बैंक लॉकर रखने वालों के लिए खबर, आज ही कर लें यह जरूरी काम

बैंक लॉकर
बैंक लॉकर

नई दिल्ली। अगर आप भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के ग्राहक हैं और बैंक लॉकर का इस्तेमाल करते हैं तो आपको पिछले कुछ दिनों में बैंक नियमों में हुए बदलाव को लेकर जानकारी मिली होगी। आपको बैंक लॉकर के नए नियमों के मुताबिक संशोधित बैंक लॉकर के नए एग्रीमेंट पर साइन करने होंगे। आरबीआी ने सभी बैंकों के लिए लॉकर एग्रीमेंट के रिन्यूअल की प्रक्रिया को स्टेप-बाई-स्टेप तरीके से 31 दिसंबर, 2023 तक पूरा करने की समय सीमा बढ़ा दी है। जून तक 50 प्रतिशत समझौतों के रिन्यूअल के लिए पहले चरण में 30, जून 2023, बस एक महीना दूर है। बैंकों के लिए दूसरे चरण में 30 सितंबर, 2023 तक 75 प्रतिशत समझौतों का रिन्यूअल होना है।

लॉकर को लेकर आरबीआई का क्या है निर्देश

लॉकर को लेकर आरबीआई का निर्देश
लॉकर को लेकर आरबीआई का निर्देश

केंद्रीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जनवरी 2023 में बैंकों के लिए लॉकर एग्रीमेंट के नवीनीकरण की प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से 31 दिसंबर, 2023 तक पूरा करने की समय सीमा बढ़ा दी थी। 30 जून 2023 तक 50 प्रतिशत एग्रीमेंट के नवीनीकरण के पहले आंकड़े को पूरा करने के लिए बैंकों के पास अब सिर्फ एक महीने का वक्त बचा है। वहीं, बैंकों का दूसरा टारगेट 30 सितंबर 2023 तक 75 प्रतिशत एग्रीमेंट का नवीनीकरण करना है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश

बैंको को रिवाइज्ड लॉकर एग्रीमेंट पर साइन करवाने का आरबीआई का यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आया है। फरवरी 2021 के सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई को आदेश की तारीख से छह महीने के भीतर लॉकर प्रबंधन के लिए नियमों को अंतिम रूप देने का निर्देश दिया था।

1 जनवरी 2023 तक पूरी होनी थी प्रक्रिया

आरबीआई के नए लॉकर नियम के तहत बैंकों ने नए लॉकर ग्राहक 1 जनवरी 2022 तक इस नियम में शामिल हो गए हैं लेकिन मौजूदा ग्राहकों के लिए, बैंकों को 1 जनवरी, 2023 तक प्रक्रिया पूरी करनी थी जिसकी तारिख को अब इस साल के आखिरी दिन यानी 31 दिसंबर 2023 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। ऐसे में आपको 5 चीजें जो लॉकर साइन करने से पहले जान लेना चाहिए।

स्टैंप पेपर पर समझौता

आरबीआई की गाइडलाइंस के मुताबिक, एग्रीमेंट स्टैंप पेपर पर होना चाहिए, जो बैंकों को फ्री देना होता है। संशोधित समझौते का प्राथमिक उद्देश्य लॉकर धारकों के हितों की रक्षा करना है।

लॉकर के लिए एफडी

आरबीआई ने बैंकों को यह कहा है कि बैंको तीन साल या उससे उपर के एफडी पर लॉकर चार्ज का किराया नहीं लेंगे। कई बार जब ग्राहक लॉकर का एक्सेस नहीं कर पाते तो बैंक उस लॉकर का किराया एफडी के पैसे से वसूलता है, लेकिन तब भी बैंक लॉकर को नहीं खोल सकता है क्योंकि बैंक को ग्राहक की तरफ से एफडी के रूप में किराया मिल रहा है।

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