लिविंगार्ड एजी ने भारत में लिविंगार्ड-केयर्स पहल की शुरुआत की

बीएमसी, मुंबई पुलिस, आईटी विभाग और अन्य विभागों को 50,000 दोबारा उपयोग में आने वाले मास्क और 43,500 दोबारा उपयोग में आने वाले सैनिटरी नैपकिन दान करने के लिए पैडस्क्वाड के साथ साझेदारी की

मुंबई । इस महामारी ने पूरी दुनिया में लोगों के व्यवहार के तरीके को बदल दिया है; जिसे पहले कभी सामान्य व्यवहार माना जाता था उसमें अब पूरी तरह बदलाव आ चुका है। सचमुच पूरी दुनिया अचानक थम सी गई थी और लोगों को अपने प्रियजनों की सुरक्षा के लिए सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए उनसे दूर रहना पड़ा। हम सभी के लिए अपने काम पर जाना, इधर-उधर घूमना, परिवार के सदस्यों से मिलना-जुलना, दोस्तों से मिलना-जुलना बेहद कठिन, अधिक खतरनाक या असंभव प्रतीत होने लगा। हम में से अधिकांश लोग अपने घरों की चारदीवारी में कैद होने का जोखिम उठा सकते थे, लेकिन कई ऐसे लोग भी थे जिन्हें ऐसी सहूलियत उपलब्ध नहीं थी। हमें सुरक्षित और स्वस्थ रखने में हमारे समाज में रहने वाले डॉक्टर और नर्स, पुलिस अधिकारी, दुकान के रखवाले, कचरा बीनने वाले, आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोग तथा इसी प्रकार के काम करने वाले अन्य लोग बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिन्हें अपनी नौकरी के स्वरूप की वजह से इस वायरस का हर दिन बहादुरी से सामना करना पड़ता है। ऐसे लोगों को कोविड-19 के खिलाफ सर्वश्रेष्ठ सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से पूरी दुनिया में जाने-माने हाइजीन ब्रांड, लिविंगार्ड एजी ने अपनी वैश्विक पहल, “लिविंगार्ड-केयर्स” के एक हिस्से के रूप में 50,000 दोबारा उपयोग में आने वाले मास्क और 43,500 दोबारा उपयोग में आने वाले एवं एंटीमाइक्रोबियल सैनिटरी नैपकिन, “साफकिन्स” दान करने के लिए ‘पैडस्क्वाड’ के साथ भागीदारी की है। इस पहल के लाभार्थियों में मुंबई पुलिस, बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC), राज्य महिला विकास निगम, आयकर विभाग, महाराष्ट्र समुद्री बोर्ड तथा शहरी झुग्गियों के निवासी एवं आसपास के इलाकों के दुकानदार शामिल हैं। बर्लिन की फ्रेई यूनिवर्सिटी तथा यूनिवर्सिटी ऑफ एरिज़ोना के डिपार्टमेंट ऑफ एनवायर्नमेंटल साइंस के शोधकर्ताओं ने इस बात को वैज्ञानिक तरीके से साबित कर दिखाया है कि, लिविंगार्ड तकनीक के साथ विकसित टेक्सटाइल 99.9% बैक्टीरिया एवं वायरस को नष्ट करने में सक्षम है, जिसमें SARS-CoV-2 (कोविड-19 का कारण बनने वाले वायरस) भी शामिल हैं। इसके अलावा, इन्हें पुनः उपयोग में लाया जा सकता है तथा इन्हें 6 महीनों की अवधि तक धोकर बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है, और इस तरह ये लगभग 210 सिंगलयूज़ मास्क के बराबर हैं।

इस पहल के बारे में जानकारी देते हुए श्री संजीव स्वामी, संस्थापक, आविष्कारक एवं सीईओ, लिविंगार्ड एजी, ने कहा, “हमारे फ्रंटलाइन कर्मचारियों को हर दिन इस वायरस का सामना करना ही पड़ता है। लिविंगार्ड में हम यह महसूस करते हैं कि, हमारी सुरक्षा के लिए सबसे आगे रहने वाले इन लोगों की हमें सबसे अधिक मदद करनी चाहिए। यह बात वैज्ञानिक तौर पर प्रमाणित हो चुकी है कि हमारी टेक्नोलॉजी SARS-CoV-2 वायरस को 99.9% तक नष्ट करने में सक्षम है, और लिविंगार्ड टेक्नोलॉजी से तैयार किए गए मास्क पूरी दुनिया में कोविड वारियर्स की रक्षा कर रहे हैं। हमारे मास्क धोने योग्य और दोबारा उपयोग में लाने योग्य हैं और ज्यादातर कॉटन से बने हैं, इसी वजह से ये पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ हैं। हमारी शोध के नतीजे बताते हैं कि अगर एक मिलियन लोग 210 बार (6 महीने तक) रियूज़ेबल लिविंगार्ड मास्क का उपयोग करते हैं, तो हम 36,000 टन कचरा उत्पन्न होने से रोक सकते हैं। हमारे मास्क को हफ्ते में सिर्फ एक बार पानी से धोना चाहिए और इस तरह आप 6 महीनों तक इस मास्क का इस्तेमाल कर पाएंगे। हमारे “साफकिन्स” – दोबारा उपयोग में लाने योग्य, धोने योग्य, पीरियड पैंटी एवं नैपकिन – भी लिविंगार्ड की क्रांतिकारी एंटीमाइक्रोबियल टेक्नोलॉजी से बनाए गए हैं; सिर्फ 2 “साफकिन्स” महिलाओं और लड़कियों को पूरे साल के लिए सैनिटरी सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं, और इस तरह पर्यावरण पर पड़ने वाले बोझ को काफी हद तक कम किया जा सकता है। लिविंगयार्ड में, हम अपने हर कार्य में लोगों के साथ-साथ इस धरती की सेहत को अनिवार्य मानते हैं जिन्हें एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता है, और यही हमारा बुनियादी सिद्धांत है। इस ऐतिहासिक साझेदारी में हमें एक ऐतिहासिक साझेदारी में पैडस्क्वाड, बीएमसी, मुंबई पुलिस, आईटी विभाग और मैरीटाइम बोर्ड के साथ मिलकर काम करते हुए बेहद खुशी हो रही है, जो पूरी तरह स्वस्थ एवं अधिक संवहनीय भविष्य के लिए निजी, सार्वजनिक और सामाजिक क्षेत्रों को एकजुट करने की दिशा में एक साहसिक कदम है।”

इस अवसर पर बृहन्मुंबई नगर निगम के अतिरिक्त नगर आयुक्त, श्री पी. वेलरासु ने कहा, “लिविंगार्ड, पैडस्क्वाड और लिव टू गिव के साथ साझेदारी करके हमें बेहद प्रसन्नता हो रही है। लिविंगार्ड के बेजोड़ और इनोवेटिव एंटीवायरल मास्क हमारे फ्रंटलाइन कर्मचारियों को सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं क्योंकि वे मुंबई के नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए हर दिन वायरस से लड़ते हैं। लिविंगार्ड टेक्नोलॉजी इस दिशा में सबसे आगे है जिसकी मदद से धोने योग्य और 6 महीने तक दोबारा उपयोग में लाने योग्य मास्क का निर्माण संभव हुआ है, और इस तरह पारंपरिक तौर पर इस्तेमाल होने वाले सिंगलयूज मास्क से उत्पन्न कचरे में काफी कमी आती है। हमें खुशी है कि लिविंगार्ड लोगों के साथ इस धरती की रक्षा करने की हमारी मुहिम में शामिल हो गया है।

चर्चा को आगे बढ़ाते हुए श्री संदीप कार्णिक, ADDL.C.P. मुंबई, अपराध शाखा, ने कहा, “अत्याधुनिक तकनीक से निर्मित लिविंगार्ड के एंटीवायरल मास्क हमारे सुरक्षा बल के जवानों के लिए कवच का काम करेंगे तथा उनकी हिफाजत करेंगे, ताकि वे निडर होकर अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें।मौजूदा हालात कल्पना से परे है, और ऐसी परिस्थितियों में लिविंगार्ड, लिव टू गिव तथा पैडस्क्वाड जैसे भागीदारों के साथ मिलकर हम इन चुनौतियों का डटकर मुकाबला कर सकते हैं। लिविंगार्ड की क्रांतिकारी टेक्नोलॉजी से बनाए गए रियूज़ेबल सैनिटरी नैपकिन, “साफकिन्स” भी हमारे सुरक्षा बल की महिला कर्मियों के लिए बेहद उपयोगी हैं, और इस तरह उन्हें ड्यूटी पर रहते हुए स्वास्थ्य और स्वच्छता के उच्चस्तरीय मानकों को बरकरार रखने में काफी मदद मिलेगी। हमें उम्मीद है कि यह साझेदारी सभी के लिए लाभप्रद होगी तथा हम लंबे समय की साझेदारी के लिए पूरी तरह तैयार हैं।”सभी के लिए लाभप्रद होगी तथा हम
लंबे समय की साझेदारी के लिए पूरी तरह तैयार हैं।”

लिविंगार्ड-केयर्स के माध्यम से, लिविंगार्ड ने महाराष्ट्र, सुंदरवन (पश्चिम बंगाल), तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के आदिवासी इलाकों में महिलाओं और लड़कियों को 40,000 “साफकिन्स” प्रदान करने के लिए ‘पैडस्क्वाड’ के साथ साझेदारी की है। “साफकिन्स” की शुरुआती कीमत सिर्फ 200 रुपये है, जिसे बहते पानी में आसानी से धोया जा सकता है और 1 साल तक दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है। लिविंगार्ड ने पैडस्क्वाड के माध्यम से 15,000 मास्क भी दान किए हैं, जिन्होंने पिछले साल क्रिसमस के दौरान मुंबई के शहरी झुग्गियों और सड़क पर रहने वाले बेसहारा लोगों को सुरक्षा प्रदान की है और स्वतंत्रता अनुदान अभियान का संचालन किया है।

इस सफर के बारे में टिप्पणी करते हुए, चित्रा सुब्रमण्यम, सह-संस्थापक, पैडस्क्वाड, ने कहा, “इस पहल को अगले पायदान तक ले जाने के लिए, लिविंगडर्ड एजी ने बीएमसी और मुंबई पुलिस में हमारे फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं तक पहुंचने के लिए पैडस्क्वाड के साथ इस साझेदारी को बरकरार रखा है, ताकि हमारी सुरक्षा में तैनात लोगों की सुरक्षा में मदद की जा सके। ‘लिव टू गिव’ के मार्ज़ी पारख के जबरदस्त सहयोग के जरिए ही हम मास्क को हमारे बीच रहने वाले गुमनाम नायकों, हमारे फ्रंटलाइन कर्मचारियों तक पहुंचाने में सक्षम हो पाए हैं, जिन्हें सही मायने में सुरक्षा की सबसे ज्यादा जरूरत है।”

लिविंगार्ड एजी लोगों को जीवन-यापन के नए ढंग के साथ अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है, साथ ही इसे बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत है। विश्व स्तर पर, लिविंगार्ड-केयर्स हंटिंगटन (इंडियाना), अमेरिका, वुर्जबर्ग, कोलोन और श्विनफर्ट, जर्मनी तक पहुंच गया है। लिविंगार्ड यूरोप एवं अमेरिका में कार्यरत स्थानीय पुलिस बलों, अग्निशमन कर्मचारियों, दुकानदारों, गैर-लाभकारी संगठनों और अन्य फ्रंटलाइन कर्मचारियों की सेवा के प्रति आभार प्रकट करते हुए उन्हें रियूज़ेबल मास्क उपलब्ध कराया है, जिन्हें अपने प्रिय जनों से दूर रहकर काम करने के लिए विवश होना पड़ा है। इस तरह के अभूतपूर्व संकट एवं बेहद प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए पूरी दुनिया के समुदाय आज एकजुट (एक-दूसरे से अलग रहते हुए भी) हो चुके हैं, और इस अंतहीन संघर्ष में सभी लोगों ने साथ मिलकर इस साझा समस्या का सामना किया है। साल 2021 की शुरुआत में, 7 बिलियन लोग अपने देश की सरकारों और वैज्ञानिकों से आस लगाए बैठे हैं, ताकि उनके लिए पूरी दुनिया वैसी ही बन जाए जैसी पहले थी। लिविंगार्ड एजी को उन लोगों को सुरक्षा उपलब्ध कराने पर गर्व का अनुभव हो रहा है जो इस दिशा में दिन-रात अथक प्रयास कर रहे हैं, और इस ऐतिहासिक साझेदारी के बाद हमें पूरी उम्मीद है कि हम लोगों के साथ धरती की सुरक्षा के अपने मिशन में कामयाब होंगे।