सुख का मार्ग है आहिंसा : महाश्रमण

भीलवाड़ा। तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्यश्री महाश्रमण के सान्निध्य में शनिवार को गांधी जयंती पर अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का अंतिम दिन ‘अहिंसा दिवस के रूप में मनाया गया। आचार्यश्री की सन्निधि में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के 55वें राष्ट्रीय अधिवेशन का भी ‘पधारों आपणे देश थीम पर शुभारंभ हुआ। अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण ने उद्बोधन में कहा कि दो मार्ग होते है पहला हिंसा का जो अशांति, दुख की ओर ले जाता है, दूसरा अहिंसा का जो शांति, सुख प्रदान करने वाला है।

दुनिया में कभी-कभी ऐसे पथदर्शक होते हैं, जो ऐसी राह बनाते हैं जिन पर स्वयं भी चलते है और दूसरों को भी प्रेरित करते है तो दुनिया के लिए विशिष्ट सौभाग्य होता है। ऐसे ही विशिष्ट व्यक्ति लाल बहादुर शास्त्री और महात्मा गांधी का जन्म दिवस भी है जिनका जीवन अहिंसा और आध्यात्मिकता से जुड़ा हुआ था। हिंसा और अहिंसा दुनिया में दोनों तत्त्व है।

हिंसा के तीन प्रकार होते है- आरंभजा अर्थात जो जीवन की सामान्य अपेक्षाओं की पूर्ति में होने वाली हिंसा, प्रतिरक्षात्मकता – आत्म और राष्ट्र रक्षा के लिए होने वाली हिंसा और संकल्पजा जो क्रोध, लोभ के वशीभूत की जाने वाली हिंसा, ये हिंसा गृहस्थ के लिए त्याज्य है। भारत में इतने सम्प्रदाय व जातियां है सबमें परस्पर सौहार्द की भावना रहे। अभा तेरापंथ युवक परिषद के राष्ट्रीय अधिवेशन में युवाओं को संबोधित करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि यौवन धन, संपति और सत्ता के साथ अविवेक हो तो नाश निश्चित है।

अगर इनका विवेक के साथ उपयोग हो तो सकारात्मक लाभ मिल सकता है। कार्यक्रम में मुनि योगेश कुमार ने वक्तव्य दिया। अभातेयुप के अध्यक्ष संदीप कोठारी ने विचार व्यक्त कर जैन संस्कार विधि पर पुस्तक आचार्यश्री को समर्पित की। अभातेयुप महामंत्री मनीष दफ्तरी ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के संयोजक अभिषेक कोठारी, संजय जैन, डूंगरगढ़ से समागत बैंड के मुस्लिम परिवार से मोहम्मद शकील रमजान ने भावनाएं व्यक्त की। अणुव्रत समिति की बहनों ने सामूहिक गीत की प्रस्तुति दी।

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