पीएम मोदी बोले-जहां मानवता के कल्याण की बात होगी, दीनदयाल जी का एकात्म मानव प्रदर्शन प्रासंगिक रहेगा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पार्टी के विचारक दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर भाजपा सांसदों को संबोधित किया। अपने संबोधन में नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आप सबने दीनदयाल जी को पढ़ा भी है और उन्हीं के आदर्शों से अपने जीवन को गढ़ा भी है। इसलिए आप सब उनके विचारों से और उनके समर्पण से भलीभांति परिचित हैं।

मेरा अनुभव है और आपने भी महसूस किया होगा कि हम जैसे जैसे दीनदयाल जी के बारे में सोचते हैं, बोलते हैं, सुनते हैं, उनके विचारों में हमें हर बार एक नवीनता का अनुभव होता है। एकात्म मानव दर्शन का उनका विचार मानव मात्र के लिए था। इसलिए, जहां भी मानवता की सेवा का प्रश्न होगा, मानवता के कल्याण की बात होगी, दीनदयाल जी का एकात्म मानव दर्शन प्रासंगिक रहेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सामाजिक जीवन में एक नेता को कैसा होना चाहिए, भारत के लोकतन्त्र और मूल्यों को कैसे जीना चाहिए, दीनदयाल जी इसके भी बहुत बड़ा उदाहरण हैं। एक ओर वो भारतीय राजनीति में एक नए विचार को लेकर आगे बढ़ रहे थे, वहीं दूसरी ओर, वो हर एक पार्टी, हर एक विचारधारा के नेताओं के साथ भी उतने ही सहज रहते थे।

हर किसी से उनके आत्मीय संबंध थे। मोदी ने कहा कि हमारे शास्त्रों में कहा गया है-स्वदेशो भुवनम् त्रयम् अर्थात, अपना देश ही हमारे लिए सब कुछ है, तीनों लोकों के बराबर है। जब हमारा देश समर्थ होगा, तभी तो हम दुनिया की सेवा कर पाएंगे।

एकात्म मानव दर्शन को सार्थक कर पाएंगे। मोदी ने आगे कहा कि दीनदयाल उपाध्याय जी भी यही कहते थे। उन्होंने लिखा था- एक सबल राष्ट्र ही विश्व को योगदान दे सकता है। यही संकल्प आज आत्मनिर्भर भारत की मूल अवधारणा है। इसी आदर्श को लेकर ही देश आत्मनिर्भरता के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एकात्म मानव दर्शन के विशेषरूप – व्यष्टि से समष्टी की यात्रा व्यक्त होती है। स्वार्थ से परमार्थ की यात्रा स्पष्ट होता है। मैं नहीं, तू ही का संकल्प भी सिद्ध होता है। मोदी ने कहा कि कोरोनाकाल में देश ने अंत्योदय की भावना को सामने रखा, और अंतिम पायदान पर खड़े हर गरीब की चिंता की।