जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में पहुंचे सचिन पायलट

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल
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बोले- जब हम सरकार में नहीं थे, बीजेपी पर कई आरोप लगाए, लेकिन 4 साल में कार्रवाई नहीं हुई

जयपुर। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की शुरुआत हो चुकी है। शुक्रवार सुबह सचिन पायलट भी लिटरेचर फेस्टिवल में शामिल होने पहुंचे। इस दौरान सचिन पायलट ने कहा- जब हम सरकार में नहीं थे, तब बीजेपी की भ्रष्ट सरकार को लेकर हमने तथ्यों के साथ कई बड़े आरोप लगाए थे। खान घोटाला, 90-बी कालीन घोटाला और ललित मोदी जैसे प्रकरण को लेकर हम दिल्ली तक गए थे। हमने उसको एक्सपोज किया था। हमने कहा था जब हम सरकार में आएंगे। हम इस पर कार्रवाई करेंगे, लेकिन 4 साल का वक्त बीत जाने के बाद भी अब तक हमने इन पर कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि हम ने सामूहिक रूप से आरोप लगाए थे। अभी भी एक साल का वक्त है। ऐसे में भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

पायलट ने कहा- कुछ मुद्दे कभी-कभी कंट्रोवर्शियल हो जाते हैं। जरूरत है, संवाद की एक दूसरे के विचारों को समझने की। कुछ मुद्दों पर असहमति हो सकती है। लेकिन उसे शालीनता से प्रकट करना चाहिए। बातों को सुनना चाहिए, विरोध भी करना चाहिए। लेकिन वह खुले मन और खुले मंच से होनी चाहिए।

जावेद-गुलजार में कैफी आजमी और जां निसार अख्तर की झलक

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छ्वरुस्न के कंपेनियम वॉलियम ऑफ नज्म बाय कैफी आजमी एंड जां निसार अख्तर सेशन में जावेद अख्तर के साथ शबाना आजमी शामिल हुई। शबाना ने जहां जां निसार अख्तर और जावेद अख्तर ने कैफी आजमी पर बुक लिखी है। इनकी शायरी और रचनाओं को लेकर इस पुस्तक का निर्माण किया गया है। इस दौरान शबाना ने कहा- गुलजार साहब इस सेशन में मौजूद है। इसलिए मैं एक किस्सा बताना चाहती हूं। मैं एक धुन पर अटक गई थी। एक कमरे में गुलजार साहब और दूसरे कमरे में जावेद अख्तर साहब थे। मैं दोनों के पास गई और अपनी धुन सुनाई। दोनों ने एक मिनट में उस धुन पर रचना लिखी। दोनों का अंदाज एक दम जुदा था। ऐसा अंदाज कैफी आजमी और जां निसार अख्तर की लेखनी में देखा जा सकता था।

शबाना बोली- जावेद साहब में रोमांस की हड्डी नहीं

सेशन के दौरान शबाना ने कहा- अक्सर लड़कियां और महिलाएं जावेद अख्तर के पीछे भागती और मेरे पास भी आती हैं। वो कहती हैं कि आपके पति इतनी रामांटिक रचनाएं लिखते है। आप तो बड़ी खुशनसीब हैं। ये घर पर भी बहुत रोमांटिक होंगे। ऐसे में मैं उन सभी को कहती हूं कि जावेद साहब में रोमांस नाम की एक हड्डी तक नहीं है। इस पर जावेद साहब भी कहते हैं कि सर्कस में गोल चक्कर में काम करने वाला व्यक्ति वहां उल्टा लटकता है। घर आकर वैसे ही उल्टा नहीं लटकता। इस सेशन को सुनने के लिए फेमस गीतकार गुलजार और पॉप सिंगर उषा उत्थुप भी मौजूद रही।

सेशन में जावेद अख्तर ने कहा-शायरी, गीत और कविताएं लिखने के अलावा गजल का एक अलग स्टाइल है। उर्दू में तो यह लिखी ही जाती है। इसके ?अलावा पंजाबी, गुजराती, मराठी और हिन्दी में भी गजलें लिखी गई है। ये यूरोप में क्यों नहीं लिखी गई। यह बड़ा सोचने वाला विषय है। वैसे गजल सुनते वक्त गजल की बात होती है। लोगों को इसके स्टाइल के बारे में जानकारी नहीं है। गजल की जो दो लाइन होती है, वे एक राइम की तरह होती है। उनमें रदीफ भी होता है। इस दौरान उन्होंने पंजाबी में भी एक गजल सुनाई। पोएट्री से शुरू हुई यह बातचीत बुक पर आते हुए ट्रांसलेशन पर खत्म हुई।

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