प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में अलग ‘राजस्थानी विभाग’ शुरू करने के लिए राज्यपाल से अनुरोध

जयपुर। राजस्थानी मासिक ‘माणक’ के प्रधान संपादक पदम मेहता ने मंगलवार को राज्यपाल कलराज मिश्र से भेंट के दौरान प्रदेश के साथ सभी विश्वविद्यालयों में जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर की तरह ही अलग से ‘राजस्थानी विभाग’ प्रारंभ करने बाबत अनुरोध करते हुए विस्तृत जानकारी युक्त पत्र सौंपा। पत्र में नवीनतम जनगणना के प्रमाणित आंकड़ों को संलग्न करने के साथ माननीय महामहिम को बताया गया है कि जहां पर प्रदेश में हिन्दी बोलने वालों की संख्या 1 करोड़ 87 लाख 42 हजार 450 है, वहीं इससे लगभग ढ़ाई गुना मातृभाषा राजस्थानी (विधानसभा में पारित संकल्प में उल्लेखित उपभाषाओं सहित) लिखाने वालों की संख्या 4 करोड़ 63 लाख 58 हजार 955 है।

मेहता ने राज्यपाल को निवेदन किया कि नई शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा/क्षेत्रीय भाषा में ही दिये जाने का प्रावधान है। प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होने के नाते आप उच्च शिक्षा में मातृभाषा का महत्व भी समझते हैं, प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में मातृभाषा राजस्थानी की अनिवार्य शिक्षा के लिए आपके द्वारा जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर की तरह अलग ‘राजस्थानी विभाग’ व शिक्षक नियुक्ति निर्देश प्रदान किये जाते हैं तो भविष्य में मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा के लिये भी अधिक से अधिक शिक्षक स्नातक-स्नातकोत्तर डिग्री इन विश्वविद्यालयों से प्राप्त कर सकेंगे।

मेहता ने पत्र में रीट-2021 के लिए मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र की प्रतिलिपि संलग्न करते हुए संलग्नक तथ्यों के आधार  पर राज्य सरकार को रीट-2021 में ‘राजस्थानी भाषा’ को सम्मिलित करने हेतु उचित मार्गदर्शन का अनुरोध भी किया ताकि नई शिक्षा नीति के अनुरूप राजस्थान की नई पीढ़ी को भी प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा से मिल सकें।  

मेहता ने राज्यपाल महोदय को एक अन्य पत्र में राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए किये जा रहे आंदोलन और गत कई वर्षों से केंद्र सरकार द्वारा दिये आश्वासनों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत कर केंद्र सरकार से राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए अपनी मजबूत अनुशंषा प्रेषित करने का अनुरोध भी किया। श्री मेहता ने राज्यपाल महोदय को राजस्थानी मासिक ‘माणक’ के कतिपय विशेषांकों की प्रतियां भी भेंट की।श्री मेहता ने राज्यपाल महोदय को एक अन्य पत्र में राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए किये जा रहे आंदोलन और गत कई वर्षों से केंद्र सरकार द्वारा दिये आश्वासनों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत कर केंद्र सरकार से राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए अपनी मजबूत अनुशंषा प्रेषित करने का अनुरोध भी किया। श्री मेहता ने राज्यपाल महोदय को राजस्थानी मासिक ‘माणक’ के कतिपय विशेषांकों की प्रतियां भी भेंट की।