बीते दो महीनों में राजस्थान के सियासत के चेहरे भी बदल गए, अब पंचायत चुनावों में होगी परीक्षा

जयपुर। विधायकों की बाड़ाबंदी के बाद राजस्थान कांग्रेस में बीते दो महीनों में सियासत के चेहरे भी बदल दिए गए हैं। प्रदेशाध्यक्ष से लेकर प्रदेश प्रभारी व सहप्रभारी बदल दिए गए। अब राजस्थान को चलाने के लिए लीडर्स की नई टीम तैयार है, लेकिन इसकी असली परीक्षा आने वाले पंचायत चुनावों में ही हो जाएगी।

परीक्षा इसलिए भी क्योंकि कि सत्ता में पर्याप्त भागीदारी नहीं मिलने की वजह से दो महीने पहले सचिन पायलट के नेतृत्व में जिस धड़े ने बगावत की थी वह अब भी सरकार से नाराज ही दिख रहा है। ऐसे में चुनावों के वक्त यह नाराजगी सरकार के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकती है। बाड़ाबंदी के दौरान सचिन पायलट को संगठन व सरकार से हटाते हुए कांग्रेस आलाकमान ने उनकी जगह गोविंद सिंह डोटासरा को प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया था।

पायलट की वापसी की बाद प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे की छुट्टी कर दी गई और उनकी जगह अजय माकन को राजस्थान का प्रभारी बनाया गया। शुक्रवार को संगठनात्मक फेरबदल के दौरान यह प्रभारी विवेक बंसल को भी राजस्थान से हटाकर हरियाणा भेज दिया गया। देवेंद्र यादव और काजी निजामुद्दीन को भी राजस्थान के सह प्रभारी पद से पार्टी पहले ही हटा चुकी थी।

अब सिर्फ तरुण कुमार ही यहां के एक मात्र सह प्रभारी हैं, तीन सह प्रभारी के पद अब खाली हो चुके हैं। ऐसे में अब सियासतदानों की नजरें इनकी जगह होने वाली नई नियुक्तियों पर भी है। जिन नए नेताओं को अब राजस्थान कांग्रेस का संगठन चलाने की जिम्मेदारी दी गई है, अब उन पर भी अपनी टीम तैयार करने का दबाव है।

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राजस्थान में नए प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति हुए करीब दो महीने हो चुके हैं लेकिन अब प्रदेश व जिला कांग्रेस में नियुक्तियों की राह नहीं खुल सकी है। ऐसे में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच भी असंतोष बढ़ रहा है। हालांकि इस असंतोष को भांपने के लिए ही अजय माकन और गोविंद सिंह डोटासरा लगातार कार्यकर्ताओं और नेताओं की फीडबैक बैठकें ले रहे हैं।