
जयपुर। प्रधानमंत्री के रूप में डॉ. मनमोहन सिंह ने राजस्थान का दौरा कई महत्वपूर्ण अवसरों पर किया। उनके नेतृत्व में राज्य को कई बड़ी परियोजनाओं और नीतियों का लाभ मिला।
प्रमुख यात्राएं और उनका महत्व 2005 : उदयपुर में 8 सितंबर 2005 को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के साथ शिखर वार्ता – राजस्थान के खूबसूरत शहर उदयपुर उस ऐतिहासिक पल का गवाह बना, जब भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने एक महत्वपूर्ण शिखर वार्ता में हिस्सा लिया। झीलों की नगरी में हुई यह मुलाकात न केवल दोनों देशों के संबंधों को मजबूत बनाने का अवसर थी, बल्कि वैश्विक मुद्दों पर चर्चा का भी एक अहम पड़ाव साबित हुई।
2005 : भाखड़ा नहर परियोजना का निरीक्षण – इस दौरे में डॉ. सिंह ने राजस्थान की सिंचाई जरूरतों और जल संसाधन प्रबंधन पर चर्चा की। उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि जल संकट को दूर करने के लिए केंद्र हरसंभव मदद करेगा।
2008 : जयपुर सीरियल बम धमाकों के बाद दौरा – मई 2008 में, जयपुर में हुए बम धमाकों के बाद डॉ. सिंह ने त्वरित रूप से दौरा किया। उन्होंने पीड़ितों के परिवारों से मुलाकात की और राज्य को हरसंभव सहायता का वादा किया। यह दौरा उनके मानवीय पक्ष को उजागर करता है।
2010 : राजस्थान की स्वास्थ्य योजनाओं का शुभारंभ – प्रधानमंत्री ने राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) के तहत नई योजनाओं की शुरुआत की। उन्होंने जयपुर में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा के बिना कोई राज्य प्रगति नहीं कर सकता।
2013 : भटिंडा-बीकानेर रिफाइनरी प्रोजेक्ट का शुभारंभ – राजस्थान में पेट्रोलियम और गैस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री ने इस रिफाइनरी परियोजना का उद्घाटन किया। यह दौरा राजस्थान के औद्योगिक विकास और रोजगार सृजन के लिए बेहद महत्वपूर्ण था।विशेष उदाहरणजयपुर की एक सभा में: उन्होंने कहा, “राजस्थान की धरा केवल मरुस्थल नहीं है, यह देश की ताकत और संस्कृति की गहराई का प्रतीक है।”उदयपुर में: उन्होंने पर्यटन और स्थानीय शिल्पकारों की कला को बढ़ावा देने पर जोर दिया।राजस्थान के लिए उनकी दृष्टिडॉ. मनमोहन सिंह ने राजस्थान के लिए जो योजनाएं बनाईं, वे न केवल तत्काल प्रभावी थीं, बल्कि उनकी दूरदर्शिता आने वाले दशकों तक राज्य को मार्गदर्शन देती रही।
जल संकट: राजस्थान के जल प्रबंधन में सुधार के लिए विशेष नीतियां बनाई गईं।शिक्षा और रोजगार: उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और कौशल विकास को प्राथमिकता दी।सांस्कृतिक धरोहर: राजस्थान की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए विशेष फंड जारी किए गए।