राजस्थानी भाषा के संरक्षण एवं प्रचार के लिये एक नई पहल

राजस्थानी सीखने का पहला ऑनलाइन कोर्स सीखो राजस्थानी

जोधपुर के पूर्व महाराजा गजसिंह जी के मुख्य आतिथ्य में 3 अगस्त को होगा प्रोजेक्ट का शुभारम्भ

जयपुर/जोधपुर। राजस्थानी भाषा अपनी एक विशेष पहचान रखती है। देश, प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में राजस्थानी भाषी लोग बसते हैं। मगर मान्यता ना मिलने के कारण राजस्थानी भाषा अपनी असली पहचान को न पा सकी। राजस्थानी भाषा के संरक्षण एवं प्रचार के लिये नई पहल शुरु की गई है। राजस्थानी भाषा अकादमी नाम के ट्रस्ट की स्थापना कर ‘द सीखो राजस्थानी प्रोजेक्ट’ तैयार किया है, इस प्रोजेक्ट के तहत राजस्थानी भाषा को सीखने के लिए ऑनलाइन कोर्स शुरु किया गया है। यह पहल की विशेष कोठारी ने जो पेशे से फाइनेंशियल कंसल्टेंट हैं। इस कोर्स के लिये केवल भारत के विभिन्न राज्यों से ही नहीं, बल्कि विश्व के विभिन्न देशों में भी इसके प्रति उत्साह देखा जा रहा है। बता दें कि कोलकाता में रहने वाले विशेष कोठारी प्रवासी राजस्थानी हैं जो मूल रूप से राजस्थान के चूरू जिले से ताल्लुक रखते हैं।

लेखक पिता राजस्थानी पुस्तकों का अनुवाद अंग्रेजी में कर चुके हैं

अपनी मातृभूमि से सैकड़ों मील दूर बैठे रहने के बावजद अपनी मातृभाषा से इतना प्रेम रखने वाले राजस्थानी मूल के विशेष कोठारी के पिता लेखक हैं और 35 साल पहले कोलकाता जा बसे थे। वह कई राजस्थानी पुस्तकों का अनुवाद अंग्रेजी में कर चुके हैं। वह कहते हैं कि दूर दराज बैठे राजस्थानियों के बच्चों को अपनी मातृभाषा से जोडऩेे के लिए यह पहल की जा रही है। मुझे इस बात पर गर्व भी है कि मेरा बेटे ने इस पहल का बीड़ा उठाया है और अपने पुरखोंं की भाषा को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है।

3 अगस्त को किया जायेगा उद्घाटन, पूर्व महाराजा गजसिंह होंगे मुख्य अतिथि

अकादमी इस प्रोजेक्ट का उद्घाटन 3 अगस्त को करने जा रही है। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जोधपुर के पूर्व महाराजा गजसिंह होंगे। अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के अंतरराष्ट्रीय संयोजक प्रेम भंडारी और राजस्थान फाउंडेशन के कमिशनर धीरज श्रीवास्तव भी कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे।

प्रोफेसर टायलर और अलेक्जेंड्रा टूरेक भी कार्यक्रम से जुड़ेंगे

अमेरिका के शिकागो यूनिवर्सिटी के भक्ति कालीन साहित्य के विशेषज्ञ प्रोफेसर टायलर विलियम्ज़़ एवं पोलेँड की राजस्थानी भाषा एवं साहित्य विशेषज्ञ प्रोफेसर अलेक्जेंड्रा टूरेक भी इस कार्यक्रम में जुड़ेंगी।

विशेषज्ञ देंगे ट्रेनिंग

विशेष कोठारी ने बताया कि कोविड लॉकडाउन के दौरान मुझे यह आइडिया आया कि घर बैठे भी हम राजस्थानी भाषा को जन जन तक पहुंचा सकते हैं। इसे दुनिया में किसी भी कोने में मौजूद लोगों को इससे जोड़ सकते हैं। इसलिए हमने इस ऑनलाइन प्रोजेक्टर सीखो राजस्थानी की शुरुआत की। इसके तहत छोटे-छोटे वीडियो लेक्चर्स, खेल, ट्यूटर,खाना, मूवी आदि के माध्यम से राजस्थानी को सिखाया जाएगा। सप्ताह में एक बार विशेषज्ञ इसकी ट्रेनिंग देंगे। इसके लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो गए हैं।

इनका रहेगा मार्गदर्शन

प्रोफेसर दलपत राजपुरोहित, यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास एट ऑस्टिन में असिस्टंट प्रोफेसर एवं विशेष कोठारी वित्त सलाहकार एवं लेखक हैं, यह दोनों अकादमी के कामकाज संभाल रहे हैं। इसके अतिरिक्त अकादमी से नेहा मालू, गिरिराज बोहरा एवं कुलदीप राजपुरोहित भी जुड़े हुए हैं। जानेमाने भाषा विशेषज्ञ प्रोफेसर गणेश देवि भी अकादमी को मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं।

इनकी तरफ से जारी हैं हरसंभव प्रयास

राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलवाने और बढ़ावा देने के लिए जोधपुर के पूर्व महाराजा गजसिंह बड़ी भूमिका निभाते आये हैं। राजस्थानी भाषा में ही अपने काम काज करने पर बल देते हैं ताकि अन्य भाषी भी राजस्थानी भाषा से प्रेरित हों सकें। इसके अलावा अमेरिका में रहते हुए भी अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के अंतरराष्ट्रीय संयोजक प्रेम भंडारी भी राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलवाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं और वैश्विक पटल पर भी अपनी मातृभाषा को बढ़ावा देने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वहीं राजस्थान फाउंडेशन के अध्यक्ष धीरज श्रीवास्तव राजस्थानियों की मदद के लिए तो तत्पर रहते ही हैं मायड़ भाषा मान्यता के लिए संघर्ष कर रहे हर एक मंच और राजस्थानी के लिए वह हमेशा साथ खड़े नजर आए हैं।

माणक पत्रिका है आउटरीच पार्टनर

राजस्थानी भाषा संस्कृति की जहां भी बात आती है राजस्थानी भाषा की एक मात्र पारिवारिक मासिक पत्रिका माणक हमेशा से आगीवाण बना है। राजस्थानी भाषा की मान्यता की बात हो या प्रवासियों को अपनी भाषा संस्कृति से जो?ने की माणक पत्रिका हमेशा सहयोगी रहा है। सीखो राजस्थानी प्रोजेक्ट के लिए भी राजस्थानी भाषा अकादमी ने माणक को आउटरीच पार्टनर के रूप में इस प्रोजेक्ट से जोड़ा है।

राजस्थानी भाषा अकादमी के बारे में

राजस्थानी भाषा अकादमी एक ट्रस्ट है जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के लोग शामिल हैं- जिसमें शिक्षाविद, शोधकर्ता, लेखक और छात्र, सभी राजस्थानी भाषा को संरक्षित और प्रचारित करने के एक सामान्य उद्देश्य से एकजुट हैं। अकादमी का प्राथमिक उद्देश्य राजस्थानी भाषा शिक्षण और अनुसंधान को आगे बढ़ाना है। अकादमी द्वारा शुरू की गई सीखो राजस्थानी/सीखो राजस्थानी परियोजना का उद्देश्य राजस्थानी भाषा सीखने और सिखाने की सुविधा प्रदान करने वाला पहला संरचित पाठ्यक्रम स्थापित करना है। यह भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची से बाहर होने के कारण स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों जैसे शैक्षणिक संस्थानों से राजस्थानी की अनुपस्थिति के लिए एक लंबे समय से लंबित प्रतिक्रिया है। यहां तक कि 2011 की जनगणना का भी अनुमान है कि राजस्थान में लगभग 5 करोड़ भाषा बोलने वाले हैं, मातृभाषा सीखने का एकमात्र तरीका अब सीखो राजस्थानी प्रोजेक्ट के साथ बदल जाएगा।