एमयूजे वेबिनार में ओएनजीसी फाउंडेशन और अक्षयपात्र फाउंडेशन के सीईओ हुए शामिल

संस्कृति से ही है मनुष्य और पशु में भेद: किरण डी.एम

सेवा से पूरी होगी आनंद की तलाश : श्रीधर

जयपुर। मणिपाल विश्वविद्यालय जयपुर की वेबिनार सीरीज “एजुकेशन फॉर जेनेरेशन जेड” की चौथी कड़ी में रविवार को ओएनजीसी फाउंडेशन के सीईओ किरण डी. एम. ने कहा कि संस्कृति ही मनुष्य और पशु में एकमात्र अंतर है और नयी पीढ़ी को उनके अंदाज़ में संस्कृति की शिक्षा देना अहम कार्य है।

अक्षयपात्र फाउंडेशन के सीईओ श्रीधर वेंकट ने कहा कि सारी सभ्यताएं सदियों से आनंद की तलाश कर रही हैं और हमारी संस्कृति ने दुनिया को सिखाया कि आत्मा को जानने और समाज की सेवा में ही शाश्वत आनन्द है। एमयूजे के कुलपति प्रो. जी.के . प्रभु ने बताया कि किस प्रकार मणिपाल परिवार आधुनिक ज्ञान से स्थानीय लोगों की सेवा कर रहा है।

एमयूजे के प्रो. प्रेसिडेंट प्रो. एन. एन. शर्मा ने इस वेबिनार सीरीज को प्रस्तुत किया है। विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. एच. आर. कामथ ने अतिथियों का परिचय कराते हुए बताया यूथ फ़ॉर सेवा के पूर्व अध्यक्ष श्री किरण को करीब 25 वर्षों का उद्योग और सामाजिक जगत का, शीर्ष पदों के साथ ज़मीनी अनुभव है। वे कई कंपनियों में प्रबंधन की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। वहीं, श्रीधर वेंकट को 30 वर्षों का अनुभव है। वह फिलिप्स, एबीबी और वेबेक्स कम्युनिकेशन समेत कई मल्टीनेशनल कंपनियों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

एमयूजे के प्रो. प्रेसिडेंट प्रो. एन. एन. शर्मा ने इस वेबिनार सीरीज को प्रस्तुत किया

”सोसायटी, वैल्यूज एंड कनेक्ट: जेनरेशन जेड परस्पेक्टिव” विषय पर अपनी बात रखते हुए श्रीधर वेंकट ने संस्कृति और सभ्यता के भेद पर कहा कि चाहे कोई व्यक्ति या समाज हो, हर कोई खुशी तलाश रहा है। लेकिन वह खुशी क्षणिक होगी तो उससे कष्ट होगा। लेकिन असल मायने में खुशी वह है जो हमेशा बनी रहती है। इसके लिए जरूरी है हमें अपने जीवन का उद्देश्य पता हो। असली आनन्द अध्यात्म और सेवा से जुड़ा है।

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उन्होंने यह भी कहा कि लीडर बनने के लिए युवाओं को खुद पर विजय पानी होगी। उन्होंने कहा कि आज की जेनेरेशन अच्छे से रिश्ते निभाना जानती है। उनके अंदर दूसरों को स्वीकार करने की भावना भी है जिसे शेयर्ड वैल्यू इकोसिस्टम कहते हैं और जहां यह सिस्टम होता है, वहां पुनर्जागरण की संभावना अधिक होती है। जाने माने सामाजिक योजनाकार श्री किरण ने कहा कि संस्कृति ही मनुष्य और पशु में फर्क करती है। उन्होंने कहा कि अगर युवाओं को अपना उद्देश्य पता होगा तो उनमें वैल्यू की भावना स्वयं आ जाएगी।

आज का युवा एक्सप्लोर करता है और जरूरत है कि उनका उद्देश्य बताने में पेरेंट्स, स्कूल, विश्वविद्यालय सहयोग करें।उन्हें अगर आप निर्देश देंगे तो शायद आपकी बात न सुनें लेकिन उन्हें इस बात का एहसास हो जाएगा कि आप समझाना चाहते हैं तो वे आपकी सुनते हैं।

आपको समझने की कोशिश करते हैं। युवाओं को निराश होने और जीवन खत्म करने के सवाल पर श्री किरण ने कहा कि जीवन को संपूर्णता से न देखने वाले इसका शिकार होते है। हालांकि उनका यह भी कहना था कि हमें भी यह देखने की जरूरत है कि क्या हम असफल लोग को स्वीकार करने की स्थिति में हैं।

मणिपाल विश्वविद्याल, जयपुर के प्रेसिडेंट प्रो. जी.के. प्रभु ने कहा कि मणिपाल विश्वविद्यालय अपने पूरे कैंपस को लैब समझता है ताकि यहां हर जगह बच्चों को कुछ न कुछ सीखने को मिले। हमारी कोशिश रहती है कि जो भी रिसर्च विश्वविद्यालय में हो वह समाज की जरूरतों का ध्यान में रखकर किया जाए। समाज को रिसर्च से जोड़ा जाए।

इसके लिए विश्वविद्यालय ने पांच गांवों को गोद लिया गया है। धन्यवाद ज्ञापन एडमिशन सेल के निदेशक आर के गुप्ता ने दिया। एमयूजे की डिप्टी रजिस्ट्रार एकेडमिक्स डॉ. नीतू भटनागर ने संचालन में सहयोग किया। वेबिनार में सभी फैकल्टी, छात्र और अभिभावक भी जुड़े रहे।