जीवन और आजीविका की बहाली जरूरी : वसुंधरा राजे सिंधिया

संकटग्रस्त कारीगरों के सहयोग व प्रोत्साहन के लिए एफएलओ एवं क्रिएटिव डिग्निटी की पहल

जयपुर/नई दिल्ली। भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने फिक्की की महिला शाखा एफएलओ द्वारा आयोजित एक वेबिनार के दौरान कहा कि भारतीय कारीगर दान नहीं चाहते, बल्कि वे काम की तलाश में रहते हैं। यदि उन्हें अवसर दिया जाय तो वे बहुत अच्छा काम करेंगे।

इस अवसर पर उन्होंने कहा, एफएलओ और क्रिएटिव डिग्निटी की इस पहल से स्थानीय कारीगरों को आवश्यक कौशल सीखने, गुणवत्ता नियंत्रण, अपनी कला को निखारने और उत्पादों को सीधे बाजार में बेचने के लिए डिजाइनरों के साथ गठबंधन करने का एक मंच मिलेगा। भारत में प्रतिभा का भंडार है और हमें हमारे शिल्प और कला की विरासत के संरक्षण के साथ ही रोजगार के अवसरों का सृजन करने के लिए इन प्रतिभाओं का दोहन करने की जरूरत है।

एफएलओ और क्रिएटिव डिग्निटी की इस पहल का उद्देश्य पश्चिम बंगाल, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, पुदुचेरी, केरल और बिहार के कारीगरों को सशक्त बनाकर इसे पूरा करना है। इस पहल से इन राज्यों के 1,000 से अधिक कारीगरों को प्रशिक्षण में मदद करना है जिससे वे डिजिटल माध्यम से ग्राहकों तक पहुंच सकें और उन्हें नया बाजार मिलने के साथ आजीविका के अवसर बढ़ सकें। शिल्प प्रेमियों को सीधे कारीगरों से खरीद की सुविधा देकर इस पहल के तहत कारीगरों को ई कॉमर्स साइटों जैसे गोकूप, फ्रीडम ट्री, जेपोर, ओखाई, आईटोकरी, ज्वेंडे और टाटा क्लिक के साथ बाजार स्थल पर पहुंचने में मदद मिलेगी। अभी कई ऐसे कारीगर हैं जिनकी पहुंच इन साइटों तक नहीं रही है।

एफएलओ की अध्यक्ष जाह्नबी फुकन ने कहा, यह इस साल के मेरे विजन के अनुरूप है जिसमें महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए टिकाऊ आजीविका की दिशा में काम किया जा रहा है। हथकरघा क्षेत्र महिलाओं को कृषि के बाद सबसे अधिक रोजगार देने वाला दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है और यह क्षेत्र कोविड संकट से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। क्रिएटिव डिग्निटी द्वारा पेश इस डिजिटल प्लेटफॉर्म से एफएलओ को देशभर में हमारे संकटग्रस्त कारीगरों के लिए जीवन और आजीविका बहाल करने की दिशा में काम करने में उल्लेखनीय मदद मिलेगी।

क्रिएटिव डिग्निटी की संचालक परिषद की सदस्य मीरा गोराडिया का दृढ़ विश्वास है कि यदि आप तेजी से आगे बढऩा चाहते हैं तो अकेले चलें। यदि आप बहुत दूर निकलना चाहते हैं तो साथ साथ चलें। उन्होंने कहा, पूरे शिल्प पारितंत्र में हमारे 250 से अधिक साझीदार और स्वयंसेवी हैं जो एक साझा उद्देश्य के लिए काम कर रहे हैं।

दि आर्टिसन डायरेक्ट पहल के तहत बिकने से रह गई कलाकृतियों का कैटलॉग विकसित करने और कारीगरों को ई कॉमर्स साइटों से जोडऩे के लिए प्रमुख डिजाइन स्कूलों के साथ गठबंधन किया गया है। ये ई कॉमर्स साझीदार इसके बदले अपना मार्जिन घटाकर स्टॉक सेल्स बढ़ाते हैं जिससे कारीगरों को मदद मिलती है। इसके अलावा, क्रिएटिव डिग्निटी के स्वयंसेवी सूझबूझ के साथ मूल्य निर्धारण करते हैं, लॉजिस्टिक उपलब्ध कराते हैं और प्रोमोशनल गतिविधि एवं मीडिया प्लानिंग का काम करते हैं।

कोविड-19 ने लाखों कारीगरों को चौराहे पर लाकर खड़ा कर दिया जिससे कच्चे माल, बाजार और मूलभूत सुविधाओं तक उनकी पहुंच नगण्य रह गई। इससे रचनात्मक क्षेत्रों से विविध संगठन और पेशेवर एक आंदोलन के तौर पर एकजुट हुए जिससे सम्मानजनक मदद के लिए राहत और अवसर उपलब्ध कराया जा सके।

दीर्घकाल में एफएलओ और क्रिएटिव डिग्निटी का लक्ष्य कोविड 19 को एक अवसर के तौर पर उपयोग कर कारीगरी क्षेत्र को नए सिरे से कल्पना कर उसका पुनरूद्धार किया जाएगा। एक प्रारंभिक डायग्नोस्टिक सर्वे से पता चला कि कारीगरों के पास 140 करोड़ रूपये से अधिक का स्टॉक पड़ा है और इनकी बिक्री से इस क्षेत्र को फिर से पटरी पर लाने में मदद मिलेगी। यह आंदोलन पिछले चार महीनों से काम करता रहा है। जमीनी स्तर पर 28 राज्य हब हैं जहां शिल्पकारों को बाजार से जोड़कर उनका स्टॉक खाली कराया जा रहा है। एफएलओ की गवर्निंग बॉडी की सदस्य अलका बत्रा इस आयोजन की सूत्रधार थीं।