
हम तो देख ही रहे हैं, आप की नजरें भी इनायत हुई होंगी। गौर किया या नही किया यह अलग बात है। पहले भले ही नही किया होगा, पण इन दिनों राय के रायते का भरपूर श्रवण हो रहा है। जिसे देखा वो रायबहादुर बना हुआ है। जहां नजर डालो वहां सलाह खान-मश्विरा सिंग-सुझावमल सा नजर आ जाएंगे। कई बिना डिगरी के एमबीबीएस तो कई आयुर्वेद विशेषज्ञ। भले ही उन की गिनती झोलाछापों में भी नही होती तो मगर इन दिनों वो खुद को यूनानी एक्सपोर्ट से कमतर नहीं आंक रहे। जिसे देखो वो ज्ञान बांट रहा है। शहर की एक हथाई पर आज उसी के चर्चे हो रहे थे।
हमारे एक वकील मित्र है। नाम है प्रर्मेन्द्र बोहरा। उन्होंने सोशल मीडिया पे एक कहानी पोस्ट की जो उनके द्वारा किए गए कार्यों पर खरी उतरती है। प्रर्मेन्द्रजी ने अपनी पत्नी पूजा के साथ मिल कर सिवांची गेट स्थित पुष्करणा समाज के मोक्षधाम के कायाकल्प का बीड़ा उठाया था। साथ में पांच-पच्चीस और संगी-साथी भी रहे जो आगे चल कर दूर हो रहे मगर उनकी जगह दूसरे हाथ जुड़ गए। मोक्षधाम का हाल-हूलिया पहले ठीक नहीं था। प्रमेन्द्रजी ने काम शुरू किया तो कई तरह की बातें सुनने को मिली। आगे चलकर उन्होंने मृत्युंजय संस्था का गठन किया। संस्था में लोग जुड़ते गए-कुछ छूटते गए। धीरे-धीरे श्मशान का हूलिया सुधरने लगा तो राय बहादुरों की बाढ आ गई। ऐसा नही-ऐसा करो। ऐसा होता तो ठीक रहता। वैसा होता तो और ज्यादा बेहतर होता। बोहराजी को जो सुझाव ठीक लगता उसपे अमल करते, वरना दूसरे कान मार्ग का उपयोग जिंदाबाद। उनकी और उनकी टीम की मेहनत का नतीजा यह निकला कि श्मशान घाट किसी मनोरम स्थल से कम नजर नही आता। जो सुविधाएं होनी चाहिए वो मौजूद। साफ-सफाई के साथ शानदार हरियाली। पानी-बिजली के भी पूरे इंतजाम। उन्होंने उस समय राय देने वालों को सुझाव दिया कि सलाह देना बंद करो और सहयोग करो। बना-बिगड़ी बाद में होती रहेगी। एक बार हूलिया तो सुधर जाए। हो सकता है उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर वो कहानी परोसी। यह भी हो सकता है कि कहानी से प्रेरणा लेकर मोक्षधाम का हाल-हूलिया सुधारा।
कहानी के अनुसार एक पक्षी अपनी चोंच में पानी भर कर दूर ले जाकर गिरा रहा था। यह देख कर दूसरे पक्षी ने पूछा तो बोला-‘इस समंदर ने मेरे बच्चों को लील लिया, मैं इसे सूखा कर अपने बच्चे वापस लेकर रहूंगा। इस पर दूसरे पक्षी ने हंस कर कहा- तू इत्ता छोटा-तेरी चोंच इतनी छोटी, ऐसे में समंदर खाली कैसे होगा। पक्षी ने पक्षी को घुरा और बोला-‘सलाह मत दे, सहयोग दे।Ó इस पर वह पक्षी भी जुट गया। देखते ही देखते सारे पंखेरू जुट गए। यह बात भगवान विष्णु के वाहन गरूड़ तक पहुंची तो वो भी पक्षियों के प्रति एकता दर्शाते हुए उनके साथ जाने को तैयार हो गया। यह देखकर भगवान विष्णु ने पूछा तो उसने सारी कहानी बयान कर दी। विष्णु प्रभु ने भी पक्षियों की एकता को सराहा और उनके साथ हो लिए यह बात समुद्र को पता चली कि भगवान विष्णु खुद उसे सूखाने के लिए आ रहे हैं तो उसने कान पकड़े और पक्षी के बच्चे लौटा कर खुद को सूखने से बचा लिया। कहानी तो मिसाल है जब कि आज जो हो रहा है वह सच्चाई है। देश-दुनिया में कोरोनाकाल चल रहा है और राणा राय बहादुर सलाह देने में जुटे हुए हैं। जिसे देखो, वो इसी में लगा हुआ है। हमने कोरोना मिटाने-भगाने के सैकड़ों टोटके सोशल मीडिया पे देख-बांच-पढ लिए। कोई कहता है ये खाओ-कोई कहता है वो खाओ। कोई कहता है ये पिओ-कोई कहता है वो पिओ। केरी-गूंदों से लेकर कैर सांगरी महंगी कर दी इन टोटकों ने। कई वस्तुओं की तो कालाबाजारी शुरू हो गई। जिस चीज को वापरने की सलाह सोशल मीडिया छाप लोग देते हैं, अगले दिन वो महंगी। ऐसा लगता है मानों इसके पीछे बाजार का हाथ है। हथाईबाजों ने पिछले दिनों से ऐसे-ऐसे बंदों को कथित डाक्टर सलाहअली बनते देखा जिनकी सलाह उनके घरवाले भी नहीं मानते। जिन के पास ज्ञान का टोटा-वो इन दिनों ज्ञान बांट रहे हैं। हमें पता है कि हमारे रोकने से कोई रूकने वाला नहीं। एक रूक भी गया तो पंद्रह नए मश्विरा चंद खड़़े हो जाएंगे। हमारा निवेदन है कि अपनी सलाह अपने पास रख कर शासन-प्रशासन का सहयोग करें। पुलिस-डॉक्टर्स-नर्सिंग स्टाफ-सफाई कर्मियों-सेवाभावियों और तमाम कोरोना योद्धाआं का साथ दें। उन का सहयोग करें। मास्क लगाएं। बिना काम घर से बाहर ना निकलें। देह दूरी रखें। समय-समय पर हाथ धोते रहे। सरकारी गाइड लाइन की पालना करें। टीकाकरण करवाए। आप हमारे लिए बहुत कीमती है। अपना और अपनों का पूरा ध्यान रखें। खामखा का ज्ञान देने से बचे। यह समय फालतू की राय देने का नहीं-एक-दूसरे का सहयोग करने का है। हम एकजुट, मजबूत और संयमित रहे तो कोरोना हारेगा-
भारत जीतेगा।