कोरोना संकट से निपटने के लिए पीएम मोदी ने मदद के हाथ बढ़ाए

दक्षिण एशियाई क्षेत्र में कोरोना संकट से निपटने के लिए रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ जिस तरह से संवाद किया और मदद के हाथ बढ़ाए, वह सिर्फ सार्क देशों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए बड़ा संदेश है।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों से संवाद किया

भारत ने इस तरह की पहल करके यह दिखाया है कि जब दुनिया एक महामारी का सामना कर रही है तो ऐसे में वह सारे मतभेदों को भुलाते हुए सबके साथ मिल कर इस चुनौती से निपटने को तैयार है और जो भी मदद मांगेगा, उसे दी जाएगी।

कोरोना वायरस के संकट से निपटने के लिए प्रधानमंत्री ने सार्क देशों के समक्ष एक आपात कोष बनाने का प्रस्ताव रखा और उसमें भारत की ओर से एक करोड़ डॉलर देने की घोषणा भी की गई।

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यह कदम इसलिए महत्त्वपूर्ण है कि सार्क देशों में दुनिया की कुल आबादी का पांचवां हिस्सा रहता है और सार्क क्षेत्र में कोरोना के अब तक एक सौ चौहत्तर मामले सामने आए हैं, जिनमें एक सौ सात भारत में हैं।

भारत का यह प्रयास जरूरी इसलिए भी है कि अभी सार्क देशों में कोरोना की स्थिति चीन या यूरोप की तरह बेकाबू नहीं हुई है।

चीन से फैली इस बीमारी ने जिस तरह से पूरी दुनिया को अपनी जद में ले लिया है, उसे देखते हुए यह डर बना हुआ है कि कहीं यह संक्रमण सार्क देशों में फैल जाए। हालांकि थोड़े-थोड़े मामले सभी देशों में देखने को मिले हैं।

लेकिन अब सतर्कता जरूरी है।

सतत निगरानी और बचाव के जरूरी उपायों से ही इसे फैलने से रोका जा सकता है। नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, पाकिस्तान और अफगानिस्तान भारत के सबसे करीबी पड़ोसी हैं। ऐसे में इन देशों को बचाना और जरूरत पडऩे पर मदद करना भारत का दायित्व है।

भारत ने सिर्फ पैसे के जरिए ही नहीं, बल्कि इलाज में इस्तेमाल होने वाले जरूरी सामान और उपकरणों की मदद भी देने की बात कही है।

भारत ने कोरोना के मरीजों और संदिग्धों की पहचान और उनकी गतिविधियों के बारे में जानकारी देने वाला इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस पोर्टल तैयार किया है और सभी सार्क देशों को भी इसे उपलब्ध कराने की बात कही है।

जरूरत पडऩे पर डॉक्टरों की टीम भी भेजने का भरोसा दिया है। भारत इसी तरह की मदद के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जी-20 समूह के देशों की मदद का भी प्रस्ताव रख चुका है।

लेकिन दुख और हैरानी की बात यह है कि संकट के इन क्षणों में भी हमारा सबसे करीबी पड़ोसी देश पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया।