ज्यां घट बहुळी बुध बसै, रीत-नीत परिणाम

दसवां वेद, daswa ved
दसवां वेद, daswa ved

घड़ भांजै, भांजै घडै़ सकळ सुधारै काम।।

जिनके भीतर रीति नीति के परिणाम वाली बुद्धि बहुतायत से रहती है, वे किस न किसी प्रकार अपने बिगड़े हुए सभी लोगों सुधार लेते हैं। किसी गांव में एक बनिया बड़े रौब से रहता था और वह किसी से दबता न था। बनिया बड़ी बडी मूंछे रखता था और हर समय उनको ऊंची करके उनमें बल देता रहता था। अनेक लोगों को बनिये का यह गर्व प्रदर्शन पसंद न था, लेकिन वे कुछ न बोलते थे।

एक बार संयोग ऐसा हुआ कि उस बनिये और एक पठान में किसी बात पर विवाद हो गया और वे फिर झगड़ पड़े। लोगों ने बीच में पड़कर उनको शांत करने की चेष्टा की। लेकिन फिर भी वे दोनों नहीं माने। अंत में उन्होंने यह तय किया कि वे पूरी तैयारी के साथ युद्ध करेंगे, जिसमें उनकी शक्ति का सही परिचय मिल जाएगा।

इस शक्ति परीक्षा के लिए एक मास के बाद का दिन भी निश्चित कर लिया गया।साथ ही यह भी तय हुआ कि जो हारेगा, उसे अपनी मूंछे सदा के लिए नीची रखनी होगी। पठान ने घर आकर युद्ध के लिए तैयारी आरंभ की। उसने अपने सभी रिश्तेदारों और दोस्तों को दूसरे गांवों से बुला लिया और युद्ध का अभ्यास शुरू हुआ।

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पठान जानता था कि बनिया धनवाद है और वह बड़ी सेना सजा कर लड़ाई करेगा। अत: उसने अपनी सेना को भी सब प्रकार से सज्जित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस तैयारी में पठान का सारा धन समाप्त हो गया और उसे भारी कर्जा भी लेना पडा। लेकिन युद्ध के उन्माद में उसने कोई विचार नहीं किया और पूरे जोश के साथ तैयारी जारी रखी।

बनिया अपने काम धंधे में लगा रहा

इधर बनिये ने कोई तैयारी नहीं की। वह तो हमेशा की तरह अपने काम धंधे में लगा रहा। पठान यह सोचता रहा कि बनिया कहीं छुप कर अपनी तैयारी कर रहा होगा। वह यह मालूम नही होने देना चाहता होगा कि वह कैसी तैयारी कर रहा है और कितने लोग इस तैयारी में शामिल है। इसलिए पठान ने यथासंभव अपनी तैयारी में कोई कमी नहीं रखी।

पठान की लडाई के लिए निश्चित दिन आया

अंत में बनिये और पठान की लडाई के लिए निश्चित दिन भी आ गया। पठान जोश में आकर बनिये के घर यह पूछने गया कि लड़ाई किस मेदान में की जाएगी? वहां अनेक लोग भी आकर जमा हो गए। बनिये ने सब के सामने पठान से कहा कि पठान साहब, इतनी कड़ाई क्यों दिखलाते हैं? यहां तो बनिये की मूंछे हैं। वे ऊंची रहें या नीची एक ही बात है।

पठान उसके मुंह की ओर देखता रह गया

इतना कहकर बनिये ने झट अपनी दोनों मूंछे नीचे की ओर कर ली और पठान उसके मुंह की ओर देखता ही रह गया। बनिया फिर बोला कि मैं हारा और आप जीत गए। अब आप विजयी बनकर घर जाएं। क्षण भर में झगड़ा समाप्त हो गया। बनिये ने तो लड़ाई के लिए कुछ खर्च नहीं किया, लेकिन झूठे जोश में आकर पठान बर्बाद हो गया।