सांस्कृतिक सम्पन्नता की ऐतिहासिक भूमि है राजस्थान – राज्यपाल

  • सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर द्वारा राजस्थान स्थापना दिवस के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित
  • राज्यपाल ने राजस्थान के चहुंमुखी विकास में सभी की भागीदारी का किया आह्वान

राज्यपाल कलराज मिश्र ने प्रदेशवासियों से राजस्थान के सद्भाव की संस्कृति को सहेजने और प्रदेश के चहुंमुखी विकास में भागीदार बनने का आह्वान किया है। राज्यपाल मिश्र मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर द्वारा राजस्थान स्थापना दिवस के अवसर पर मंगलवार को आयोजित कार्यक्रम में यहां राजभवन से सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राजस्थान भक्ति और शक्ति का संगम स्थल होने के साथ ही साहित्य, कला और संस्कृति में भी बेहद सम्पन्न है। शूरवीरों की इस धरती का इतिहास रोचक और प्रेरणास्पद है।

राज्यपाल मिश्र ने कहा कि भाषा, बोली, धर्म, रीति-रिवाज में विविधता होते हुए भी प्रदेश अनूठी एकता के सूत्र में बंधा है, जो प्रदेश को विश्व में एक अनोखी पहचान दिलाता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के इस मान-सम्मान को बनाए रखने के लिए यहां की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परम्पराओं को आगे बढ़ाने की सामूहिक जिम्मेदारी सभी प्रदेशवासियों की है।

राजस्थान विधानसभा के स्पीकर डॉ. सी.पी. जोशी ने अपने संबोधन में प्रदेश की विरासत को अक्षुण्ण रखते हुए भविष्य की नई चुनौतियों के लिए तैयार करने की जरूरत व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आदिवासी क्षेत्र के युवा भी सूचना प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसे नए विषयों में अपना करियर बना सकें, इसके लिए पाठ्यक्रमों को नए सिरे से अपडेट किया जाना चाहिए ।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अमेरिका सिंह ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि स्थानीय भाषा और संस्कृति को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय में लोक विरासत केन्द्र तथा मेवाड़ पीठ की स्थापना की गई है। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों पर भी प्रकाश डाला।

कार्यक्रम में प्रख्यात भजन गायक श्री अनूप जलोटा ने कहा कि राजस्थान वासियों ने अपनी मेहनत, लगन और प्रतिभा से साहित्य, संगीत, कला, विज्ञान और व्यापार सहित सभी क्षेत्रों में दुनियाभर में नाम कमाया है। उन्होंने अपने सम्बोधन में भक्त शिरोमणि मीरां बाई के अवदान को भी याद किया।

राजस्थानी भाषा के प्रख्यात कवि, अनुवादक एवं साहित्यकार डॉ. चन्द्रप्रकाश देवल ने अपने सम्बोधन में प्रदेश के लोक साहित्य और काव्य परम्परा की चर्चा की। कार्यक्रम के आरम्भ में राज्यपाल श्री मिश्र ने संविधान की उद्देश्यिका तथा मूल कत्र्तव्यों का वाचन करवाया। इसके पश्चात लोक कलाकारों द्वारा लोकगीत धरती धोरां री की मनोहारी प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम के दौरान राजस्थान के गौरवशाली इतिहास, संस्कृति और परम्परा पर आधारित वृत्त चित्र का प्रदर्शन भी किया गया।

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