बाजरे की फसल के लिए ये तरीके अपनाएंगे तो लहलहा उठेंगे बंजर खेत

बाजरे की फसल

बाजरे की बुवाई के लिए जाने फायदेमंद तरीके

यह वक्त खरीफ की फसल बुवाई समय है। आज के बदलते तरीकों ने फसल की बुवाई से लेकर कटाई के तौर तरीकों को आधुनिक बना दिया है। नई पीढ़ी के लिए पुराने ढग़ से फसल तैयार करना काफी चुनौतीपूर्ण है। ऐसे में हम आपके लिए लाए बाजरे की फसल तैयार करने के नायाब और सरल तरीके। आप इन तरीकों और टिप्स अपनाकर बाजरे की शानदार खेती कर सकते हैं। साथ ही अच्छी फसल से अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं। फसल के लिए सबसे जरूरी है जलवायु, मिट्टी और पानी।

बाजरे की फसल के लिए उपयुक्त जलवायु

बाजरे की फसल के लिए ये तरीके अपनाएंगे तो लहलहा उठेंगे बंजर खेत

बाजरे की खेती के लिए गर्मी का मौसम उपयुक्त होता है। कम बारिश वाले क्षेत्र में इसकी पैदावार अधिक होती है। अधिक बारिश वाले इलाकों में इसकी खेती से बचना चाहिए। जिन जगहों पर 40-60 सेंटीमीटर तक औसत बारिश होती है वहां इसकी अच्छी उपज होती है। अगर बारिश निरन्तर होते रहती है तो सिंचाई की भी जरूरत नहीं पड़ती। तापमान 32से 37 सेल्सियस इस खेती के लिए अच्छा है। बाजरे की खेती हमारे देश में सबसे अधिक राजस्थान, गुजरात और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में होती है। इसके अलावा अन्य राज्यों जैसे- हरियाणा, मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र में भी इसकी खेती खूब होती है।

बाजरे की खेती के लिए मिट्टी

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बाजरे की खेती लगभग हर तरह के मिट्टी में की जाती है, मगर बलुई दोमट मिट्टी सबसे ज़्यादा उपयुक्त होता है। जलभराव वाले जमीन में इसकी खेती उपयुक्त नहीं होती है। पानी ज़्यादा दिनों तक भरे रहने से पौधों को रोग लग जाते हैं जिससे फसल बर्बाद हो जाते हैं। और पैदावार पर भी बुरा असर डालता है।

बाजरा के लिए खेत की तैयारी

बाजरे की फसल के लिए ये तरीके अपनाएंगे तो लहलहा उठेंगे बंजर खेत

खरीफ का मौसम बाजरे की खेती के लिए उपयुक्त होता है। इसके लिए गर्मी के दिनों में ही खेत की जुताई कर उसमें से खरपतवार हटा लें। पहली जुताई में ही 2-3 टन गोबर की खाद प्रतिहेक्टर की दर से मिट्टी में मिला लें। बाजरे की अच्छी पैदावार के लिए एक बार मिट्टी पलटने वाली हल से जुताई करें। इसके बाद दो- तीन बार फिर से जुताई करें। दो-तीन बार जुताई करने के बाद खेतों में बुआई करें। जिस जगह पर आप खेती करने जा रहे हैं। अगर उस जगह पर दीमक और लट का प्रभाव है तो 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से फॉस्फोरस अंतिम जुताई से पहले डाल दें।

बीज और बुआई का समय

बाजरे की फसल के लिए ये तरीके अपनाएंगे तो लहलहा उठेंगे बंजर खेत

जिन क्षेत्रों में बारिश बहुत कम होती है, वहां मॉनसून शुरू होते ही बुआई कर देनी चाहिए। अगर आप उत्तर भारत में बाजरे की खेती करना चाहते हैं तो वहां इस खेती के लिए जुलाई का पहला सप्ताह अच्छा होता है। जुलाई के अंत में बुआई करने से 40 से 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर फसल का नुक़सान होता है। बुआई में 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज का इस्तेमाल करें। ध्यान रहे बीजों तो 40 से 50 सेंटीमीटर की दूरी पर बुआई करें। बीजों को एक कतार में बोएं। 10 से 15 दिन बाद अगर पौधे घने हो गए हैं तो छटाई कर दें। अगर बारिश का मौसम देर से आता है और अगर आप समय पर बुआई न कर पाए हैं तब ऐसी स्थिति में बुआई करने से बेहतर रोपाई करें। 1 हेक्टेयर क्षेत्र में पौधा रोपाई के लिए लगभग 500 वर्गमीटर क्षेत्र में 2 से 3 किलोग्राम बीज उपयोग करते हुए जुलाई के पहले सप्ताह में नर्सरी तैयार कर लेनी चाहिए। अच्छी पैदावार के लिए फसलों की देखभाल करना भी बहुत आवश्यक है। जिसके लिए 1 से 15 किलोग्राम यूरिया डालें, लगभग 2 से 3 सप्ताह बाद पौधों की रोपाई मुख्य खेत में करनी चाहिए। जब पौधों को क्यारियों से उखाड़ रहे हैं तो ध्यान रखें कि जड़ों को नुकसान ना पहुंचे। इसके अलावा नर्सरी में पर्याप्त नमी भी होना जरूरी है।

बाजरे की उन्नत किस्में


अच्छी पैदावार के लिए जरूरी है की आप बाजरे की उन्नतशील किस्मों का ही चुनाव करें।

बाजरे की फसल के लिए ये तरीके अपनाएंगे तो लहलहा उठेंगे बंजर खेत

सिंचाई

बाजरा की खेती में अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। बारिश नहीं होने पर 10-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई जरूर करें। ध्यान रहे पौधों में जब फूल और जब दाना बन रहा हो तो खेत में नमी की मात्रा कम न हो। जलभराव की समस्या हो तो जल निकासी का समुचित प्रबंध कर दें।

दीमक

बाजरे की फसल के लिए ये तरीके अपनाएंगे तो लहलहा उठेंगे बंजर खेत

दीमक से बचने के लिए 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से क्लोरोपाइरीफॉस का पौधों की जड़ों में छिड़काव करें इसके अलावा हल्की वर्षा के समय मिट्टी में मिला कर बिखेर दें।

तना मक्खी कीट

यह मक्खियां पौधों को बढऩे से रोकती है। जैसे ही पौधे बड़े होने लगते हैं उन्हें काट देती है। जिसके कारण पौधे सूख जाते हैं। इससे बचाव के लिए प्रति हेक्टेयर की दर से फॉरेट या 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर मेलाथियान खेत में डालना चाहिए।

सफेद लट

इस तरह के कीड़े पौधों की जड़ों को काटकर फसल को बर्बाद कर देते हैं। इससे बचाव के लिए फ्युराडॉन 3त्न या फोरेट 10 प्रतिशत की बुआई के समय मिट्टी में डालना चाहिए। बाजरे के पौधों को कई तरह के रोग हो जाते हैं जैसे कि मृदु रोमिल आशिता इनसे बचाव के लिए हमेशा प्रमाणित बीजों का प्रयोग करें। बुआई से पहले रिडोमिल एम जेड 72 या थाईम से 3 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीजोंपचार करके बुआई करें। जो भी पौधा रोग ग्रस्त हो चुका है उसे जल्द से जल्द खेत से उखाड़ कर जला दें।

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