मणिमेकलई का रहा विवादों से नाता

मामा से शादी का दवाब बना तो घर से भागी थी

जानें कौन है फिल्म काली बनाने वाली मणिमेकलई

नई दिल्ली। देशभर में इन दिनों धार्मिक आधार पर लगातार विरोध और प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। नुपुर शर्मा के विवादित बयान के बाद भड़की यह आग देशभर में फैल चुकी है। ऐसे में अब बीते दिनों एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म काली के पोस्टर पर खूब बवाल मचा हुआ है। हाल ही में सामने आए फिल्म के इस पोस्टर में मां काली को सिगरेट पीते दिखाया गया है। साथ ही उनके हाथ में एलजीबीटीक्यू का झंडा भी नजर आ रहा है। पोस्टर के सामने आने बाद से ही सोशल मीडिया पर इसका कड़ा विरोध किया जा रहा है। फिल्म के पोस्टर के चर्चा में आने के बाद से इस डॉक्यूमेंट्री को बनाने वाली फिल्ममेकर लीना मणिमेकलई भी सुर्खियों में हैं।

जिंदगी में देखे कई संघर्ष

इन दिनों अपनी फिल्म काली को लेकर खूब सुर्खियां बटोर रहीं लीना का विवादों से गहरा नाता रहा है। वह पहले भी अपनी कई फिल्मों को लेकर विवादों में रही है। हालांकि, विवादों में रहने वालीं लीना ने अपनी निजी जिंदगी में काफी संघर्ष देखा है। उन्होंने अपने जीवन में सामाजिक, पारिवारिक और आर्थिक सभी स्तर पर संघर्ष किया है। लीना मणिमेकलई मदुरै के दक्षिण में स्थित सुदूर गांव महाराजापुरम से ताल्लुर रखती हैं। उनके पिता कॉलेज में एक लेक्चरर थे। वह जिस गांव में रहती थीं, वहां प्रथा थी कि किशोरावस्था आते ही लड़की की शादी उसके मामा से कर दी जाती थी।

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एक नजर में हो गया प्यार

इस प्रथा के बारे में जब लीना को पता चला तो वह अपनी शादी के समय घर से भाग गई। वह चेन्नई पहुंचीं जहां उन्होंने तमिल मैगजीन विकटन के ऑफिस में नौकरी के लिए आवेदन किया। लेकिन तब ऑफिस वालों से उनके घरवालों से संपर्क कर उन्हें वापस उनके परिवारवालों को सौंप दिया। इसके बाद लीना ने किसी तरह अपने घरवालों को मनाकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की। इसी बीच कॉलेज के आखिरी साल में लीना के पिता की मौत हो गई। पिता की मौत के बाद लीना ने तमिल डायरेक्टर पी भारथीराजा पर उनके पिता द्वारा लिखी गई डॉक्टरल थीसीस को किताब के रूप में छापने का फैसला किया।
इस किताब को पब्लिश करवाने के लिए वह वापस चेन्नई गईं। इस दौरान वह फिल्म मेकर पी भारथीराजा से भी मिली, जिन्हें देखते ही उन्हें प्यार हो गया। निर्देशक संग लीना के रिलेशन की खबरों ने तब काफी सुर्खियां बटोरीं। इन खबरों के बारे के सामने आते ही उनकी मां ने खाना-पीना बंद कर दिया और बेटी को वापस घर आने को कह दिया। ऐसे में मां की बिगड़ती हालत देख लीना सिनेमा और भारथीराजा को छोड़ वापस घर लौट आईं। बाद में कई जगह नौकरी करने के बाद उन्होंने आखिर में शोषण का शिकार लोगों और सामाजिक मुद्दों की आवाज बनने की ठानी। इस तरह उन्होंने साल 2002 में अपनी पहली फिल्म मथम्मा पर काम करना शुरू किया। इसके बाद वह लगातार आगे बढ़ती गईं।

सेंगडल पर भी हुआ था विवाद


अपनी हालिया फिल्म को लेकर विवादों में फंसीं लीना पहले भी अपनी फिल्मों को लेकर विवादों में रही थी। उन्होंने साल 2011 में पहली फीचर फिल्म सेंगडल रिलीज की, जो धनुष्कोड़ी के मछुआरों पर आधारित थी। लीना की इस फिल्म को लेकर काफी विवाद हुआ था। फिल्म को लेकर बवाल इतना बढ़ गया कि कानूनी पचड़े में पडऩे की वजह से इसको रिलीज में काफी देर हो गई थी। इतना ही नहीं उनकी इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया था। बोर्ड का कहना था कि सेंगडल में भारतीय और श्रीलंका सरकार पर कई अपमानजनक और राजनीतिक टिप्पणी की गई है। इसके अलावा अपनी फिल्म व्हाइट वैन स्टोरीज लेकर भी लीना विवादों में रही थीं।