कृषि कानून वापसीे की घोषणा पर विजय दिवस मनाया व संविधान रक्षा रैली निकाली

केंद्र सरकार की ओर से 3 नए कृषि कानून वापस लेने की घोषणा पर संयुक्त किसान मोर्चा ने शनिवार को यहां भगत सिंह चौराहे पर विजय उत्सव मनाया। संविधान रक्षा रैली निकाली गई। इसके अलावा अन्य संगठनों ने भी खुशी जताई है। भगतसिंह सर्किल पर मनाए विजय दिवस में विभिन्न जन संगठन भी शामिल हुए।

इस मौके पर भगतसिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए शिफात मैनेजर ने कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा को किसानों की जीत बताया। अनूप दायमा ने किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य व लेबर कोड बिल की वापसी तक संघर्ष जारी रखने का आह्वान किया। इस मौके पर सूरजमल कर्दम व सरिता भारत के नेतृत्व में संविधान रक्षा रैली निकाली।

कार्यक्रम में समाजवादी चिंतक हरिशंकर गोयल, वीरेंद्र विद्रोही, राजेश यज्ञिक, तेजपाल सैनी ने विचार व्यक्त किए। इस मौके पर मोरध्वज चौधरी, महेन्द्र मीणा, हरजीत सिंह, वीरेंद्र सिंह, भोलाराम शर्मा, राजकुमार बक्शी, मनमोहन सैनी, गफूर खान, नत्थी गुर्जर, वीरेंद्र क्रांतिकारी, रईसा खान, रमेश बैरवा, भारत, रिचा शर्मा, ललिता कुमारी, जस्सू फौजी, डॉ. विनोद बौद्ध, संकल्प सिंह, किशन लाल खैरालिया आदि मौजूद थे।

राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (रुक्टा) ने कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा तथा आगामी संसद के अधिवेशन में रद्द करने के प्रस्ताव पर खुशी जताई है। इस संबंध में कला कॉलेज की रुक्टा इकाई की ओर से हुई परिचर्चा में संगठन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. जगतपाल सिंह, संयुक्त सचिव डॉ. रमेश बैरवा, डॉ. भरत मीणा, डॉ. महेश गोठवाल, आरआर कॉलेज के रुक्टा इकाई सचिव डॉ. संजय दरगन सहित अनेक सदस्यों ने मिठाई खिलाकर इसे लोकतंत्र की जीत बताया।

साथ ही यह चिन्ता जताई कि अभी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य, शहीद किसानों के परिवारों को मुआवजा देने और आंदोलनकारी किसानों पर दर्ज मुकदमों पर सरकार ने कोई गंभीर पहल नहीं की है, इसलिए किसानों की समस्या और आंदोलन के मुद्दे खत्म नहीं हुए हैं। आशा जताई गई कि सरकार इस दिशा में सकारात्मक रूख अपनाएगी।

भारतीय किसान संघ की शनिवार को विजय नगर स्थित किसान भवन में हुई जिला बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिलाध्यक्ष मातादीन भाटी ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी को प्रधानमंत्री का साहसिक कदम बताया। जिला प्रवक्ता पुष्कर वर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री का यह कदम उन अलगाववादी एवं अराजक तत्वों के गाल पर तमाचा है जो भारत की संवैधानिक व्यवस्था को कमजोर करना चाह रहे थे। बैठक में प्रदेश मंत्री बाबूलाल पोसवाल, राजेन्द्र यादव, जितेन्द्र, सजन सिंह, ओमप्रकाश, अशोक, डॉ. अर्चना चौधरी, ताराचन्द गुर्जर, मोहर सिंह आदि ने विचार रखे।

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