स्वभाव की सुंदरता वाले लोग हृदय में वास करते हैं : सुनील सागरजी

अवतरण दिवस पर कुशलगढ़ में जिनवाणी पाठशाला का शुभारंभ होगा

बांसवाड़ा। अंदेश्वर पार्श्वनाथ अतिशय तीर्थ में ससंघ चातुर्मासरत आचार्य आदिसागर अंकलीकर परंपरा के चतुर्थ पट्टाचार्य आचार्य श्री सुनील सागरजी की प्रेरणा से आचार्य आदिसागर अंकलीकर अंतरराष्ट्रीय जागृति मंच एवं सुनील सागर युवा संघ के संयुक्त तत्वाधान में रजत संयम महोत्सव 21-22 को भव्यता से मनाया जा रहा है। इस पुनीत अवसर पर वर्ष भर तक कई धार्मिक एवं सामाजिक समरसता के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

जागृति मंच मुंबई के अध्यक्ष अजीत कासलीवाल ने बताया है कि जागृति मंच महिला इकाई की अध्यक्ष प्रेरणा नरेंद्र शाह, सहमंत्री जीतू भाई, मुख्य संयोजक विशाल कराडिय़ा तथा संयोजक सावन सरिया के दायित्व में दक्षिणी राजस्थान और गुजरात प्रांत के आंशिक क्षेत्र के लगभग 30 गांवों एवं नगरों में इस वर्ष अवतरण दिवस 7 अक्टूबर 21 के शुभ अवसर पर जिनवाणी पाठशाला जय दु भारदी का संचालन करने का कार्यक्रम भगवान पारसनाथ अतिशय तीर्थ कुशलगढ़ में विराजित चातुर्मासरत आचार्यश्री एवं ससंघ के सान्निध्य में आयोजित किया जा रहा है।

उन्होंने बताया है कि आदिसागर अंकलीकर मंच तथा सुनील सागर युवा संघ द्वारा समस्त स्कूलों का संचालन तथा उनकी व्यवस्था की जिम्मेदारी का निर्र्वहन भी किया जाएगा। इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है। महिला मंच की अध्यक्ष प्रेरणा शाह तथा युवा संघ के पदाधिकारी गांव और नगरों मे संपर्क में लगे हुए हैं। जय दु भारदी जिनवाणी पाठशाला में प्रतिदिन बच्चों को जैन शिक्षा और जैन शास्त्रों का अध्ययन कराते हुए धार्मिक संस्कारों और आदर्श मार्ग पर श्रेष्ठ जीवन की और आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

आचार्य सुनील सागरजी ने कहा कि शरीर की सुंदरता पर लुभाने की आवश्यकता नहीं है। संसारियों की सबसे बड़ी भूल यही है कि सुंदरता पर मोहित जाते हैं। इसके पीछे अपने शील की भी सुरक्षा नहीं कर पाते हैं। स्वभाव की सुंदरता वाले लोग हृदय में वास करते हैं। शरीर मैला होता है, तन असुंदर दिखता है फिर भी मन की पवित्रता कौन नाप सकता है…? जो संसार में कोई नहीं सिखाता वह संस्कार दिगंबर वीतराग गुरु सिखाते हैं। जहां देह? अपनी नहीं वहां अपना कौन हो सकता है। यह संसार एक महासागर है, इस संसाररूपी सागर में मोहरूपी मगरमच्छ के मुख से कौन बच सकता है।

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