नमामि गंगे: प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड में 521 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का वर्चुअल लोकार्पण किया

Prime Minister Narendra Modi
Prime Minister Narendra Modi

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नमामि गंगे मिशन के तहत उत्तराखंड में 521 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का मंगलवार को वर्चुअल लोकार्पण किया। इनमें सात सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और एक गंगा संग्रहालय हैं। एसटीपी परियोजनाओं के शुरू होने से उत्तराखंड से अब प्रतिदिन 15.2 करोड़ लीटर दूषित पानी गंगा नदी में नहीं बहेगा। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नमामि गंगे मिशन के अंतर्गत उत्तराखंड में 6 बड़ी विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया।

मोदी ने गंगा नदी पर अपनी तरह के पहले संग्रहालय ‘गंगा अवलोकन’ का भी हरिद्वार में उद्घाटन किया। उन्होंने एक पुस्तक रोइंग डाउंन गंगेस और जल जीवन मिशन का नया लोगो भी जारी किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर जल जीवन मिशन के अंतर्गत ग्राम पंचायतों और जल समितियों के लिए उपयोगी ‘मार्गदर्शिका’ भी जारी की।

इस अवसर पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन का उद्देश्य देश के प्रत्येक घर को नल से जल उपलब्ध करवाना है। मोदी ने कहा कि नया लोगो पानी के महत्व को समझते हुए एक-एक बूंद के जल संरक्षण के लिए प्रेरित करेगा।

मार्गदर्शिका को उल्लेखित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह ग्राम पंचायतों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के साथ-साथ सरकारी मशीनरी के लिए भी समान रूप से महत्वपूर्ण है।

रोइंग डाउन गंगेस पुस्तक के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह गंगा नदी को हमारी संस्कृति, विश्वास और धरोहर की गौरवशाली प्रतीक के रूप में स्थापित करती है।

मोदी ने गंगा नदी को स्वच्छ रखने के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह अपने उद्गम स्थल उत्तराखंड से लेकर अपने आखिरी पड़ाव पश्चिम बंगाल तक देश की लगभग 50% आबादी के जीवन में अहम भूमिका अदा करती है।

उन्होंने कहा कि नमामि गंगे मिशन नदियों के संरक्षण का सबसे बड़ा मिशन है और इसका उद्देश्य सिर्फ गंगा नदी की स्वच्छता नहीं है बल्कि यह समग्र नदियों की स्वच्छता पर केंद्रित है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस नई सोच के चलते बड़ा परिवर्तन आया है और गंगा नदी जीवंत हो उठी है।

अगर हमने इसके लिए पुराने तरीकों को अपनाया होता तो स्थितियां आज पुराने समय की तरह ही खराब होती क्योंकि पुरानी व्यवस्था में जनता की भागीदारी का अभाव था।