कमलनाथ सरकार ने वापस लिया नसबंदी वाला विवादित फरमान

कमलनाथ की प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुआ था कोरोना पॉजिटिव का जर्नलिस्ट पिता
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विवादित फरमान : नसबंदी का टारगेट पूरा करो नहीं तो रूकेगा वेतन

इंदौर।

मध्य प्रदेश सरकार ने नसबंदी को लेकर अपने एक फरमान पर विवाद होने के बाद इसे वापस ले लिया है । इस आदेश को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के राज्य निदेशक ने जारी किया था । इसमें कहा गया था कि मिशन के कर्मचारियों के लिए हर साल पांच से 10 लोगों की नसबंदी करवाना अनिवार्य होगा । इसमें नसबंदी के टारगेट पूरे न होने पर कर्मचारियों को वेतन कटौती और वीआरएस की चेतावनी दी गई थी । आदेश में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 की रिपोर्ट का हवाला दिया गया था जिसमें कहा गया था कि मध्य प्रदेश में नसबंदी करवाने वाले पुरुषों की तादाद घट गई है ।

विवाद होने पर कमलनाथ सरकार ने यह आदेश रद्द कर दिया

विपक्षी भाजपा ने इस आदेश की आलोचना की थी । उसने मुख्यमंत्री कमलनाथ पर निशाना साधते हुए उन्हें 1975 के आपातकाल की याद दिलाई थी। विवाद होने पर कांग्रेस सरकार ने यह आदेश रद्द कर दिया । एक अधिकारी के मुताबिक यह मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में आने पर उन्होंने तुरंत कार्रवाई की । मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि किसी को नसबंदी के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा और न ही किसी की नौकरी जाएगी ।

इससे पहले मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरका के स्वास्थ्य विभाग ने नसबंदी को लेकर एक अजीब फरमान जारी कर किया था। कमलनाथ सरकार के आदेश के अनुसार स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को हर महीने 5 से अधिक पुरुषों की नसंबदी का ऑपरेशन कराना जरूरी कर दिया था।

अगर कोई कर्मचारी ऐसा नहीं कर पाता है तो उनको नो-वर्क, नो-पे के आधार पर वेतन नहीं दिया जाएगा। जानकारी के लिए आपको बता दें कि सरकार के अजीब फरमान को लेकर कर्मचारियों में भारी रोष व्यापत था।

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सरकार के आदेश में यह भी कहा गया था कि कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की बात भी आदेश में कही गई। इससे कर्मचारियों में रोष था। कमलनाथ सरकार के इस फरमान पर राजनीति भी गर्म हो गई।

कमलनाथ सरकार का आदेश इमरजेंसी जैसा: शिवराज

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने सरकार के आदेश की तुलना के इमरजेंसी के दौरान संजय गांधी के नसबंदी अभियान से कर डाली और सरकार पर तंज कंसा था। सरकार के आदेश के बाद एमपीडब्ल्यू और पुरुष सुपरवाइजरों ने विरोध शुरू कर दिया था।