रूस-यूक्रेन के बीच यह समझौता कर सकता है युद्ध‌ विराम? जानें क्या है समझौता

रूस-यूक्रेन

एमओयू के बाद बंध रही है रूस-यूक्रेन में युद्ध विराम की उम्मीद

कीव। रूस-यूक्रेन के बीच 151 दिन से युद्ध‌ जारी है। पहली बार इस युद्ध में रूस-यूक्रेन के बीच एक मुद्दे पर समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत यूक्रेन अब काला सागर के जरिए अनाज निर्यात कर सकेगा। इससे यूक्रेन में लाखों टन अनाज का निर्यात हो सकेगा। ऐसे में इस समझौते को युद्ध विराम की दिशा में बड़ा कदम माना जाए या युद्ध‌ पर इसका कोई सकारात्म असर दिखाई नहीं देगा। यह सवाल यक्ष प्रश्न बना हुआ है। गौरतलब है कि रूस की ओर से शुरू किए गए युद्ध‌ के बाद खारकीव, मरियुपोल, ओदेसा और ना जाने अन्य कितने शहर खंडहर में बदल चुके हैं। इन सबके बीच एक अहम बात यह है कि इस समझौते के लिए तुर्की ने खास भूमिका निभाई है। इससे यह उम्मीद जताई जा रही है कि तुर्की इन दोनों देशों के बीच युद्ध‌ खत्म करने की दिशा में सकारात्मक पहल कर सकता है। विदेश मामलों के जानकार प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि तुर्की इस समझौते में अहम कड़ी रहा है। इससे यह तो सिद्ध हो गया है कि तुर्की रूस-यूक्रेन जंग को रोकने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। नाटो का सदस्य होते हुए भी तुर्की ने अमेरिका के विरोध के बावजूद रूसी एस-400 मिसाइल का समझौता किया। तुर्की की रूस से नजदीकी होने के कारण कहा जा रहा है कि यह एक ऐसा मुल्क है जो रूस-यूक्रेन को एक टेबल पर ला सकता है। रूस-यूक्रेन के बीच मिरर समझौता कराने में उसका प्रमुख रोल रहा है। प्रो पंत ने कहा कि कहीं न कहीं अमेरिका रूस को यूक्रेन जंग में फंसा कर रखना चाहता है। अमेरिका जानता है कि युद्ध जितना लंबा चलेगा, उससे रूस उतना ही कमजोर होगा। इस जंग में यूक्रेन के साथ रूस को भी भारी क्षति हुई है। उधर, रूस जंग को अंजाम तक पहुंचाना चाहता है। रूस की यह रणनीति होगी कि इस जंग के बहाने वह तुर्की के उन इलाकों तक पहुंच जाए, जहां से नाटो देश उसके लिए खतरा बन सकते हैं। यही कारण है कि रूस ने इस युद्ध में पूर्वी यूक्रेन को निशाना बनाया है। पूर्वी यूक्रेन के जरिए ही नाटो रूस की घेराबंदी कर सकता है। ऐसे में यह जंग इतनी आसानी से और जल्द खत्म होने वाली नहीं लगती है।

मिरर समझौते में तुर्की की बड़ी भूमिका

गौरतलब है कि रूस-यूक्रेन मिरर समझौते में तुर्की की अहम भूमिका रही है। दोनों देशों में समन्वय और निगरानी का काम तुर्की के शहर इस्तांबुल में किया जाएगा। इस समझौते में दो माह का समय लगा है। इसे लेकर यहां संयुक्त राष्ट्र, तुर्की, रूस और यूक्रेन के अधिकारी काम करेंगे। फिलहाल यह समझौता चार माह के लिए हुआ है। अगर दोनों पक्षों की सहमति बनती है तो इस समझौते को आगे बढ़ाया जा सकता है। गौरतलब है कि यूक्रेन के अनाज का निर्यात रुकने से दुनियाभर में गेहूं से बने उत्पादों पर बड़ा संकट हो गया था। बाजार में ये उत्पाद और महंगे हो गए थे। शुरुआत में रूस ने यूक्रेन के साथ सीधा समझौता करने से इनकार कर दिया था। रूस ने यह भी चेतावनी दी थी कि किसी भी तरह के उकसावे का तुरंत सैन्य जवाब दिया जाएगा। इसलिए यह समझौता रूस या यूक्रेन में नहीं बल्कि तुर्की में हुआ है। समझौते के दौरान दोनों देशों के प्रतिनिधि एक मेज पर भी नहीं बैठे। पहले रूस के रक्षा मंत्री सेर्गेई शाइगु ने और फिर यूक्रेन के इन्फ्रास्ट्रक्चर मंत्री ओलेकसांद्र कुब्राकोव ने इस मिरर समझौते पर हस्ताक्षर किए। मिरर समझौता वह होता है, जिसमें किसी प्रस्ताव को बिना किसी बदलाव के स्वीकार कर लिया जाता है।

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