किसी व्यक्ति के सिविल राइट्स पर प्रतिकूल प्रभाव डालने से पूर्व प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत की पालना जरू रीः हाईकोर्ट
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने कॉलेजों की एनओसी रद्द करने के मामले में सख्त आदेश देते हुए कहा कि कॉलेजों को सुनवाई का पूरा मौका नहीं दिया गया। यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विपरित है। ऐसे में अदालत ने कॉलेजों की एनओसी रद्द करने के आदेश को निरस्त कर दिया है। अदालत ने उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिव पर 15-15 हजार रूपए की पैनल्टी लगाई है। यानी तीन कॉलेजों को कुल 45 हजार रूपए बतौर पैनल्टी के देने होंगे। साथ ही कहा कि किसी व्यक्ति के सिविल राइट्स को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने से पूर्व राज्य को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत की पालना करना आवश्यक है।
वरिष्ठ अधिवक्ता आरबी माथुर, आरएन माथुर और धीरज पालिया ने पैरवी करते हुए अदालत को बताया कि सवाई माधोपुर में जमवाय एजुकेशन ट्रस्ट के अधीन संचालित महाराजा हमीर कॉलेज समेत उनके तीन महाविद्यालयों की एनओसी कलक्टर की बनाई कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर कॉलेज शिक्षा विभाग ने रद्द कर दी है। इस मामले में कॉलेज को सुनवाई का अवसर भी नहीं दिया गया। प्रकरण में कुछ छात्रों ने कॉलेज के खिलाफ ज्यादा फीस चार्ज करने का आरोप लगाया था।
याचिका में याचिकाकर्ता ने राजस्थान हाईकोर्ट में कॉलेज शिक्षा विभाग की ओर से एनओसी रद्द करने के आदेश को चुनौति देते हुए इसे गलत ठहराया गया। इस पर अदालत ने सुनवाई का अवसर नहीं देने पर इसे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विपरित बताया। साथ ही एनओसी निरस्त करने को गैर कानूनी ठहराया है। जस्टिस महेंद्र कुमार गोयल ने यह आदेश दिए हैं।