शूरवीरों की गौरव गाथाओं से जुड़ी संस्कृति है क्षत्रिय: कलराज मिश्र

kalraj mishra
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  • अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का उद्घाटन समारोह
  • कुरीतियों को दूर कर राष्ट्र के उत्थान के लिए कार्य करने का किया आह्वान
जयपुर। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि क्षत्रिय समाज नहीं बल्कि हमारे देश को आक्रांताओं से विजय दिलाने वाले शूरवीरों की गौरव गाथाओं से जुड़ी सनातन संस्कृति है। उन्होंने कहा कि भारत पर जब—जब विदेशी हमले हुए और साम्राज्य की स्थापना के लिए आक्रमण किए गए तब जिन रणबांकुरों ने संघर्ष कर देश का नाम रोशन किया—उनमें प्रायः सभी क्षत्रिय ही रहे हैं। राज्यपाल मिश्र ने प्राचीन इतिहास और पौराणिक ग्रंथों में आए “क्षत्रिय” शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि रक्षा का जो दायित्व ले, वही क्षत्रिय है। उन्होंने क्षत्रियों की वीरता, साहस, त्याग, शरणागत की रक्षा आदि गुणों की चर्चा करते हुए कहा कि क्षत्रिय शब्द  गहरे अर्थ लिए है। उन्होंने कहा कि अपने हक और अधिकारों की लड़ाई तो सभी लड़ते हैं परन्तु बहुत कम ऐसे होते हैं जो पूरे समाज और देश की रक्षा के लिए अपने आपको समर्पित करते है। इसी संदर्भ में पुराण काल से लेकर मुगलों के आक्रमण के दौरान क्षत्रियों ने राष्ट्र की स्वाधीनता, मनुष्यता के धर्म को निभाने के लिए सदा लड़ाइयां लड़ी है। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप ने भी अपनी लड़ाई नहीं लड़ी बल्कि देश की स्वाधीनता की लड़ाई लड़ी।
मिश्र ने क्षत्रिय समाज को अपने अतीत के गौरव से प्रेरणा लेते हुए उन बुराइयों से भी निरंतर लड़ने का आह्वान किया जिससे समाज को क्षति पहुंचती है। उन्होंने समाज में फैली नशे की आदतों, अंधविश्वास तथा दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों को जड़ से उखाड़ने तथा एक दूसरे के सुख दुख में साथ देने के साथ ही मानव मात्र के कल्याण को सर्वोपरि रखते हुए कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भारतीय दृष्टि को अपनाते हुए क्षत्रिय समाज को आगे बढ़ने की आवश्यकता जताई।
इस अवसर पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि क्षत्रिय समाज ने देश के गौरवपूर्ण इतिहास के निर्माण का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि समाज को दीर्घकाल तक यदि प्रासंगिक बनाए रखना है तो इतिहास के पुनर्लेखन के लिए सभी को मिलकर कार्य करने की जरूरत है।
इस अवसर पर राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि क्षत्रिय समाज नहीं धर्म है। उन्होंने  कहा कि देश और समाज के निरन्तर विकास के लिए भी क्षत्रिय समाज ने अभूतपूर्व कार्य किया है।
पूर्व सांसद करणसिंह ने भारतीय संस्कृति के आलोक में क्षत्रिय समाज के गौरव को स्मरण करते पहाड़ी लोगों के अवदान को भी विस्मृत नहीं करने का आग्रह किया। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष मानवेन्द्र सिंह ने स्वागत उद्बोधन में जातिगत आरक्षण समाप्त कर  देश भर में आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था लागू किए जाने और महापुरुषों की गौरव गाथाओं को पाठ्यपुस्तकों में शामिल किए जाने की मांग की।
अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा की  रूपा बा ने भी कार्यक्रम में सम्बोधित किया। समारोह में पूर्व मंत्री श्री राजपाल सिंह,  राव राजेन्द्र सिंह, श्री प्रबल प्रताप सिंह सहित बड़ी संख्या में गणमान्यजन उपस्थित थे।