
वरिष्ठ पत्रकार पदम मेहता का कोलकाता में राजस्थान परिषद व 54 अन्य प्रवासी संस्थाओं द्वारा सार्वजनिक अभिनंदन
कोलकाता। अगर हमें अपने संस्कारों को जीवित रखना है तो हमें अपनी मातृभाषा का सम्मान करना होगा और नई पीढ़ी को गौरवमयी राजस्थानी भाषा से जोड़े रखना होगा । राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार, मासिक ‘माणक’ व दैनिक ‘जलतेदीप’ के प्रधान संपादक पदम मेहता ने अपने अभिनंदन के प्रत्युत्तर में बड़ा बाजार के ओसवाल भवन सभागार में आयोजित समारोह में ये उदगार प्रकट किये। समारोह में राजस्थानी भाषा में अपनी बात रखते हुए श्री मेहता ने समृद्ध राजस्थानी भाषा, साहित्य के अनूठेपन की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने इसे ज्ञान का अनुपम भंडार बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें नई पीढ़ी को अपनी मातृभाषा को सम्मान देने के लिए आगे लाना होगा। हमारी भाषा, हमारे संस्कार ही हमारी पहचान है। श्री मेहता ने कहा कि इस सम्मान ने उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ा दी है, जिसे निभाने के लिए वे और अधिक सक्रिय व राजस्थानी भाषा को राजकीय व संविधानिक मान्यता जल्द से जल्द मिले इस हेतु समर्पित भाव से प्रयासरत रहेंगे ।कोलकाता की सामाजिक संस्था ‘राजस्थान परिषद’ व 54 अन्य प्रवासी राजस्थानी संस्थाओं के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को मेहता का नागरिक अभिनंदन किया गया। अध्यक्ष डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने समारोह के उत्सव मूर्ति पदम मेहता को राजस्थान परिषद सहित अन्य संस्थाओं की ओर से अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मानित किया।

अभिनंदन पत्र वाचन डॉ तारा दुगड़ ने किया तो अतिथियों का परिचय बंशीधर शर्मा ने दिया। परिषद के महामंत्री अरुण मल्लावत ने तिलक, समारोह के मुख्य अतिथि समाजसेवी पवन ओझा (बालिका ग्रुप) ने माल्यार्पण- अंग वस्त्र, परिषद के अध्यक्ष शार्दुल सिंह जैन ने शाल, राजकुमार व्यास ने श्रीफल भेंट कर व समाजसेवी राजकुमार बोथरा ने राजस्थानी साफा पहनाकर पदम मेहता का सार्वजनिक अभिनंदन किया। पार्षद द्वय मीनादेवी पुरोहित, विजय ओझा सहित विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के गणमान्य जनों ने माल्यार्पण कर मेहता का अभिनंदन किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार व कुमारसभा पुस्तकालय के अध्यक्ष डॉ प्रेमशंकर त्रिपाठी ने हिंदी पत्रकारिता दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित इस कार्यक्रम की परिकल्पना की सराहना करते हुए कहा कि इसी कलकत्ते में हिंदुस्तानियों के हित के लिए पंडित जुगलकिशोर शुक्ल 196 वर्ष पूर्व उदंत मार्तण्ड निकाला था। हिंदी का यह पहला पत्र हमें अपनी भाषा एवं संस्कृति के प्रति गौरव बोध जगाने हेतु प्रेरित करता है। निष्ठा के साथ यही काम कर रहे हैं ‘माणक’ एवं ‘जलते दीप’ के प्रधान संपादक श्री पदम मेहता। कोलकाता की धरती पर उनके सम्मान का विशेष अर्थ है, यह हमारी पूरी परम्परा साधना का सम्मान है और हमारी अस्मिता का भी सम्मान है। डॉ. त्रिपाठी ने आगे कहा कि हमारी नई पीढ़ी में अंग्रेजियत बढ़ रही है, अपनी माटी के प्रति, अपनी लोक भाषा के प्रति एवं अपनी राष्ट्र भाषा के प्रति उनका अनुराग क्रमशः कम होता जा रहा है। आज जरुरत इस बात की है कि नई पीढ़ी को हम अपनी भाषा, संस्कृति एवं लोक साहित्य से जोड़ें।

राजस्थान परिषद के उपाध्यक्ष महावीर बजाज ने अतिथियों का स्वागत करते हुए महानगर की प्रमुख संस्थाओं की ओर से इसे एक ऐतिहासिक कार्यक्रम बताया। सत्यनारायण तिवाड़ी, सच्चिदानंद पारीक ने संगीतमय गीतों की प्रस्तुति दी। सुंदर और सधे हुए शब्दों में कार्यक्रम का कुशल संचालन कर रहे महावीर प्रसाद रावत ने कहा कि पदम मेहता का सम्मान राजस्थानी भाषा और संस्कृति के प्रति उनके अवदानों का सम्मान है । समापन कन्हैयालाल सेठिया की कृति ‘धरती धोरां री’ के साथ हुआ। संयोजक राजकुमार व्यास काकू ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
