दुष्कर्म पर्यटन

शर्मनाक। अतिशर्मनाक। धिक्कारणीय। अति धिक्कारणीय निंदनीय। अति निंदनीय। शैम-शैम। लानतनीय। अति लातननीय। कमीनीय। अति कमीनीय। राक्षसीय। अति राक्षसीय। दानवीय। अति दानवीय। दैत्यीय। अति दैत्यीय। कुल जमा जितने कटके काढे जाएं, कम हैं। देश और दुनिया में जितनी गालिएं है और जिन-जिन भाषाओं में है-उन सब का वाचन। बेटियों के साथ जो हुआ और जो हो रहा है वह उससे भी बुरा। यह समय पीडि़त परिवार को गले लगाने का है। यह समय पीडि़त परिवार के साथ खड़े हो कर ढांढस बंधाने का है। यह समय गुनहगारों को उनके अंजाम तक पहुंचाने का है पर ऐसे संगीन मामलों में भी सियासत का जो गंदा खेल खेला जा रहा है। वह रेप पर्यटन और रेप पर रेप के समान घिनौना है। शहर की एक हथाई पर आज उसी के चर्चे हो रहे थे।


जैसा हमेशा होता है वैसा आज नही है। नो घुमाव-नो मोड़। नो उतार-नो चढाव। नो भूमिका-नो पृष्ठ भूमि। बात सीधी और सपाट। तीर सीधा मानखों की खाल में छुपे हिड़किए पशुओं की ओर। हथाई के नियमित पाठकों को याद होगा कि हम ने बहुत पहले सवाल उठाए थे-जवाब भी दिए थे। खुदी ने सवाल उठाए-खुदी ने जवाब दिए। आज उससे मिलते-जुलते सवाल-जवाब आखा देश कर रहा है। वही सवाल-जवाब पूरा देश उठा रहा है।


हमारा सवाल था-सबसे बड़ा जंगली पशु कौन? जवाब था-मानखा। हमारा सवाल था-सबसे बड़ा कमीना कौन? जवाब था-मानखा। हमारा सवाल था- सबसे बड़ा दैत्य-दानव कौन? जवाब था-मानखा। आज उसी से मिलते-जुलते सवाल-जवाब आखा देश दाग रहा है। देशवासी कहते हैं- हम तो समझते थे कि हमार पुरखे जिनावर थे, आज लग रहा है कि हमारे बीच भी कई खतरनाक जिनावर हैं। किसी के अंदर बैठा जानवर कब और कहां जाग जाए, कह नही सकते। जैसे कुछ लोगों के अंदर बैठा जानवर इन दिनों जागा। ऐसे जानवरों के जागने का मतलब एक और बेटी-पे घात। एक और बहन की इज्जत तार-तार। एक और मां का दामन दागदार। एक और प्रेरणा पे कलंक। कहने को तो हमने औरत को मां-बहन और प्रेरणा का दरजा दे रखा है। जब जानवर जाग जाए तो सारे दरजे और नाते-रिश्ते तार-तार हो जाते हैं। उसके बाद जो सियासी खेल खेला जाता है-वह और भी ज्यादा शरमनाक।


हाथरस की बेटी के साथ घटी पाशविक घटना ने पूरे देश को एक बार फिर शर्मसार कर दिया। दरिंदों ने बिटिया के साथ जो पाशविकता दिखाई उसकी जितनी निंदा की जाए कम है। ऐसा पूर्व में भी हो चुका है। जब-जब ऐसा घिनौना कांड होता है, देश उबल जाता है। यह उबाल हफ्ते-दो हफ्ते तो रहता है बाद में शांत हो जाता है। ऐसे कांडों को देखते हुए हमे अपनी बहन-बेटियों को खुद की सुरक्षा करने की ट्रेनिंग देनी जरूरी है। हर बेटी अपने पास मिर्ची पाउडर अनिवार्य रूप से रखे ताकि संकट के समय उसका उपयोग किया जा सके। इसके साथ उन्हें कर्राटे और सेल्फ डिफेंस के अन्य तौर-तरीकों में पारंगत करने की भी जरूरत है। म्हारी छोरियां-छोरां सूं कम है कै.. वाले संवाद और सीन को रील से निकाल कर रियल लाइफ में उतारा जाए।


ऐसे कांड रोकने में अभिभावकों की पहल भी जरूरी है। वो अपने छोरों को नारी शक्ति का सम्मान करने का पाठ पढाए। जैसी उसकी बहन, वैसी दूसरों की बहन। जैसी उस की मां, वैसी दूसरों की मां। अगर कोई तुम्हारी बहन के साथ पाशविक कृत्य करें तो परिवार पर कैसी बितेगी। वही स्थिति दूसरों के परिवार की होती है। अभिभावक अपने बच्चों को पराई बहन-बेटी को अपनी बहन-बेटी समझने की सीख दे। उसे बुरी संगत और नशे-पते से दूर रखे। उसे पढाई के साथ-साथ अच्छे कार्य मे लगाए। उसे अच्छे संस्कार दे। उसको धरम-ध्यान से जोड़े रखें। उन्हें वीरों-शूरवीरों महापुरूषों की जीवनी से अवगत कराए। हो सकता है इसके अच्छे परिणाम सामने आएं।


हथाईबाज दुष्कर्म के बाद होने वाली सियासत पर भी कोफ्तजदा हैं। जिन सियासतअलियों ने कभी किसी का हाल नही पूछा, वो दुष्कर्म पर्यटन करने से बाज नही आते। कांड के बाद चले नेते पीडि़तों की सार-संभाल करने। ऐसे बयान देते हैं जैसे वो उनके सबसे बड़े हितचिंतक हों। हाथरस कांड में भी यही हो रहा है। भाजपा राज में महाकांड हो तो कांगरेस और अन्य विपक्षी दल दुष्कर्म पर्यटन पर और कांगरेस राज में शरमनाक कांड हो जाए तो भाजपा और दूसरे दल रेप पर सियासत करने से बाज नही आते। हथाईबाजों की नजर में यह रेप पर रेप जैसी स्थिति है जबकि होना यह चाहिए कि सब को मिलकर गुनहगारों को पकडऩे और उन्हें उनके अंजाम तक पहुंचाने पुलिस का फैसला सटीक लगा। महिला डॉक्टर के साथ दरिंदगी करने वालों को चौबीस घंटे में ही टपका दिया और मामला नक्की।


कुल जमा रेप पर्यटन के जरिए वोट साधने के प्रयासों पर लगाम लगे बहन-बेटियों की इज्जत की बिना पर ऐसा पर्यटन धिक्कारणीय है।