गड़बड़ी की बू : अजंता घड़ी बनाने वाली कंपनी को किसने दी पुल मरम्मत की जिम्मेदारी

गुजरात हादसा
गुजरात हादसा

आइए जानते हैं कंपनी और उसके काम के बारे में

गांधीनगर। गुजरात के मोरबी में पुल हादसे के बाद लापरवाही की कडिय़ां अब धीरे-धीरे खुलने लगी हैं। पुल के मेंटेनेंस का जिम्मा सभालने वाली कंपनी ओरेवा ग्रुप सवालों के घेरे में आ गई है। घड़ी से लेकर ई-बाइक्स तक बनाती है ब्रिज का रखरखाव करने वाली कंपनी।

इलेक्ट्रिकल बल्व भी बनाती हैं कंपनी

गुजरात हादसा
गुजरात हादसा

सस्पेंशन ब्रिज के रखरखाव का जिम्मा संभालने वाली मोरबी स्थिति ओरेवा ग्रुप अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड के नाम से भी प्रचलित है। कंपनी दीवार घडिय़ों से लेकर ई-बाइक्स और इलेक्ट्रिकल बल्व तक का निर्माण करती है। हादसे के बाद कंपनी लोगों के निशाने पर आ गई है। पुल का मेंटेनेंस कार्य हासिल करने से पहले कंपनी ने दावा किया था कि वह नवीनतम तकनीक के इस्तेमाल से पुल को इस रूप में विकसित करना चाहती है जिससे दीवार घडिय़ों के निर्माण के लिए पहले से मशहूर मोरबी को एक नई पहचान मिले।

45 देशों तक फैला है ओरेवा ग्रुप का कारोबार

ओरेवा ग्रुप के संस्थापक ओधवजी पटेल थे। कंपनी का कारोबार फिलहाल दुनिया के 45 देशों तक फैला है। कंपनी के पास लगभग 7000 कर्मचारी हैं, जिनमें 5000 महिलाएं हैं। कंपनी घड़ी और ई-बाइक्स बनाने के साथ-साथ किसानों के लिए जल संचयन का भी कार्य करती है। कंपनी ऊर्जा का बचत करने वाले एलईडी बल्स, कैलकुलेटर्स और टाइल्स का भी निर्माण करती है। गुजरात के मोरबी और कच्छ जिले में ओरेवा ब्रांड के नाम से कंपनी स्नैक्स के कारोबार में भी दखल रखती है।

दीवार घडिय़ों के पिता के तौर पर मशहूर थे कंपनी के संस्थापक

कंपनी का मुख्यालय अहमदाबाद के एसजी हाईवे पर मौजूद थालतेज सर्कल पर स्थित है। अक्तूबर 2012 में ‘दीवार घडिय़ों के पिताÓ के तौर पर मशहूर ओधवजी पटेल की मौत के बाद उनके बेटे जयसुख ओधवजी ओरेवा समूह का कारोबार संभाल रहे हैं। कंपनी का टर्नओवर करीब 800 करोड़ रुपये का है। जयसुख ओधवजी को वर्ष 2020 में गुजरात के अहमदाबाद पश्चिम लोकसभा सीट के सांसद कीर्ति सोलंकी ने ‘नव नक्षत्र सम्मानÓ नाम के बिजनेस अवार्ड से भी सम्मानित किया था।

मोरबी नगरपालिका का आरोप- सरकारी टेंडर के तहत काम हुआ, फिर भी नहीं कराई गई जांच

हादसे के बाद मोरबी नगरपालिका के प्रमुख संदीप सिंह जाला ने कहा है कि कंपनी ने नगरपालिका से फिटनेस सर्टिफिकेट लिए बिना ही बीते हफ्ते पुल को आम लोगों के लिए खोल दिया। उनके अनुसार पुल जीर्णोद्धार का कार्य एक सरकारी निविदा के तहत किया गया था, ऐसे में ओरेवा ग्रुप को कराए गए कार्य की विस्तृत जानकारी नगरपालिका को उपलब्ध करानी चाहिए थी। उन्हें पुल को दोबारा शुरू करने से पहले क्वालिटी जांच भी करवानी चाहिए थी, पर ऐसा नहीं किया गया। सरकार को भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि पुल को दोबारा चालू कर दिया गया है।

एफआईआर में ओरेवा ग्रुप या उससे जुड़े किसी व्यक्ति का नाम नहीं

आपको बता दें कि फिलहाल हादसे के संबंध में दर्ज की गई एफआईआर में जयसुख या ओरेवा ग्रुप का नाम कहीं दर्ज नहीं है। पुलिस ने अब तक इस मामले में किसी आरोपित को चिह्नित नहीं किया है। हां, ब्रिज के मेंटेनेंस का काम करने वाली एजेंसी, उसके प्रबंधकों और अन्य के खिलाफ शिकायत जरूर दर्ज की गई है, पर उनके बारे में फिलहाल कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है। हादसे की जांच का कार्य डीएसपी पीए जाला को सौँपा गया है। पुलिस का कहना है कि यह लापरवाही का मामला है।

कच्छ क्षेत्र में जल उपयोग परियोजना के लिए भी ग्रुप ने दिया था प्रोजेक्ट रिपोर्ट

अक्टूबर 2021 में जयसुख पटेल की ओर से 200 करोड़ रुपए की जल उपयोग परियोजना की परिकल्पना की गई थी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इसका समर्थन किया था। 7 अक्टूबर 2021 को, शाह ने परियोजना के कार्यान्वयन पर चर्चा करने के लिए पटेल के साथ बैठक भी की थी। बता दें कि पटेल ने उस दौरान कच्छ क्षेत्र के 4,900 वर्ग किलोमीटर के छोटे रण को रण सरोवर नामक एक विशाल मीठे पानी की झील में बदलने का प्रस्ताव रखा था, जो एक सड़क पर आ गई थी।

यह भी पढ़ें : गुजरात ब्रिज हादसा : 134 की मौत