्बे के मुख्य बाजार सहित गली मौहल्लों से होते हुये वापस मंदिर पहुंची जहां संगीतमय सामूहिक पूजन की गई।

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