राजस्थानी लोकसंगीत को विदेशों में लोकप्रियता दिलाने वाला सबसे प्रतिष्ठित बैंड है ‘धोद’

धोद बैंड के माध्यम से पूरी दुनिया में दे चुके हैं प्रस्तुति

रहीस भारती ने 7 पीढिय़ों से चली आ रही परंपरा को पहुंचाया बुलंदी पर

पिता रफीक मोहम्मद और दादा रसूल खां से तबले की परंपरा के अनुरूप तालीम ली रहीस भारती ने

राजस्थान फाउंंडेशन के मंच से दे चुके हैं मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति

जयपुर/पेरिस। रहीस भारती एक साल में करीब 8 महीने विदेशों में ही विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय समारोह में राजस्थानी संगीत का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं, इनके खानदान में 7 पीढियों से संगीत का वर्चस्व रहा हैं, इसी कारण रहीस आज अपने धोद ग्रुप के नाम से राजस्थानी लोकसंगीत से विश्‍व के अनगिनत कलाप्रेमियों के मन मस्तिष्क पर राज करते आ रहे हैं।

अपनी राजस्थान के लोकसंगीत की परंपरा के साथ-साथ संगीतकार रहीस भारती विदेशी संगीत प्रेमियों के बीच उनके विदेशी संगीत की भी प्रस्तुतियां देते हैं।

विदेशों में संगीत समारोह हो या खेल जगत के अन्तर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट हो, लगभग सभी में इस धोद ग्रुप को आमंत्रित किया जाता है। विदेशों में भारतीय दूतावासों के समारोह में भी यह ग्रुप राजस्थानी लोकसंगीत व संस्कृति का परचम लहराता आ रहा है।

रहीस भारती का जन्म 18 अक्टूबर 1982 में जयपुर में मशहूर संगीत परिवार में हुआ था। वें अपने संगीत के खानदानी परिवार के दूसरी पीढ़ी के कलाकार हैं। उनका बचपन धोद गांव और जयपुर में गुजरा। उन्होंने जयपुर में टैगोर पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की। बाद में उन्होंने इंग्लिश की तालीम हासिल की और अपनी कला को साधना शुरू।

पिता रफीक मोहम्मद और दादा रसूल खां से उन्होंने तबले की परंपरा के अनुरूप तालीम ली। बाद में जाकर उन्होंने देश-विदेश में अपने परिवार और अपने देश का नाम रोशन किया। रहीस भारती ने अपने कौशल, लगन, मेहनत और सोच से न सिर्फ अपने खानदानी परिवार के संगीत को आगे बढ़ाया बल्कि विदेशों में भी संगीत का प्रचार- प्रसार किया।

उन्होंने डिज्नीलैंड जैसी मशहूर कंपनी के साथ भी अपनी कला का विस्तार किया और हिन्दुस्तान की तरफ से अपने देश का प्रतिनिधित्व किया। यहां पर उन्होंने अपने देश की लोक-संस्कृति का परचम लहराया।

भारत के अलावा रहीस भारती के धोद बैंड ग्रुप की कला का परचम लगभग 110 देशों में फैला है, जिनमें प्रमुख हैं फ्रांस, मलेशिया, फ़िलीपीन्स, मिस्र, कनाडा, चीन, जापान, स्विट्जरलैंड, कैलिफोर्निया, जॉर्जिया, मैक्सिको, पुर्तगाल, मोरेक्को, नार्वे, अलजीरिया, शिकागो, जर्मनी, हॉग – कांग, हंगरी, यूएसए आदि है। सन 2000 में जब उन्होंने धोद बैंड की स्थापना की तब ग्रुप में चार कलाकार थे। अब उनके नेतृत्व में लगभग 40 से लेकर 150 कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।  

धोद जिप्सी बैंड को इन 20 सालों में विदेशी जमीं पर लगभग 1200 से अधिक म्यूजिक कंसर्ट में अपनी कला का प्रदर्शन करने का मौका मिला है। जिनमें इग्लैंड की रानी एलिजाबेथ, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, फ्रांस के राष्ट्रपति के अलावा मशहूर गायक रॉलिंग स्टॉन्स, मिग जैगर और यूएसए के कई पॉप स्टार्स गायकों के साथ अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं। उन्हें इन मशहूर कलाकारों के साथ एक ही स्टेज पर लोक – संस्कृति का प्रदर्शन करने का अवसर भी मिल चुका है।

उन्हें 2015 में यूएसए में “सिलीकन वैली ग्लोबल ऑर्गनाइजेशन कम्यूनिटी अवॉर्ड”, 2016 में पौलेंड में “पॉलिश ग्रेमी अवॉर्ड”, 2018 में “प्राइड ऑफ राजस्थान गौरव अवॉर्ड”, 2019 में जापान में “कल्चरल एम्बेसेडर ऑफ राजस्थान अवॉर्ड”, 2019 में पंद्रह अगस्त पर “जिला स्तरीय अवॉर्ड”, 2020 में “राजस्थान स्टेट अवॉर्ड” से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा भी रहीस भारती को कई देशों में सांस्कृतिक राष्ट्रदूतों की उपाधि से भी नवाजा जा चुका है।

एक नज़र धोद बैंड के विदेशों में होने वाले शो पर

धोद बैंड के शो के लिए टिकट पाने के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगा करती हैं।- एक शो में टिकट नहीं मिलता था तो दर्शक दूसरे शो की लाइन में लग जाया करते हैं।- जिस दिन शो होता है तो दर्शक सुबह से ही तैयारी शुरू कर देते हैं।- धोद बैंड के ज्यादातर शो की बुकिंग एडवांस में ही जो जाती है।- धोद ग्रुप की कला का परचम 110 देशों में फैला है।- हर शो में ऑडियंस को लेकर रिकॉर्ड्स बनाता है।- 50 हजार से ज्यादा ऑडियंस बैंड सुनने पहुंचती है।  – डिज्नीलैंड जैसी मशहूर कंपनी के लिए परफोर्म करना उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है। 

लॉकडाउन में भी नहीं छोड़ा लोक-कला का दामन

कोरोना वायरस के संकटकाल में जहां हिंदुस्तान में कला के सभी दरवाजे बंद हो गया। ऐसे में बैंड के संस्थापक व कलाकार रहीस भारती ने लोक-कला का दामन नहीं छोड़ा। उन्होंने साथी कलाकारों के साथ मिलकर कोरोना जैसी जंग में राजस्थानी संगीत को ढाल बनाते हुए लोगों के स्ट्रेस को दूर करने का बखूबी प्रयास किया। रहीस भारती ने फ्रांस के जैज सूस फेस्टिवल के अलावा भी कई शहरों में लोक-कला को रोशन किया।

इसके अलावा साथी कलाकारों के साथ मिलकर नए-नए प्रयोग कर संगीत की विभिन्न रचनाओं को प्रस्तुत कर ऑनलाइन शो भी किए। उनकी इन प्रस्तुतियों को देश-विदेश में सराहा गया। फ्रांस सरकार की ओर से उन्हें कोरोना काल में लोगों के स्ट्रेस को दूर करने के लिए ऑनलाइन कार्यक्रम पेश करने की फरमाइश भी की गई। जिसके चलते रहीस भारती ने अपने साथियों के साथ मिलकर लोक-संस्कृति में रची-बसी रचनाओं को पेशकर देश-विदेश के श्रोताओं को गुलजार कर दिया।


राजस्थान फाउंंडेशन के मंच से दे चुके हैं मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति

पूरी दुनिया में बसे अनिवासी राजस्थानियों को एक मंच पर लाने का काम कर रहा राजस्थान फाउंडेशन के मंच से भी रहीस भारती कई प्रस्तुतियां दे चुके हैं। रहीस भारती ने कोविड काल में राजस्थान फाउंंडेशन द्वारा किये जा रहे प्रयासों का एक हिस्सा बनकर अपना योगदान दिया। राजस्थान फाउंडेशन ने कोविड काल में कई सांंस्कृतिक कार्यक्रम का ऑनलाइन आयोजन किया। इन ऑनलाइन प्रस्तुतियों में रहीस भारती ने अपने राजस्थानी लोकसंगीत की मधुर प्रस्तुति दी। रहीस भारती ने धोद बैंड के माध्यम से जबरदस्त प्रस्तुति देकर पूरी दुनिया में बसे राजस्थानियों को मंंत्रमुग्ध कर दिया।