भारत की 80 प्रतिशत जरूरत पूरी करेगा प्रदेश, ईवी इंडस्ट्री का बढ़ेगा आत्मनिर्भर
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के बादल अब राजस्थान में लिथियम का भंडार मिला है। इस खबर से ईवी इंडस्ट्री काफी खुश नजर आ रही है। क्योंकि लिथियम को विदेशों से इंपोर्ट किया जाता है, जिसके चलते इसकी कीमतें महंगी होती है। लिथियम का इस्तेमाल ईवी में लगने वाली बैटरी में होता है। वर्तमान में अधिकतर ईवी लिथियम आयन बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है। राज्य सरकार के अधिकारियों ने कहा कि राजस्थान के डेगाना में लिथियम के भंडार का पता लगाया गया है। खनन के साथ-साथ भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के अधिकारियों ने कहा कि भंडार हाल ही में जम्मू और कश्मीर में पाए गए भंडार से अधिक बड़ा है। अधिकारियों का मानना है कि यहां लीथियम की मात्रा देश की 80 फीसदी मांग को पूरा कर सकती है।
खत्म होगी चीन पर निर्भरता
मौजूदा समय में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है। देश वर्तमान में अपनी तेल की जरूरतों का 80 प्रतिशत हिस्सा अन्य देशों से खरीदता है। इसकी वजह से देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव पड़ता है। इतनी बड़ी मात्रा में मिले लिथियम भंडार को विकसित करके, भारत आयातित तेल पर अपनी निर्भरता कम कर सकता है और विदेशी मुद्रा में अरबों डॉलर बचा सकता है।
वहीं, दूसरी ओर तेल के अलावा भारत इलेक्ट्रिक वाहन के निर्माण को लेकर भी विशेषकर चीन पर आश्रित है। भारत अपनी लिथियम जरूरतों को चीन से आयात करके पूरा करता है। ऐसे में देश के लिए ये स्वर्णिम मौका है जब वो अन्य देशों से निर्भरता कम कर सकता है।
ईवी इंडस्ट्री का होगा कायाकल्प
इलेक्ट्रिक वाहनों में सबसे महत्वपूर्ण घटक लिथियम बैटरी ही होता है। देश में हुई लिथियम भंडार की खोज भारत को लिथियम की तेजी से बढ़ती वैश्विक कीमतों से बचा सकता है। देश में इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन तेजी से किया जा सकेगा।
अभी तक हम लिथियम के लिए विदेशी बाजार पर निर्भर थे, अब देश में मौजूद पर्याप्त लिथियम की मदद से इलेक्ट्रिक कारों की लागत भी घटेगी। इसका सीधा लाभ ग्राहकों को कार की कीमतों में मिलेगा। जैसे-जैसे इसका संचय होता रहेगा, भारतीय ईवी निर्माता कंपनियां घरेलू बाजार से लेकर विदेश तक अपनी कारों का सेल कर सकेंगी।
रोजगार के खुलेंगे अवसर
लिथियम के इतने बड़े जखीरे को रातों-रात तो रिफाइन करना संभव नहीं है। यह एक लंबी प्रक्रिया होगी, जिसमें अनेकों रोजगार के अवसर भी खुलने वाले हैं। भारी मात्रा में उपलब्ध इस लिथियम को काम में लाने के लिए कौशल और प्रौद्योगिकी की आवश्यकता होती है।
इसे स्वदेशी रूप से विकसित करके कुशल श्रमिकों के लिए रोजगार का अवसर प्रदान किया जा सकता है। इसके अलावा, लिथियम भंडार का विकास विदेशी निवेश और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को भी आकर्षित करेगा, जो देश के आर्थिक विकास को और बढ़ावा देगा।
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