लोन मोराटोरियम पर अब 5 अक्टूबर को होगी सुनवाई

3 नवंबर तक एनपीए घोषित नहीं होंगे बैंक खाते

नई दिल्ली। लोन मोराटोरियम को बढ़ाने और ब्याज पर ब्याज माफी को लेकर सोमवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर विचार कर रही है और दो या तीन दिनों के भीतर निर्णय लिए जाने की संभावना है। मेहता ने कोर्ट से कहा कि वह गुरुवार तक हलफनामा सर्कुलेट करने का प्रयास करेंगे और मामले की सुनवाई सोमवार को हो सकती है।

याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील राजीव दत्ता ने पीठ के समक्ष दलील दी कि इस मामले को जल्द से जल्द सुना जाए, और मामले में हलफनामा दायर करने के लिए केंद्र की ओर से समय मांगने पर आपत्ति नहीं जताई। इसके बाद जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने इस मामले को सुनवाई के लिए 5 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया।

आर्थिक मुद्दे सामने आ रहे हैं – सॉलिसिटर जनरल

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट से कहा कि इस मामले में कुछ आर्थिक मुद्दे सामने आ रहे हैं। इन मुद्दों को सुलझाने के लिए और समय की आवश्यकता है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले में 1 अक्टूबर तक एफिडेविट दाखिल करने को कहा है।

3 नवंबर तक एनपीए नहीं होंगे बैंक खाते

सुप्रीम कोर्ट ने 3 सितंबर को कहा था कि लोन का भुगतान नहीं करने वाले बैंक खातों को 2 महीने तक एनपीए घोषित नहीं किया जाए। आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि बैंक खातों को 2 महीने तक एनपीए घोषित नहीं करने का आदेश जारी रहेगा। यानी बैंक 3 नवंबर तक भुगतान नहीं करने वाले खातों को एनपीए घोषित नहीं कर सकेंगे।

पिछली सुनवाई में दिया था दो सप्ताह का समय

10 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर ठोस फैसला लेने के लिए केंद्र सरकार को दो सप्ताह के समय दिया था। कोर्ट ने कहा था कि केंद्र को यह अंतिम मौका दिया जा रहा है। सुनवाई के दौरान केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह इस मामले को लेकर बैंकों और अन्य हितधारकों से बातचीत कर रहा है। इस संबंध में दो से तीन राउंड की बैठक हो चुकी है और मामले का परीक्षण किया जा रहा है।

केंद्र सरकार ने गठित की है एक्सपर्ट कमेटी

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने 10 सितंबर को महर्षि कमेटी का गठन किया था। इसके बाद सरकार ने पूर्व सीएजी राजीव महर्षि की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी में आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व प्रोफेसर रविंद्र एच ढोलकिया और एसबीआई-आईडीबीआई बैंक के पूर्व एमडी बी. श्रीराम भी शामिल हैं।