राजस्थानी लोकगीत राजस्थानी भाषा की रीढ़ है: केसी मालू

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कवि छैल ने किया वीणा म्यूजिक के निदेशक केसी मालू से संवाद

“राजस्थानी लोक गीत और संगीत परंपरा बहुत पुरानी है |राजस्थानी लोकगीत बहुत मेलोडियस है तथा इनके विषय लोक से आए है इसलिए इनमें मौलिकता है । लोकगीत किसी भी भाषा के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते है क्योंकि लोकगीत सदा उस प्रदेश की भाषा का प्रतिनिधित्व करते है । ऐसे ही राजस्थानी लोकगीतों से राजस्थानी भाषा को मजबूती मिलती है इसलिए एक तरह से राजस्थानी लोकगीत राजस्थानी भाषा की रीढ़ है।

वीणा म्यूजिक कम्पनी के निदेशक केसी मालू ने ‘जै जै राजस्थान ‘ ओनलाईन प्लेटफोर्म पर छैलू चारण छैल द्वारा लिए गए साक्षात्कार में कही

यह बात सुप्रसिद्ध वीणा म्यूजिक कम्पनी के निदेशक केसी मालू ने ‘जै जै राजस्थान ‘ ओनलाईन प्लेटफोर्म पर छैलू चारण छैल द्वारा लिए गए साक्षात्कार में कही । जै जै राजस्थान समूह राजस्थानी भाषा,संस्कृति और इतिहास को समर्पित उपक्रम है जिसमें सप्ताहांत में राजस्थानी कवि सम्मेलन और ‘आमी सामीं – अेक पावंडो राजस्थानी कानी’ नाम से कार्यक्रम संचालित करते है जिसमें प्रदेश के साहित्यकार,कवियों,इतिहासकारों,कलाकारों आदि से चर्चा की जाती है ।

रविवार को आयोजित साक्षात्कार के मेहमान के सी मालू थे । राजस्थानी भाषा मान्यता के सवाल पर उन्होने कहा कि जनप्रतिनिधियों की कमजोर इच्छाशक्ति से मान्यता मिलने में देरी हो रही है। साथ ही राजस्थानियों को भी मातृभाषा के महत्व को समझना जरुरी है। कार्यक्रम में वत्सला जोशी ने अपने मधुर कंठों से वीणा म्यूजिक के प्रथम एल्बम से “चाँद चढ्यो गिगनार ” तथा सावन के गीतों की प्रस्तुति दी। इससे पूर्व शुक्रवार शाम को राजस्थानी कवि सम्मेलन हुआ जिसमें प्रसिद्ध कवि राज बिजारणिया, बीकानेर, धनराज दाधिच जयपुर तथा आशा पांडेय ओझा, उदयपुर ने मनमोहक कविताएँ तथा गीत सुनाकर रंग जमाया।

कार्यक्रम में हनवंत सिंह राजपुरोहित, लंदन (यूके) ,अचल सोनी, लंदन (यूके), अरुण माहेश्वरी, आकाश मोदी, सत्यनारायण राजपुरोहित,किरण राजपुरोहित,अशोक स्वामी आदि मोजूद रहै तथा हजारों लोगों ने इसे लाईव सुना और देखा |

केसी मालू :- एक परिचय: केसी मालू(केशरी चंद मालू ) 4 जुलाई 1946 को सुजानगढ़, चूरु( राज) में जैन परिवार में जन्मे| 1977 में ‘सुरसंगम’ तथा 1987 में लोकसंगीत की प्रतिष्ठित कम्पनी ‘वीणा ‘ की स्थापना की। राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समीति के अध्यक्ष रहते हुए कई आन्दोलन और रेलियां निकाली। अपने योगदान के लिए “डागर घराना अवार्ड”, श्रैष्ठ कला अवार्ड, राजस्थान गौरव अलंकरण, यूनेस्को चेतना अवार्ड, प्लेटिनम डिस्क अवार्ड, राजस्थान रत्नाकर, महाकवि कन्हैयालाल सेठिया मायड़ भाषा सम्मान, रविन्द्र जैन संगीत साधना पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित।