जोधपुर में एमबीए पास बिजनेसमैन बना लड़की

जोधपुर में लकड़ा बना लड़की
जोधपुर में लकड़ा बना लड़की

कई लड़कों में से किसी एक को करते हैं सिलेक्ट, पहनाए गए 2 करोड़ के गहने

जोधपुर। एक लड़का…जो पेशे से बिजनेसमैन और महज 5 घंटे में उसे लड़की बना दिया गया। दुल्हन की तरह उसे सजाया और पहनाए गए 3 किलो के जेवरात, जिनकी कीमत लगभग 2 करोड़ रुपए। सुनकर हैरानी होगी लेकिन, ऐसा ही नजारा शुक्रवार रात जोधपुर की तंग गलियों में देखेने को मिला।

जोधपुर में लकड़ा बना लड़की
जोधपुर में लकड़ा बना लड़की

मौका था..गणगौर पर्व पर होने वाले फागड़ घुड़ला मेले का। दरअसल, जोधपुर शहर में 55 सालों से फगड़ा घुड़ला मेले का आयोजन किया जाता है। शोभायात्रा में 50 से तरह की झांकियां शामिल होती हैं और शामिल किया जाता है एक युवक को जो लड़की बनकर सिर पर लोटिया (लोटा) उठाकर चलता है। इस पर्व को महिलाओं की मुक्ति के तौर पर मनाया जाता है। जिसके पीछे मुगलों के एक सूबेदार घुड़ले खान से जुड़ा वाक्या है।

जोधपुर में लकड़ा बना लड़की
जोधपुर में लकड़ा बना लड़की

लेकिन, लड़के को लड़की बनाने की परंपरा के पीछे कई दिनों की मेहनत होती है। और, इस बार सिलेक्ट किया गया रूक्च्र पास 29 साल के बिजनेसमैन निखिल गांधी को। निखिल गांधी का दुल्हन की तरह शृंगार किया गया। इसमें उन्हें करीब 5 घंटे का समय लगा और इसके बाद वे देर रात करीब 10 बजे इस मेले में पहुंचे। दरअसल, फगड़ा घुड़ला मेले के लिए हर साल किसी एक लड़के को लड़की जैसा शृंगार करवाने के लिए सिलेक्शन करवाया जाता है। और, इस बार निखिल को चुना गया। निखिल का पुश्तैनी परफ्यूम का कारोबार है। निखिल ने बताया कि इस संस्कृति को बचाए रखने और परंपरा के तहत जब सिलेक्शान हुआ तो तुरंत ही घुड़ला उठाने के लिए हां कर दी।

इस तरह से करते हैं सिलेक्ट

जोधपुर में लकड़ा बना लड़की
जोधपुर में लकड़ा बना लड़की

फगड़ा घुड़ला मेले में जो युवक महिला बनता है उसे शृंगार कर घुड़ला ऊंचा कर चलना होता है। इसके लिए शहर के भीतरी कॉलोनियों में युवाओं से फोटो मांगी जाती है। इसके बाद बेहतरीन फोटो के आधार पर फगड़ा घुड़ला कमेटी महिला बनने वाले युवक का सिलेक्शन करती है। इस बार भी 100 से ज्यादा फोटो आए थे। इनमें से एक को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है और सिलेक्शन किया जाता है। इतना ही नहीं इस सिलेक्शन के बाद उन्हें घुड़ला ऊंचा कर चलने की प्रैक्टिस भी करवाई जाती है।

3 किलो सोने की ज्वेलरी

जोधपुर में लकड़ा बना लड़की
जोधपुर में लकड़ा बना लड़की

इस मेले में महिला बनने वाला पुरुष को करीब 3 किलो तक सोने के गहने पहनाए जाते हैं। निखिल को भी इतने गहने पहनाए गए। ज्वेलरी में सजे निखिल पूरे मेले के दौरान आकर्षण का केंद्र रहे। उनका है कि ट्रेडिशन का हिस्सा बनकर वे काफी खुश हैं। सबसे पहले साल 1969 में सर्वप्रथम लेखराज ने महिला का वेश धरा था। इसमें नैनसा ने घुडला उठाया। मेले की शुरुआत के सहयोगी राम भजन गांधी, हरिशंकर गांधी, हंसराज गांधी, रामस्वरूप गांधी हैं। वर्तमान में इसके अध्यक्ष भगवतीलाल शर्मा है।

बारिश की वजह से देर रात शुरू हुई शोभायात्रा

इस बार 55वां फगड़ा घुड़ला मेले का आयोजन हुआ। शुक्रवार शाम करीब 7 बजे ये शोभायात्रा निकलनी थी, लेकिन बारिश के चलते रात 10:30 बजे ओलिंपिक रोड से इसकी शुरुआत हुई। जो जालोरी गेट, खांडा फलसा, आड़ा बाजार, कटला बाजार से होते हुए नई सड़क पर देर रात विसर्जित हुई। इसके साथ ही इसमें करीब 50 से ज्यादा झांकियां भी थी। बच्चों ने भी अलग-अलग तरह के स्वांग रचे।

इस मेले की खास बात ये होती है कि जो युवक लड़की बनता है वह मेले के सबसे आखिर में लोटिया उठाकर चलता है। इसके बाद शोभायात्रा जब घंटाघर पहुंची तो गवर माता को जलार्पण करवा प्रसाद चढ़ाकर विसर्जन किया गया। इसके बाद मध्यरात्रि में पुन: इसी रास्ते गवर माता अपने स्थान पर पहुंची। इस मौके पर राखी हाउस पर गणगौर माता का खांडा फलसा, कुम्हारिया कुआं व आडा बाजार गणगौर समिति द्वारा प्रसाद चढ़ाया गया। वहीं राखी हाउस गणगौर समिति द्वारा इनके ईसरजी का पूजन कर प्रसाद चढ़ाया गया। इसके बाद गवर माता को मंदिर में विराजित किया गया।

ये है फागड़ा घुड़ला की मान्यता

इस दौरान एक गीत गाया जाता है घुड़लो घूमे ला जी घूमेला…अर्थात घूड़ला घूमता ही रहेगा। ये छोटी सी मटकी या घड़ा, दरअसल सालों पहले मारे गए मुग़ल सूबेदार घुड़ले खान के कटे हुए सिर का प्रतीक मानी जाती है। इसे मारकर महिलाओं को आजाद कराया गया था इसलिए हर साल इसके कटे हुए सर को लेकर घूमने की परंपरा है।

मनाया गया था विजयी उत्सव

जोधपुर में लकड़ा बना लड़की
जोधपुर में लकड़ा बना लड़की
  • जोधपुर की स्थापना करने वाले राव जोधा के पुत्र राव सातल ने वर्ष 1545 में मारवाड़ की गद्दी पर बैठे। इनके दो पुत्र थे दूदाजी व परसिंह।
  • इनके राज में अजमेर के शाही सूबेदार मीर घुड़ले खान, मल्लू खान व सीरिया खान ने बड़ी सेना लेकर जोधपुर के पीपाड़ में हमला कर दिया।
  • इस शाही सेना ने पीपाड़ में भारी लूटपाट कर महिलाओं को किडनैप किया और रवाना हो गए।
  • सूचना मिलने पर राव सातल ने अपने दोनों पुत्रों के साथ मिलकर शाही सेना पर कोसाणा के निकट हमला बोला।
  • इस युद्ध में राव सातल ने घुड़ले खान को मार कर महिलाओं को मुक्त कराया, लेकिन खुद मारे गए।
  • युद्ध के बाद घुड़ले खान का सिर जोधपुर लाया गया और मारवाड़ में विजयी उत्सव मनाया गया।

हर साल घड़े में छेद करके बनाए जाते हैं जख्म-

महिलाओं की मुक्ति के इस पर्व को उसके बाद से हर साल मनाया जाता है। इसके तहत महिलाएं मिलकर एक छोटा घड़ा खरीदती है। इस घड़े पर घुड़ले खान के चेहरे पर हुए घाव के प्रतीक के रूप में छेद करवाती है। इसके बाद घड़े को रंगों की आकर्षक कलाकारी से रंग कर इसमें एक दीपक रख वे गीत गाती हुई शहर में रोज शाम को घूमने निकलती हैं। किसी के घर जाने पर वहां की महिलाएं इनका स्वागत करती हैं और दीपक के दर्शन कर उस पर चढ़ावा चढ़ाती हैं।

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