सत्रह साल से केंद्र के पास अटका पड़ा है राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव

17 साल पहले 25 अगस्त 2003 में राज्य में कांग्रेस सरकार ने 200 विधायकों का सर्वसम्मति से राजस्थानी भाषा को मान्यता देते हुए आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पास कर केंद्र सरकार को भेज दिया लेकिन केंद्र सरकार इस का आज तक कोई निर्णय नहीं ले सकी। 25 अगस्त की पूर्व संध्या पर राजस्थानी मोट्यार परिषद के युवाओं ने एक बार फिर संकल्प दोहराया है कि वे राजस्थानी की राजभाषा की मान्यता के लिए लडऩे वाले युवाओं के इस बात की टीस है कि 10 करोड़ लोगों को मातृभाषा राजस्थानी की मान्यता देने से केंद्र सरकार क्यों रुचि नहीं ले रही, जबकि वह भाषा की मान्यता की बात संसद में भी सैकड़ों बार उठ चुकी है।

राजस्थानी भाषा को द्वितीय राजभाषा का दर्जा देने की मांग बनने लगी जनआंदोलन

  • कई जनप्रतिनिधियों, विधायकों, संगठनों ने पत्र लिख कर मुख्यमंत्री से की मांग
  • विधानसभा में इस विषय पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के लिए जोगेश्वर गर्ग दे चुके है कई विधायकों के हस्ताक्षर युक्त पत्र
  • ट्विटर पर #saveRajasthani# प्तप्राथमिक शिक्षा में राजस्थानी का चला अभियान
  • पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने भी गत दिनों किये राजस्थानी भाषा में अपने ट्वीट

राजस्थानी भाषा को द्वितीय राजभाषा का दर्जा देने की मांग अब जनआंदोलन का रूप ले चुकी है। सोशियल मीडिया के माध्यम से अब मान्यता की मांग तेजी से फैल रही है। लोग अपनी भाषा संस्कृति के प्रति जागरूक हो कर अपने साथ हुए अन्याय को समझ गये है। टिवट्र, फेसबुक, ई-मेल व पत्रों के माध्यम से लोग इसे अभियान की तरह चला कर मान्यता की मजबूत मांग रख रहे है।

चाहे ट्विटर पर SaveRajasthani# प्तप्राथमिक शिक्षा में राजस्थानी अभियान की बात हो, या कई जनप्रतिनिधियों, विधायकों, और कई संस्थाओं द्वारा ई-मेल व पत्र लिख कर मुख्यमंत्री से मांग करने की, लोगों में अपनी भाषा के लिए एक जनआंदोलन की क्रांति आना शुरू हो चुकी है। लोग कई मंत्रियों व विधायकों के सोशियल मीडिया एकाउंट पर जा कर राजस्थानी भाषा के लिए सवाल पुछने लग गये है।

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने भी गत दिनों राजस्थानी भाषा में अपने कुछ ट्वीट किये जिसे लोगों ने काफी पंसद भी किया। लोग अपने ट्वीट पर सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, सीएमओ, सीएम गहलोत, रणदीप सुरजेवाला, डॉ.सीपी जोशी, डॉ. रघुशर्मा सहित सभी दिग्गज कांग्रेसी नेताओं को टैग भी कर रहे है।

गौरतलब है कि माणक पत्रिका व दैनिक जलतेदीप के प्रधान संपादक पदम मेहता भी पूर्व में मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्रियों व विधायकों को पत्र लिखकर विधानसभा सत्र में विधेयक पारित करवाने की मांग कर चुके हैं।

जोधपुर के पूर्व महाराजा गजसिंह ने लिखा मुख्यमंत्री को राजभाषा का दर्जा देने के लिए पत्र
जोधपुर के पूर्व महाराजा गजसिंह ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एक पत्र लिखा है कि केंद्र सरकार के मानव ससांधन विकास मंत्रालय जो अब शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा ने &4 साल पुरानी शिक्षा नीति में बदलाव करते हुए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की है। नीति के तहत ब’चे पांचवी कक्षा तक अपनी स्थानीय भाषा में भी पढ़ाई कर सकेंगे। इससे बच्चों का बौद्धिक विकास भी होगा और वह अपनी संस्कृति से अवगत होंगे तथा उन्हें संस्कारों को अपनाने का मौका मिलेगा। जोधपुर के पूर्व नरेश ने मुख्यमंत्री से मांग करते हुए लिखा कि राजस्थानी भाषा को द्वितीय राजभाषा घोषित किया जाना चाहिए और विधानसभा में इसको लेकर आदेश पारित करवाया जाए। इसमें केंद्र की अनुमति की जरुरत नहीं होगी।

यह निर्णय राजस्थान सरकार अपने स्तर पर ले सकने में सक्षम है। इस आदेश को शिक्षा सत्र 2020 से लागू कर दिया जाए ताकि इस वर्ष से ही राजस्थानी भाषा में ही पढ़ाई शुरु हो सके। उन्होंने लिखा, राजस्थानी भाषा का प्रभाव दस करोड़ लोगों पर पड़ता है और यह समृद्ध भाषा है। कई कॉलेज और स्कूलों में अगर राजस्थानी भाषा में पढ़ाई होगी तो राजस्थान के ब’चे इस भाषा से समृद्ध होंगे ओर राजस्थानी साहित्य को भी काफी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंनें लिखा कि नौंवी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत राजस्थानी भाषा को द्वितीय राजभाषा घोषित करवाने की कृपा करें।

कई विधायकों व संगठनों ने भी पत्र लिख कर मुख्यमंत्री से की मांग
राजस्थानी भाषा को द्वितीय राजभाषा बनाने की मांग कई विधायकों व कई समाजिक संगठनों आदि ने पत्र लिख कर मुख्यमंत्री से की है। पत्र लिखने वालों में मुख्यरूप से विधायक मानवेंद्र सिंह, (पूर्व सांसद- बाड़मेर-जैसलमेर), विधायक शोभा चौहान (सोजत, पाली), विधायक मनीषा पवार (जोधपुर), विधायक अशोक डोगरा (बूंदी), विधायक समाराम गरासिया (पिण्डवाड़ा, आबू), विधायक फूलसिंह मीणा (उदयपुर ग्रामीण), लालाराम नायक (पीसीसी सदस्य), विधायक पदमाराम मेघवाल (चौहटन, बाड़मेर), रामचंद्र जारोड़ा (पूर्व विधायक मेड़ता, नागौर), विधायक जगसीराम कोली (रेवदर आबूरोड, सिरोही), राजस्थान प्रदेश माली (सैनी) महासभा, विधायक इंदिरा देवी बावरी (मेड़ता,नागौर), विधायक नारायाण सिंह देवल (रानीवाड़ा), आखिल भारतीय बिश्नोई महासभा व समस्त राजस्थानी भाषा प्रेमियों ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर राजस्थानी भाषा को द्वितीय राजभाषा घोषित करने की मांग की है।