
प्रदेशाध्यक्ष की नई टीम बनेगी, जानिए- क्या होंगे बदलाव?
जयपुर। बीजेपी में प्रदेशाध्यक्ष बदलने के बाद संगठन में कई और बदलाव होने की संभावना है। टॉप से लेकर जिला और ब्लॉक लेवल तक फेरबदल किए जाने की संभावना है। चुनावी साल होने के कारण इन बदलावों को जल्द अंतिम रूप दिया जा सकता है। नए प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति को बदलावों की शुरुआत के तौर पर ही देखा जा रहा है। आगे अब प्रदेश प्रभारी और संगठन महासचिव को भी बदला जा सकता है।

नए सिरे से संगठन की टीम बनेगी और बीजेपी इसी टीम को लेकर चुनाव मैदान में उतरेगी। आम तौर पर हर अध्यक्ष संगठन में अपनी टीम बनाता है। सीपी जोशी के आने के बाद प्रदेश कार्यकारिणी से लेकर जिलों तक कुछ बदलाव जरूर होंगे। 8 महीने बाद विधानसभा चुनाव और फिर उनके पांच महीने बाद ही लोकसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में संगठन के स्तर पर होने वाली नियुक्तियों का काम जल्द होने के आसार हैं।
संगठन में नई टीम से सभी गुटों को साधने की कोशिश

सीपी जोशी की पहली सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के सब धड़ों को साथ लेकर चलना और उनमें स्वीकायर्ता बरकरार रखने की होगी। ऐसे में यह माना जा रहा है कि संगठन की टीम में सीनियर और नई जनरेशन का गुड मिक्स रखा जाएगा। असंतुष्ट नेताओं को भी इसी के जरिए साधा जाएगा। सीएम फेस के दावेदार नेताओं को भी अहमियत देकर इगो सेटिसफेक्शन की दिशा में काम हो सकता है। सीपी जोशी ने कल गुटबाजी के सवाल पर कहा था कि जिस तरह की चर्चाएं पहले होती थीं, वो अब नहीं होंगी। सबको साथ लेकर कार्यकर्ता के रूप में काम करूंगा।
चुनावी कमेटियों में शामिल चेहरों से तय होगा सियासी नरेटिव
नए प्रदेशाध्यक्ष के सामने चुनावी तैयारियों को जमीन पर उतारने का भी टास्क होगा। इस बार बीजेपी माइक्रो बूथ मैनेजमेंट के मॉडल पर काम कर रही है। आने वाले दिनों में चुनावी कमेटियां बननी हैं। चुनावी कमेटियों में कैंपेन कमेटी सबसे अहम हैं, उसमें शामिल चेहरों से आने वाले दिनों का सियासी नरेटिव तय हो जाएगा। चुनावी कमेटियों में शामिल चेहरों पर केंद्रीय नेतृत्व फैसला करेगा, लेकिन इनमें जो भी चेहरे शामिल होंगे उनसे भावी लीडरशिप को लेकर भी संकेत मिलेगा।
संगठन महामंत्री और प्रदेश प्रभारी के स्तर पर भी बदलाव की चर्चा
बीजेपी में संगठन महामंत्री और प्रदेश प्रभारी के स्तर पर भी बदलाव होने की अटकलें लगाई जा रही हैं। संगठन महामंत्री के पद पर लंबे समय से बदलाव की चर्चाएं हैं। बीजेपी में यह पद बहुत अहम होता है, क्योंकि आरएसएस से समन्वय का काम संगठन महामंत्री के जिम्मे होता है। मौजूदा संगठन महामंत्री चंद्रशेखर को बीजेपी के सत्ता में रहते हुए राजस्थान भेजा गया था। उनकी जिम्मेदारी में बदलाव का फैसला भी जल्द होने की संभावना है।
चेहरों के बिना चुनाव जीतने का मॉडल जमीन पर उतारने का टास्क
बीजेपी के माइक्रो बूथ मैनेजमेंट के गुजरात मॉडल को राजस्थान में नए रूप में पहली बार आजमाने की तैयारी है। इस मॉडल के जरिए हर कार्यकर्ता को बूथ के लेवल पर वोटर्स से लगातार संपर्क में रहने का टास्क दिया जाता है। वोटर्स को वोट डलवाने तक की जिम्मेदारी कार्यकर्ताओं की होती है। गुजरात में बीजेपी इस मॉडल को सफलता से आजमा चुकी है। इस मॉडल में बिना बड़े चेहरे के भी चुनाव जीतने का मैकेनिज्म तैयार किया गया है। इस मॉडल को करीब करीब हर चुनाव में अपनाया जा रहा है। बीजेपी ने इस मॉडल की हर स्तर पर ट्रेनिंग भी दे दी है।
पहले अपनाए गए विस्तारक मॉडल में सुधार करके यह व्यवस्था बनाई गई है। नए प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी के सामने इसी मॉडल को अपनाकर चुनावी कामयाबी हासिल का लक्ष्य होगा। सात महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने अपने नए वजीर की ताजपोशी कर दी है। राजस्थान की चुनावी शतरंज पर भाजपा सोच-समझकर अपनी चाल रही है। इसी सोची-समझी रणनीति के तहत सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। आखिर चुनाव से ऐन पहले इस तरह का चौंकाने वाला फैसला पार्टी ने क्यों किया? इससे भाजपा को क्या फायदा होगा और कैसे अब अगले कुछ ही महीनों में भाजपा की चुनावी बिसात बिछी हुई नजर आएगी।
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