प्रवासी राजस्थानीयों का कर्तव्य है कि अपनी सांस्कृतिक पहचान गुम नहीं होने दे

ईमानदारी प्रवासी राजस्थानियों की सबसे बड़ी पूंजी: बजरंग सिंह

लोकसभा सदन में आने वाले सभी प्रतिनिधियों का धर्म है कि वह 8 करोड राजस्थानियों की आवाज बने* के के नरेडा

ईमानदारी प्रवासी राजस्थानियों की सबसे बड़ी पूंजी है। विदेश में रह रहे प्रवासी राजस्थानियों ने वहां के आम नागरिकों में अपना विश्वास कायम किया है और इसी आधार पर व्यवसाय तथा अन्य नौकरियों में जमे हुए हैं उक्त विचार जलम भोम कार्यक्रम के तहत अध्यक्षीय उद्बोधन में राजस्थानी एसोसिएशन कीनिया के ट्रस्टी बजरंग सिंह राठौड़ ने कहें वे राजस्थान साहित्य महोत्सव आडावल कार्यक्रम में ऑनलाइन जुड़े हुए थे। प्रवासी राजस्थानीयों की ओर से सूरत से किशन सिंह झाला ने कहा कि प्रदेश के बाहर भी राजस्थानी में पत्र-पत्रिकाओं के संस्करण छपते रहते हैं।

प्रवासी राजस्थानीयों का कर्तव्य है कि अपनी सांस्कृतिक पहचान को गुम नहीं होने देवे। राजस्थान संस्था संघ दिल्ली के महासचिव कृष्ण कुमार नरेड़ा ने कहा कि लोकसभा सदन में आने वाले सभी प्रतिनिधियों का धर्म है कि वह 8 करोड़ राजस्थानियों की आवाज बने और मातृभाषा को उसका सम्मान दिलाए।

बेंगलुरु से सज्जन राज मेहता ने बताया कि मीडिया की उपयोगिता बहुत बढ़ गई है और इसमें प्रदेश की भाषा के संवर्धन हेतु मीडिया अपनी प्रमुख भूमिका निभा रही है मुंबई से प्रतिनिधि रूप में मनीष पालीवाल ने कहा कि जब प्रदेश से बाहर सांस्कृतिक कार्यक्रम उत्सव मेले देखते हैं तो राजस्थान की अनायास ताकत महसूस होती है और हमें उस पर गर्व है चेन्नई से प्रतिनिधि दिलीप धींग ने कहा कि हमें सबको मिलकर राजस्थान की इस गौरवशाली परंपरा के साथ इसका साहित्यिक संवर्धन करना होगा।

सभी ऑनलाइन मंच से जुडक़र एक दूसरे से अपने विचार साझा करते हुए संवाद कर रहे थे। उक्त जानकारी कार्यक्रम के संयोजक राहुल सिंह भाटी ने दी। कार्यक्रम के निदेशक डॉ. शिवदान सिंह जोलावास ने बताया कि आगामी सृंखला में 10 नवम्बर को संभाग स्तरीय चित्रकला प्रतियोगिता आयोजीत की जाएगी।