तमिलनाडु में ककून किसानों के बचाव में आगे आया केवीआईसी

तमिलनाडु में ककून किसानों के बचाव में आगे आया केवीआईसी, cacoon farmer
तमिलनाडु में ककून किसानों के बचाव में आगे आया केवीआईसी, cacoon farmer

चेन्नई। तमिलनाडु में मध्‍यम उद्यम मंत्रालय के तहत स्वायत्त निकाय खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने अपनी खादी संस्थाओं (केआई) के सहयोग से ककून किसानों से ककून खरीद कर एक बार फिर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया है। ऐसे समय में जब देश घातक कोरोना वायरस से जूझ रहा है, तो सूक्ष्‍म लघु और

केवीआईसी का मुख्य उद्देश्य महामारी के प्रकोप के कारण लागू लॉकडाउन में अपनी फसल को बेचने के लिए संघर्ष कर रहे ककून किसानों की मदद करना और दूसरा रेशम उत्पादन में शामिल खादी संस्थाओं को ककून की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करना है।

तमिलनाडु में ककून किसानों के बचाव में आगे आया केवीआईसी

केवीआईसी के अध्यक्ष श्री विनय सक्सेना ने इस मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र  मोदी ने कहा है कि किसान देश की रीढ़ हैं। उनके कल्याण को ध्यान में रखते हुए यह खरीदारी उतनी आसान थी नहीं जितनी दिखती है।

प्रचलित प्रक्रिया के अनुसार, रेशम उत्पादन करने वाले केआई को केवल राज्य सरकार द्वारा नियंत्रित रेशम उत्‍पादन बाजारों से रेशम ककून की खरीददारी करनी होती है। इसलिए किसानों से सीधे खरीद के लिए जिला प्रशासन के साथ-साथ सेरीकल्चर विभाग से अनुमति लेने की आवश्‍यकता थी।

तमिलनाडु में ककून किसान फसल को बेचने के लिए संघर्ष कर रहे

सक्सेना ने कहा,“चेन्नई में केवीआईसी के अधिकारियों द्वारा जिला प्रशासन और सेरीकल्चर विभाग के सामने प्रभावी ढंग से ककून किसानों की कठिनाइयां बताने के निरंतर प्रयासों और क्षमता के परिणामस्वरूप जिला प्रशासन ने आखिरकार अनुमति दे दी। अगर हमने अभी यह खरीद नहीं की होती, तो किसानों को असहनीय क्षति होती।

इस सौदे की आवश्यकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पाले हुए ककून को पांच दिनों के भीतर स्टीम करना होता है, वरना ककून के कवच को काट कर लार्वा उसमें से बाहर निकल आता है, जिससे सारी फसल पूरी तरह बर्बाद हो जाती है। कटे हुए ककूनों को सिल्‍क यार्नकी रिलिंग में उपयोग नहीं किया जा सकता।

इस लिहाज से यह खरीदारी ककून किसानों के लिए आशीर्वाद की तरह है। केवीआईसी के चेन्नई कार्यालय ने छह खादी संस्थाओं के साथ समन्वय करके किसानों से सीधे लगभग 9500 किलोग्राम ककून खरीदना सुगम बनाया है, जिसकी कीमत 40 लाख रुपये से अधिक है।

छह और केआई को जल्द ही किसानों से सीधे 8000 किलोग्राम ककून खरीदने के लिए अनुमति मिलने की संभावना है।

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केवीआईसी हमेशा से खादी संस्थानों और विशेष रूप से किसानों के विकास से सम्‍बद्ध रहा है; चाहे ककून किसानों के उत्‍थान की योजनाओं और नीतियों को लागू करने के लिए सिल्‍क यार्न के उत्पादन की लागत कम करने की दिशा में गुजरात के सुरेंद्रनगर में प्रथम सिल्‍क प्रोसेसिंग प्‍लांट लगाने की ऐतिहासिक पहल ही क्‍यों न हो, केवीआईसी ने कभी कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी है और किसानों, उत्पादकों और उपभोक्ताओं के लिए भारत को एक बेहतर स्थान बनाने का लगातार प्रयास करता रहा है।