हे राम ! मंत्री के पीए ने खड़े किए अहिल्या के चरित्र पर सवाल

लक्ष्मीकांत बालोत
लक्ष्मीकांत बालोत

फेसबुक पर पोस्ट कर लिखा अहिल्या से रेप किसने किया?

इनकी बेशर्मी देखिये, बोले और लिखता, लेकिन विवाद होने लगा था

जयपुर। जिन लोगों पर प्रदेश में सौहार्द कायम करने की जिम्मेदारी वे ही धार्मिक उन्माद फैलाने को आतुर हैं। पहले 8 सितम्बर को एक आरएएस अफसर ने हिन्दू देवताओं को रेपिस्ट और रामभक्त हनुमान को बंदर बताया था। अब एक मंत्री के पीए ने माता अहिल्या के चरित्र पर सवाल खड़े किए हैं। जब उसका यह फेसबुक पोस्ट वायरल हुआ और मीडिया ने उनसे सवाल जवाब किए तो पीछे हट गए। उन्होंने तत्काल पोस्ट डिलीट कर दी। जानकारी के मुताबिक आरएएस अफसर और एग्रीकल्चर मार्केटिंग राज्य मंत्री मुरारी लाल मीणा के स्पेशल असिस्टेंट लक्ष्मीकांत बालोत ने फेसबुक पर पोस्ट कर पूछा है कि अहिल्या का रेप किसने किया, रेपिस्ट कौन था?

बुधवार रात को अपने ऊपर मुकदमा करने की खुलेआम धमकी देते हुए बालोत ने फेसबुक पर यह पोस्ट की। किसी ने इसका स्क्रीन शॉट ले लिया और शेयर करना शुरू कर दिया। विवाद होता देख कुछ समय में ही लक्ष्मीकांत ने अपनी पोस्ट डिलीट कर दी। बाद में सफाई देते हुए कहा कि मैंने खुद ही इसे हटा दिया, ताकि कोई विवाद न हो।

पोस्ट करने का कारण पूछा तो बोले- गाली नहीं दी

इस पोस्ट को लेकर लक्ष्मीकांत बालोत ने कहा कि सभी धर्मों में अंधविश्वास है। मैंने महिलाओं के अधिकारों को लेकर लिखा था। फिर मुझे लगा कि कोई विवाद होगा, इसलिए डिलीट कर दी। मैं तो और भी लिखता मगर मुझे खुद लगा। किसी के कहने से नहीं, मैंने खुद ही डिलीट कर दी। किसी का समर्थन करने की बात नहीं है। कोई गाली या अपशब्द तो है नहीं, कुछ पूछा तो जा सकता है ना।

चार साल बाद फेसबुक पर पोस्ट

लक्ष्मीकांत बालोत सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय नहीं रहते। खासतौर से उनके फेसबुक की टाइमलाइन तो यही कहती है। 2016 तक जरूर बालोत काफी कुछ लिखा करते थे। बालोत की फेसबुक पर आखिरी पोस्ट अक्टूबर 2018 की थी। इसके बाद से बालोत ने फेसबुक पर कुछ भी पोस्ट नहीं किया। लगभग 4 साल बाद बालोत ने अब अपने अकाउंट से पोस्ट किया।

पौराणिक कहानियों को लेकर कंट्रोवर्सी करना गलत : डॉ. भानू कपिल

इतिहासकार डॉ. भानु कपिल के मुताबिक अहिल्या और गौतम ऋषी की कहानी का पहला जिक्र रामायण में मिलता है। अलग-अलग ग्रंथों में अलग-अलग तरह के तथ्य मिलते हैं, इसलिए सटीक रूप से कुछ भी कहा नहीं जा सकता। पौराणिक कहानियों को लेकर अगर कोई भी कंट्रोवर्सी करता है या नरैटिव सेट करने की कोशिश करता है तो वैज्ञानिक आधार पर इसे साबित नहीं किया जा सकता।

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