कूष्मांडा

प्रात: नमन परमेश्वरी
धरू तिहारो ध्यान।
नव दिवस नवरात्री
दो सुमति वर दान।।
चवथ दिवस मां चंडिका,
रच कूष्मांडा रूप।
मात रचाई मेदनी,
अमर विधि अनूरूप।।
कमल कमंडल अमि कलश
धनुष बाण कर धार।
चक्र गदा धर चंडिके
सकल असुर संहार।।
कूष्मांडा करूणा करी
अण्ड पिण्ड उपजाय।
जल थल अम्बर जगत मे
प्राणी प्राण पसाय।।
कूष्मांडा रचना करी
स्वतन तै संसार।
आशुतोष अर्धांगिनी
दया निधि दातार।।
आज नमन करू ईशरी
करूणा कर कूष्मांड।
कुटिल मानवी कारणे
विकल होत ब्रह्मांड।।
विरद भाळ विश्वेशरी
टाबर विपता टाळ।
इल उपर व्है आपदा
वसुधा थाय बेहाल।।
अष्टभूजा मां अम्बिका
शस्तर ल्यौ संधान।
संत उबारण शंकरी
अरि मर्दन कर आन।।
महामाया जग मावङी
तारोय भगत तमाम।
भली विचारो भगवती
धर धरणी निज धाम।।
महादुर्गा मातेश्वरी
पुन: पुन: करू प्रणाम।
मर्कट शरणे मावङी
नित सुमरे तुझ नाम।।

  • दिनेश कैला(मर्कट)