त्याग ऐसा होना चाहिए कि उसके प्रति आसक्ति नहीं हो : सुनील सागरजी

बांसवाड़ा। अतिशय क्षेत्र अंदेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर में चातुर्मासरत आचार्य सुनील सागरजी महाराज ने धर्मसभा में प्रवचनों के दौरान कहा कि किसी भी वस्तु का अगर त्याग करते हो, वह त्याग स्वयं के सिवाय किसी को पता नहीं लगना चाहिए उसे बोलते सच्चा त्याग।

जैसे किसी दिन भोजन में नमक का त्याग कर लिया और उसके बदले अन्य वस्तुएं भोजन में ले ली तो वह त्याग की श्रेणी में नहीं आएगा। पांच रुपए का नमक का त्याग कर पांच सौ रुपए की अन्य वस्तुओं को उपभोग में ले रहे हो तो फिर ऐसा त्याग करने का मतलब ही क्या…? जब शक्कर का त्याग कर रहे हो और मनुक्का, बादाम, काजु जमकर खा रहे हो तो वह त्याग की श्रेणी में कदापि नही आएगा। वागड़ अंचल के गुरु भक्त परिवार ने गुरुवार को आचार्य श्री सुनील सागरजी महाराज को विशाल श्रीफल भेंट किया।

साधु सेवा संस्थान के संरक्षक मुनि भक्त संजय एन दोसी परतापुर ने बताया कि श्री दिगम्बर साधु सेवा संस्थान द्वारा अतिशय क्षेत्र अंदेश्वर तीर्थ में चातुर्मासरत आचार्य श्री सुनील सागरजी महाराज को श्रीफल भेंट कर सदस्यो ने निस्वार्थ सेवा, तन, मन, धन से साधु सेवा करते हुऐ धर्म प्रभावना फैलाने का आशीर्वाद लिया। संजय एन दोसी ने बताया कि वागड़ अंचल के गुरु भक्त परिवार के सदस्यों ने मिलकर जिले में चातुर्मासरत सभी साधु संतों को श्रीफल भेंटकर आशीर्वाद लिया।

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