आपदा का कारण बन सकती है शॉर्टकट आधारित राजनीति : प्रधानमंत्री

देवघर/नई दिल्ली,। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों को लोकलुभावन वादों पर आधारित शॉर्टकट राजनीति के दुष्परिणामों से आगाह करते हुए कहा कि देश के लोगों को इससे दूर रहने की जरूरत है क्योंकि यह देश को पीछे ले जाती है। उन्होंने कहा कि शॉर्टकट आधारित राजनीति आपदा का कारण बन सकती है।

प्रधानमंत्री मोदी ने यहां जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज हमारे देश के सामने एक ऐसी चुनौती आ खड़ी हुई है, जिसे हर देशवासी को जानना और समझना है। ये चुनौती है, शार्टकट की राजनीति की। बहुत आसान होता है लोक लुभावने वादे करके, शार्टकट अपनाकर लोगों से वोट बटोर लेना। उन्होंने कहा कि शार्टकट वालों को ना मेहनत करनी पड़ती है और ना ही उन्हें दूरगामी परिणामों के बारे में सोचना पड़ता है। लेकिन ये बहुत बड़ी सच्चाई है कि जिस देश की राजनीति शॉर्टकट पर आधारित हो जाती है, उसका एक ना एक दिन शॉट सर्किट भी हो ही जाता है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं देशवासियों को शॉर्ट-कट की राजनीति से बचकर रहने का आग्रह कर रहा हूं। शॉर्ट-कट की राजनीति करने वाले कभी नए एयरपोर्ट नहीं बनवाएंगे, कभी नए, आधुनिक हाईवेज नहीं बनवाएंगे। शॉर्ट-कट की राजनीति करने वाले कभी एम्स नहीं बनवाएंगे, हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज के लिए मेहनत नहीं करेंगे।”

पिछली सरकारों की कार्य संस्कृति पर सवाल उठाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हम जिसका शिलान्यास करते हैं, उसका उद्घाटन भी हम करते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि जो परियोजनाएं आज हमने शुरू की हैं, वो झारखंड के विकास को नई गति देने जा रही हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे लिए सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास ये सिर्फ नारा नहीं है।

प्रधानमंत्री ने देवघर हवाई अड्डे की आधारशिला के बाद उद्घाटन का उल्लेख करते हुए कहा कि पहले की सरकारों में योजनाओं की घोषणा होती थी, फिर एक दो सरकार जाने के बाद एक-दो पत्थर लगा दिए जाते थे। पत्थर लटकता रहता था, दो-चार सरकारें चलने के बाद कोई और आता, फिर वो ईंट लगाता था, पता नहीं कितनी सरकारें जाने के बाद वो योजना सामने दिखती थी। उन्होंने आगे कहा कि आज हम उस कार्य संस्कृति को लाए हैं, उस राजनीतिक संस्कृति को लाए हैं, उस गवर्नेंस के मॉडल को लाए हैं कि जिसका शिलान्यास हम करते हैं, उसका उद्घाटन भी हम करते हैं।

तीर्थ स्थलों को विकास और धरोहरों के संरक्षण की दिशा में उठाये गये कदमों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत भक्ति, अध्यात्म और तीर्थ स्थलों की भूमि है। तीर्थयात्राओं ने हमें एक बेहतर समाज और एक बेहतर राष्ट्र के रूप में तैयार किया है। देवघर को देखिए, ‘शिव’ ही नहीं ‘शक्ति’ भी है। दूर-दूर से हर साल लाखों श्रद्धालु गंगाजल लेकर यहां आते हैं। उन्होंने कहा कि बाबा वैद्यनाथ धाम, काशी विश्वनाथ धाम, केदारनाथ धाम, अयोध्या धाम, रामायण सर्किट, भगवान बुद्ध से जुड़े पवित्र स्थान, देश में आस्था, अध्यात्म और ऐतिहासिक महत्व से जुड़े हर स्थान में आधुनिक सुविधाएं तैयार की जा रही हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पर्यटन दुनिया के अनेक देशों में एक आकर्षक उद्योग के रूप में रोजगार का बहुत बड़ा माध्यम बना हुआ है। आज पूरी दुनिया में अनेक देश हैं, जिनकी पूरी अर्थव्यवस्था सिर्फ और सिर्फ पर्यटकों के भरोसे चल रही है। भारत के कोने-कोने में पर्यटन की शक्ति अपार है, बहुत सामर्थ्य पड़ा हुआ है, हमें इसे बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज ये समय की मांग है कि भारत अपनी विरासत को ज्यादा से ज्यादा और तेजी के साथ संरक्षित करे, वहां आधुनिक सुविधाएं बढ़ाए। हम ये पूरे देश में देख रहे हैं कि बीते वर्षों में जिन भी तीर्थ स्थलों को आधुनिक सुविधाओं से जोड़ा गया, वहां यात्रियों, पर्यटकों की संख्या अनेक गुना बढ़ गई है। इसका सीधा लाभ वहां रहने वाले, आस-पास के लोग, आस-पास के जिलों के लोगों को हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ये हमारी सरकार के लिए बहुत गर्व की बात है कि 15 नवंबर, भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को हमने जनजातीय गौरव दिवस घोषित किया है। धरती आबा बिरसा मुंडा के बेहतरीन और आधुनिक संग्रहालय के निर्माण का सौभाग्य भी हमें ही मिला है। उन्होंने कहा कि जबसे काशी में विकास ने गति पकड़ी है, काशी विश्वनाथ परिसर का सौन्दर्यीकरण हुआ है, बनारस आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। तीन साल पहले की तुलना में इस साल वाराणसी में अभी तक 3 गुना अधिक यात्री आए हैं।