कॉरपोरेट एवं औद्योगिक घरानों से जुड़े लोग सीएसआर के अंतर्गत राजस्थान के विकास का संकल्प करें : डॉ. मधुकर गुप्ता

राजस्थान में कोविड-19 (कोरोना) काल के बाद सीएसआर का प्रभाव, आवश्यकताएं और अवसर विषय पर परिचर्चा

राजस्थान में सीएसआर योजना के अंतर्गत 723 करोड़ रूपये खर्च की 181 सीएसआर परियोजनाएं

गोपेंद्र नाथ भट्ट

नई दिल्ली। पर्यटन, कला और संस्कृति की दृष्टि से समृद्ध राजस्थान में कॉरपोरेट सामाजिक सहभागिता (सीएसआर) योजना के अंतर्गत 723 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत प्रदेश में 181 सीएसआर परियोजनाएं सफलतापूर्वक पूरी की गई हैं।
यह बात राजस्थान के दिल्ली में प्रमुख आवासीय आयुक्त और अतिरिक्त मुख्य सचिव सचिव डॉ. मधुकर गुप्ता ने इंटरनेशनल सेंटर फॉर सोशली रिस्पॉन्सिबल बिजनेसेस द्वारा सीएएफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में राजस्थान में कोविड-19 कोरोना काल के बाद सीएसआर का प्रभाव,आवश्यकताएं और अवसर विषय पर आयोजित ऑनलाइन राउंड टेबल परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए कही।

इस परिचर्चा में सेबी के पूर्व अध्यक्ष पदमभूषण डॉ. डी.आर.मेहता, बिजऩेस वर्ड के चेयरमेन डॉ.अनुराग बत्रा के साथ ही कॉरपोरेट, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, स्वयंसेवी संगठनों, कार्यान्वयन एजेंसियों के प्रमुख और प्रशासनिक सेवाओं के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। डॉ. गुप्ता ने इस अवसर पर कहा कि कोरोना की वैश्विक महामारी का मुकाबला करने में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में देश के अन्य राज्यों के मुकाबले राजस्थान में बेहतर काम किया जा रहा है। प्रदेश के कई भामाशाह और कई स्वयंसेवी संस्थाएं एवं औद्योगिकी तथा कॉरपोरेट संस्थाएं स्वेच्छा से आगे आकर इस चुनौतीपूर्ण घड़ी में मानवता की रक्षा के लिए पूरे मनोयोग के साथ काम कर रही है।

राजस्थान का मारवाड़ी समाज और देश-विदेश में बसे प्रवासी भी इस नेक काम में बढ़-चढ़ कर भाग ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि राजस्थान की संस्कृति में यह खूबी है कि महाराणा प्रताप के समय से ही भामाशाह जैसे महापुरुषों ने विपत्ति के समय स्वयं आगे आकर देश और समाज के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया। राजस्थान अपनी इस समृद्ध परम्परा को आज भी बखूबी निभा रहा है। डॉ. गुप्ता ने कॉरपोरेट और औद्योगिक घरानों तथा स्वयंसेवी संगठनों से जुड़े लोगों का आह्वान किया कि वे समाज के पीडि़त और वंचित वर्ग की सेवा के लिए की जा रही कॉरपोरेट सामाजिक भागीदारी योजना में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लें और प्रभावित मानवता की सेवा करने का पुण्य कमाएं।

डॉ. गुप्ता ने बताया कि किसी समय बीमारू प्रदेशों में शामिल राजस्थान में प्राय: अकाल, सूखा और पीने के पानी की समस्या के साथ ही प्राकृतिक आपदाओं का भारी प्रकोप रहता था, लेकिन आज राजस्थान विकास के नये मार्ग की ओर अग्रसर है। प्रदेश के सुदूर आदिवासी और रेगिस्तानी क्षेत्रों में आज भी विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अन्य राज्यों की तुलना में अधिक राशि व्यय करनी पड़ती है, इसका कारण इन क्षेत्रों में विकास योजनाओं और मूलभूत सुविधाओं का विस्तार करने के लिए सेवा की लागत अन्य प्रदेशों के मुकाबले अधिक आती है।

राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा प्रदेश है और दूर-दूर तक फैले रेगिस्तान में विकास कार्यों पर सेवा लागत अधिक आने से ज्यादा पैसा व्यय करना पड़ता है। उन्होंने राजस्थान की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए कॉरपोरेट एवं औद्योगिक घरानों से जुड़े लोगों का आह्वान किया कि वे राजस्थान में सीएसआर की व्यापक अवसर को ध्यान में रखते हुए अपनी आय का एक निश्चित हिस्सा राजस्थान के सुदूर आदिवासी रेगिस्तानी और पहाड़ी क्षेत्रों के विकास के लिए लगाने का संकल्प करें।

ऑन लाइन राउंड टेबल परिचर्चा का उद्घाटन भाषण सीएएफ इण्डिया की मुख्य कार्यकारी अधिकारी मीनाक्षी बत्रा ने दिया। उनके अलावा करीब 15 शीर्ष कॉर्पोरेट घरानों के प्रतिनिधि भी वेबिनार में शामिल हुए। इनमे आरईसी फॉउंडेशन, वेदांता, आई बी एम इण्डिया, एसीसी लिमिटेड, विप्रो जीई हेल्थ केयर और कोका कोला के साथ साथ कई क्रियान्वयन एजेंसियों ने भी भाग लिया। इनमें आरोह फॉउंडेशन, एआईएफ, ग्राम उन्नति और युवा ने राजस्थान में अपनी सीएसआर परियोजनाओं के बारे में प्रस्तुति दी। इसके बाद राजस्थान में सीएसआर की अन्य पहलों के बारे में भावी रणनीति,अवसरों और चुनौतियों पर गहन विचार विमर्श किया गया।